Income Tax Raid: दैनिक भास्कर और भारत समाचार चैनल पर मारे गए छापे के रिएक्शन के तुंरत बाद बचाव में आई केंद्र सरकार
भोपाल/दिल्ली। आयकर विभाग ने गुरुवार सुबह एक साथ दो मीडिया घरानों में छापा मारकर (Income Tax Raid) देशभर के पत्रकारिता जगत में सनसनी फैला दी। यह छापे उत्तर प्रदेश से प्रसारित होने वाले भारत समाचार चैनल और मध्य प्रदेश के प्रमुख दैनिक समाचार पत्र दैनिक भास्कर में मारे गए। दोनों जगह मारे गए छापे दिल्ली के अफसरों की निगरानी में चल रहे थे। इन छापों की वजह अभी सामने नहीं आई है। लेकिन, इस घटनाक्रम के बाद पूरे देश में पत्रकारिता को डराने का आरोप लगाकर केंद्र सरकार को घेरा जाने लगा। इसमें कई राज्यों के मुख्यमंत्री और विपक्ष के बड़े—बड़े नेता सामने आए।
इन बातों को लेकर घेरा जा रहा
भारत समाचार के संपादक बृजेश मिश्रा और वीरेंद्र मिश्रा के भी ठिकानों पर छापे मारे गए। भारत समाचार ने भी कोरोना के दौरान बेहतरीन मीडिया कवरेज किया था। इसी तरह दैनिक भास्कर ने भोपाल के विश्राम घाट की ड्रोन से तस्वीर देेकर भाजपा की सरकार को बेनकाब कर दिया था। दरअसल, मौत के आंकड़े छुपाने को लेकर सबसे सटीक प्रमाण के साथ दैनिक भास्कर ने यह प्रयोग किया था। प्रयोग काफी चर्चा का विषय पत्रकारिता जगत में बना था। इसके अलावा अस्पतालों में दवा की कमी, आक्सीजन की शॉर्टेज और अस्पतालों की मनमानी समेत कई बिंदुओं को लेकर लगभग तीन महीने जोरदार काम किया था।
आयकर विभाग की चुप्पी
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के रिश्तेदारों से संबंधित ठिकानों पर सर्चिंग के बाद आयकर विभाग ने कोई भी जानकारी देश को नहीं दी थी। उसी तरह मीडिया हाउस के ठिकानों पर मारे गए छापे के बाद भी कोई प्रतिक्रिया सार्वजनिक नहीं की गई थी। हालांकि बीबीसी हिंदी न्यूज पोर्टल के संवाददाता से बातचीत करते हुए सीबीडीटी प्रवक्ता सुरभि आहलूवालिया ने छापे की पुष्टि की है। हालांकि छापे को लेकर वे अन्य कोई जानकारी नहीं दे सकी है। छापे में प्रवर्तन निदेशालय के अफसरों के भी शामिल होने की जानकारी दैनिक भास्कर समूह ने अपने पोर्टल पर दी है। भास्कर ने आरोप लगाया है कि छापे के पीछे कोई कारण किसी भी एजेंसी ने नहीं बताया है।
दैनिक भास्कर ने चलाया अभियान
छापा जब मारा गया उसके बाद कई कर्मचारियों को भीतर रोक लिया गया था। यह छापा एमपी नगर स्थित प्रेस काम्पलेक्स में भी मारा गया था। यहां प्रबंधन ने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम का आदेश देकर काम करने के लिए बोला। छापे के तुरंत बाद कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों के बयान सामने आने लगे। जिसके बाद दैनिक भास्कर ने भी अपने यहां बैठक करके अभियान चलाने का फैसला लिया। सोशल मीडिया के जरिए कई संपादक, रिपोर्टर अपने—अपने अकाउंट से ”मैं स्वतंत्र हूं, क्योंकि मैं दैनिक भस्कर हूं, भास्कर में चलेगी सिर्फ पाठकों की मर्जी” संदेश वायरल करने लगे।
बैठक में छाया मुद्दा
यह पूरा घटनाक्रम (Income Tax Raid) लगभग हर चैनल पर प्रसारित हो रहा था। कई जगह स्पेशल कार्यक्रम भी चलाया गया था। पुण्य प्रसून बाजपेयी, परंजाय गुहा ठाकुरता, अजीत अंजुम समेत कई सीनियर पत्रकारों ने ट्वीट करके प्रेस की आजादी पर अपनी—अपनी विरोध में राय व्यक्त की। प्रेस क्लब आफ इंडिया ने भी इस विषय पर ट्वीट किया। इधर, दिल्ली में पेगासस कांड को लेकर पत्रकारों की जासूसी कराने की विरोध को लेकर कार्यक्रम आयोजित किया था। यहां भी छापे का मुद्दा हावी हो गया। परंजाय गुहा ने कहा कि केंद्र सरकार के खिलाफ भास्कर ने अच्छी रिपोर्टिंग पेश की। गंगा किनारे शव बहाने के मामले को लेकर भी अच्छी रिपोर्ट करने पर सरकार परेशान थी। ऐसे कई विचार पत्रकारों ने व्यक्त किए।
सरकार के खिलाफ बोलने पर साया
राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि दैनिक भास्कर ने गंगा की तस्वीरें देकर सरकार को मुश्किल में डाल दिया था। इसलिए यह कार्रवाई की गई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि दैनिक भास्कर के पत्रकारों के साथ विपक्ष साथ में खड़ा है। मीडिया की आजादी को बरकरार रखने के लिए हम साथ में रहेंगे। इसके अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह मीडिया को डराने के लिए छापा मारा गया है। जबकि इन आरोपों पर सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि एजेंसी अपना काम करती है। उसमें हम कोई दखलअंदाजी नहीं करते। इस मामले में कई तथ्यों की जांच अभी की जाना है।
इसलिए मिसाल की उम्मीद
देशभर में पत्रकारिता जगत और मीडिया घराने एकजुट हो गए हैं। दरअसल, आईटी की टीम ने इससे पहले एनडीटीवी पर भी छापा मारा था। तब भी विवाद की स्थिति बनी थी। अब ताजा घटनाक्रम के बाद एक बार फिर शुक्रवार को प्रकाशित होने वाले दैनिक भास्कर के संस्करण में लोगों की निगाह रहेगी। दैनिक भास्कर ने गैस कांड की बरसी को लेकर दस्तावेज नाम का संस्करण निकालकर सभी को चौंकाया था। इसके अलावा राहुल गांधी की भोपाल यात्रा के दौरान कुर्सी पर बैठने वाली पिक्चर भी लोगों की जेहन में अभी भी याद है। देश में जब आपातकाल लगा था तब नई दुनिया समाचार पत्र ने हाशिया बनाकर अपना विरोध जताया था। इसी तरह आस्ट्रेलिया के मीडिया हाउस में पड़े छापे के बाद भी वहा समाचार पत्र ने प्रयोग किया था। इसलिए लोगों की नजर कल के अंक पर जरुर रहेगी।
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