पांच साल से पत्नी की मौत पर न्याय के लिए भटक रहा पति, राष्ट्रपति से लेकर एसपी तक हर दरवाजे में लगा चुका है फरियाद
पलवल। (Haryana Crime News In Hindi) पत्नी की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाने के लिए एक पति पांच साल से संघर्ष कर रहा है। इस संघर्ष की कहानी साबित करती है कि सिस्टम जो तय कर ले वहीं देश का कानून और संविधान है। इतना ही नहीं उसके बनाए चक्रव्यूह में आपको फंसाकर सिस्टम आपको ही मुजरिम साबित करा देगा। बात हो रही है हरियाणा राज्य के पलवल (Palwal Crime News In Hindi) जिले में हुए एक संगीन अपराध की। इसकी तह में रहस्य है जिसका खुलासा हुआ तो कई रसूखदार अफसरों की नौकरी चली जाएगी।
इसलिए अब सिस्टम न्याय मांगने वाले व्यक्ति को ही गुनाहगार बनाने के षडयंत्र में जुट गया है। मामला एक महिला के साथ हुई ज्यादती (Palwal Rape Case) के बाद आत्महत्या (Palwal Suicide Case) का है। महिला का पति पिछले पांच साल से न्याय की फरियाद लिए हर चौखट पर जा चुका है। उसने आखिरी कोेशिश राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) के यहां आवेदन देकर की है। इससे पहले वह हरियाणा के पलवल जिले के एसपी से लेकर गृहमंत्री के बंगलों और दफ्तरों के चक्कर काट चुका है।
यह है मामला
पलवल जिले में रत्न (Palwal Ratn Rape Case News) नाम के एक व्यक्ति ने कट्टे की नोक पर एक महिला से ज्यादती की। यह घटना जुलाई, 2015 की है। आरोपी रत्न (Ratn Ne Kiya Mahila Ka Balatkar) ने उसकी अश्लील तस्वीरें भी खींच ली थी। जिसको वायरल करने की उसने धमकी दी थी। पीड़ित महिला पति के साथ कैंप थाना पहुंची। यहां तत्कालीन प्रभारी जितेन्द्र ने पति—पत्नी को ब्लैकमेल करने का दोषी साबित करते हुए मुकदमा ही दर्ज नहीं किया। इसके बाद पीड़ित महिला ने उसके नाम पर खरीदा मकान पति के नाम पर कर दिया। वह उसके इरादों से वाकिफ नहीं था। इसके बाद घटना के छह दिन बाद पत्नी सुसाइड नोट लिखकर घर से गायब हो गई।
पत्नी के खिलाफ मुकदमे की धमकी
यह सुसाइड नोट पुलिस को देकर उसकी तलाश के लिए गुजारिश की गई। नोट में उसने रत्न और पुलिस के रवैये की कहानी लिखी थी। थाना पुलिस से कोई सहयोग नहीं मिला। इसलिए उसका पति अपने स्तर पर उसको तलाशता रहा। वह उसको फोन लगा रहा था। पत्नी ने वह फोन रात 8 बजे उठाया। पत्नी को बचाने उसने झूठ बोला कि पुलिस एफआईआर दर्ज कर चुकी है। इस दिलासे से पत्नी वापस आ गई। इसकी खबर थाना पुलिस को भी दी। पति के पास एएसआई रमेश (Parmal ASI Ramesh) का फोन आया। दोनों को थाने बुलाया जहाँ एसएचओ जितेन्द्र ने पति—पत्नी के मनमुटाव की फर्जी कहानी बनाकर उनसे कागज में लिखवाए गए। ऐसा नहीं करने पर पत्नी के खिलाफ आत्महत्या की कोशिश का मुकदमा दर्ज करने की धमकी एसएचओ ने दी।
बलात्कारी का बच्चा गर्भ में
कैम्प थाना पुलिस ने 13 जुलाई तक कोई एफआईआर नहीं की। बल्कि थाने में बोला गया कि पत्नी ने आत्महत्या की तो अब उसका पति ही फंसेगा। इसके बाद 11 जुलाई को रत्न, उसके भाई धर्मवीर और भांजे तेजपाल ने समझौते के लिए दबाव बनाया। दो दिन बाद जबरन बलात्कार के मामले में राजीनामा कराया गया। इस दौरान कैम्प थाना पुलिस भी मौजूद थी। पुलिस ने रत्न के पास मौजूद अश्लील फोटो भी बरामद नहीं किए। इसके बाद पत्नी बीमार रहने लगी। इसी बीमारी के दौरान उसका अल्ट्रा साउंड टेस्ट कराया गया। जिसमें उसके गर्भवती होने का पता चला। पति का दावा है कि यह बच्चा रत्न का था।
भ्रूण परीक्षण ही नहीं किया
ज्यादती की घटना जुलाई के पहले सप्ताह की थी। जिसकी वजह से महिला गर्भवती हो गई थी। यह रिपोर्ट मिलने के बाद पति—पत्नी दोबारा थाने पहुंचे। बच्चे को आधार बनाकर डीएनए की मांग की गई। पुलिस ने कार्रवाई की बजाय यह बोलकर भगा दिया कि वह बच्चे और गर्भवती पत्नी की परवरिश करे। डेढ़ महीने में भारत के सिस्टम के धक्के खाकर हताश पीड़ित महिला 23 अगस्त, 2015 को फंदे पर झूल गई। महिला की मौत के बाद साजिश का सिलसिला शुरु हुआ जो अभी भी जारी है। पति का आरोप है कि मेरी गर्भवती पत्नी के भ्रूण की जांच को सुरक्षित ही नहीं रखा गया। केवल पत्नी का पीएम किया गया।
सुसाइड नोट की फोटो कॉपी भेज दी
इस मामले के बाद पति के दिन खराब हो गए। कैप थाना पुलिस ने उसकी पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित करने के आरोप में जेल में डाल दिया गया। वह बाहर आया तब तक सबकुछ सबूत खत्म कर दिए गए। अदालत से बरी होने के बाद पति ने सुसाइड नोट को आधार बनाकर जांच के लिए कहा। उसने इस मामले की शिकायतें शुरु की। शिकायतों के जवाब में पुलिस ने झूठी रिपोर्ट बनाई। पुलिस ने पत्नी का असली सुसाइड नोट फोरेंसिक जांच में भेजने की बजाय उसकी फोटो कॉपी भेज दी। पति का आरोप है कि उसको हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव, एसपी नरेन्द्र समेत पलवल जिला पुलिस से जान को खतरा है।
रेप का बदला रेप
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में सामाजिक कार्यकर्ता और स्वतंत्र पत्रकार अंकित तिवारी ने पीड़ित महिला के पति से बातचीत की। उनको सारे दस्तावेज और प्रकरण से जुड़े तथ्य पति ने दिखाते हुए बताया कि पत्नी के भाई ने औरंगाबाद की एक युवती से ज्यादती की थी। जिस युवती से ज्यादती की थी उसी परिवार का रत्न रिश्तेदार है। उसका ही बदला लेने के लिए उसने पत्नी के साथ ऐसा किया था। हालांकि सबूत मांगने पर पति कोई सबूत पेश नहीं कर सका। उसने कहा कि यह पत्नी ने उसको बताया था। लेकिन, पुलिस जांच करेगी तो वह तथ्य में सामने आ सकता है। पति का आरोप है कि इस पूरे मामले में कई सबूतों से पुलिस के अफसरों ने छेड़छाड़ की है।
पुराने मामलों को आधार बनाया
पत्नी का पिता नशा करता था। उसको बेटी पैसा देती थी। लेकिन, पत्नी ने मना कर दिया। पुलिस के पास पिता पहुंचा। उसने दामाद पर दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाया। लेकिन, पुलिस ने यह बोलकर उसको थाने से भगा दिया कि वह बेटी को लेकर आए। थाने में जब कार्रवाई नहीं हुई तो वह अदालत में पहुंच गया। अदालत में 2005 में पत्नी के बयानों के बाद वह बरी हो गया। पुलिस ने पिता के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराने का आरोप लगाकर एफआईआर करना चाहा। बेटी और दामाद ने पिता को माफ कर दिया। लेकिन, कैम्प थाना पुलिस इसी मुकदमे को आधार बनाकर उसको दहेज प्रताड़ना में फंसाया था।
ससुराल ने साथ नहीं दिया
पीड़िता के पति ने बताया कि थाने में सुसाइड नोट जब्त किया गया था। मैंने सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाने के लिए हर चौखट में जाकर अर्जी दी। जिसके बाद हरियाणा सरकार ने जांच करने एसआईटी गठित का आदेश दिया। वहीं लोकायुक्त और हाईकोर्ट ने सुसाइड नोट जब्त करने के लिए कहा। इस पर पुलिस विभाग की तरफ से बताया गया कि सुसाइड नोट फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। लेकिन, एक हवलदार ने कोर्ट को बताया कि जिस सुसाइड नोट को भेजा गया वह फोटो कॉपी है। असली सुसाइड नोट कहा है वह उसको पता नहीं है। पति का कहना है कि वह लड़ाई में अकेला है। मेरी लड़ाई से पत्नी का भाई भी फंसेगा इसलिए वह साथ नहीं दे रहे।
सिस्टम बौना हो रहा साबित
यह मामला हरियाणा के मीडिया में सुर्खियों में रहा। कई दिनों तक यह समाचार आया भी। जिसके बाद सरकार और सिस्टम ने हलचल का दावा किया। लेकिन, परिणाम आज भी जस के तस है। प्रकरण में कई अफसर बुरे फंसे हैं। इसलिए ऐसा किया जा रहा है। इस संबंध में कैप थाना मौजूदा एसएचओ से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने दूसरे केस में व्यस्त होना बताकर सवाल के जवाब नहीं दिए। उन्होंने लॉक डाउन का बहाना बनाया। वह बार—बार थाने में आकर बातचीत करने के लिए कहने लगे। वहीं इस मामले के आरोपी रत्न से बातचीत का प्रयास किया गया। उसका फोन बंद आ रहा था। जबकि घर की जानकारी जुटाई तो पता चला कि वह अब वहां नहीं रहता।
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