Private Hospital Negligence: मेडविन अस्पताल में 16 दिन पहले हुई थी महिला की मौत, हैनिमन चिकित्सक चढ़ा रहे थे खून
भोपाल। निजी अस्पतालों की मनमानी (Private Hospital Negligence) के किस्से आप अक्सर सुनते होंगे। यह मामले कोरोना की दोनों लहर में कई वीडियो के जरिए सामने भी आ चुकी है। ताजा मामला भोपाल सिटी के निशातपुरा इलाके का है। यहां 17 दिन पहले मेडविन अस्पताल में एक महिला की मौत हो गई थी। अस्पताल के संचालक और महिला का इलाज कर रहे चिकित्सक हैनिमन चिकित्सक हैं। इस मामले में पीएम रिपोर्ट आ गई है। जिसमें मौत की वजह स्पष्ट नहीं की गई है। मतलब साफ है कि चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़ा यह मामला सस्पेंस की तरफ जाता नजर आ रहा है।
पुलिस अफसरों ने लिया यह फैसला
निशातपुरा एसीपी अनिल त्रिपाठी (ACP Anil Tripathi) ने बताया कि अंकिता मालवीय की मौत के मामले में बिसरा जांच के लिए सुरक्षित रखा गया है। इसके अलावा हार्ट और कपड़े भी एफएसएल जांच के लिए सुरक्षित रखे गए हैं। इन्हें लैब में भेजकर रिपोर्ट बुलाई जा रही है। इससे पहले जीएमसी ने पीएम रिपोर्ट में स्पष्ट राय नहीं दी थी। यह रिपोर्ट 30 जनवरी को निशातपुरा थाना पुलिस को मिली थी। निशातपुरा थाना प्रभारी महेन्द्र सिंह चौहान (TI Mahendra Singh Chouhan) इस मामले में शुरु से ही बचते रहे हैं। जब घटना हुई थी तब वे बेटे की बीमारी के चलते अवकाश पर गए थे। अब इस प्रकरण में बातचीत के लिए वे उपलब्ध नहीं हो सके। इधर, मेडविन अस्पताल के मालिक डॉक्टर दिलशाद अहमद (Dr Dilshad Ahmed) नियमित थाने के चक्कर काट रहे हैं। इसकी वजह वे ही ज्यादा बेहतर तरीके से बता सकते हैं।
यह बोलकर बच रहे अस्पताल मालिक
मेडविन अस्पताल (Medwin Hospital) को फरवरी, 2021 में लायसेंस मिला था। जिन्होंने यह लायसेंस जारी किया उस अफसर को सस्पेंड कर देना चाहिए। दरअसल, जहां अस्पताल है उसके बाजू में ही फेब्रीकेशन का काम होता है। जबकि गाइड लाइन के अनुसार अस्पताल सायलेंस जोन में होना चाहिए। इसके अलावा अस्पताल में एक भी एमबीबीएस डॉक्टर की नियुक्ति ही नहीं हैं। अस्पताल केएन मिश्रा के नाम पर हैं। जिनसे हमने संपर्क करने का प्रयास किया था। इधर, मेडविन अस्पताल के संचालक डॉक्टर दिलशाद अहमद का दावा है कि अंकिता मालवीय (Ankita Malviya) 18 जनवरी को जब लाई गई थी तब डिप्रेशन का शिकार थी। उसको हार्ट अटैक आया था। जबकि पिता गरीब दास मालवीय (Garib Das Malviya) का कहना है कि हम दूसरे अस्पताल शिफ्ट करने के लिए मिन्नते करते रहे। हमें एम्बुलेंस ही मुहैया नहीं कराई गई।
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