छल से नहीं, गंगा जल जैसी पवित्र नीयत से हो रहा काम- पीएम मोदी
वाराणसी। दिल्ली की तमाम बॉर्डर पर किसान आंदोलन कर रहे है। 5 वें दिन भी किसानों का प्रदर्शन जारी है। दिल्ली पहुंचने की जहोद्दत में हजारों किसान सरहदों पर खड़े है। प्रशासन और पुलिस के बेरिकेट्स किसानों का रास्ता रोके हुए है। दूसरी तरफ सरकार किसानों से बात करके मामला सुलझाने का दावा कर रही है। नए कृषि कानूनों के विरोध में शुरु हुआ किसान आंदोलन फिलहाल खत्म होता नजर नहीं आता। ऐसे में पीएम मोदी ने किसानों को लेकर बयान दिया है। वाराणसी में कार्यक्रम में शामिल हुए प्रधानमंत्री मोदी ने किसान आंदोलन पर भी अपनी बात कही। पढ़िए पीएम मोदी की 10 बड़ी बातें।
किसानों को कनेक्टिविटी का लाभ
पीएम मोदी ने कहा कि कनेक्टिवीटी का लाभ किसानों और खेती को भी होता है। भंडारण और कोल्ड स्टोरेज की आधुनिक व्यवस्था खड़ी की जा रही है। इसके लिए 1 लाख करोड़ का फंड भी किसानों के लिए बनाया गया है। इसी साल देश के इतिहास में पहली बार चलते-फिरते कोल्ड स्टोरेज यानि किसान रेल शुरु की गई है। इन प्रयासों से किसानों को नए बाजार मिल रहे है। बड़े शहरों तक किसानों की पहुंच बढ़ रही है। इसका सीधा प्रभाव उनकी आय पर पड़ रहा है। वाराणसी समेत पूर्वांचल में तैयार हुए इंफ्रास्ट्रचर का लाभ सभी को मिला है। स्टोरेज कैपेसिटी के कारण पहली बार किसानों की उपज विदेशों में निर्यात हो रहा है। बनारस का लंगड़ा और दशहेरी आम की मांग विदेशों में हो रही है। आम के अलावा यहां की ताजा सब्जियां भी मुंबई तक पहुंच रही है। बेहतर हवाई सेवा का लाभ किसानों को मिल रहा है।
850 रुपए किलो बिका काला चावल
प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार के प्रयासों और आधुनिक इंफ्रास्ट्रकचर से किसानों को कितना लाभ हो रहा है इसका बेहतरीन उदाहरण चंदौली का काला चावल है। ये चावल किसानों के घरों में समृद्धि लेकर आ रहा है। पिछले साल खरीफ के सीजन में 400 किसानों को ये चावल उगाने के लिए दिया गया। किसानों की समीती बनाई गई। मार्केट तलाशा गया। काला चावल 300 रुपए किलो तक बिक रहा है। विदेशी बाजार भी मिल गया और ऑस्टेलिया को 850 रुपए किलो में निर्यात किया गया।
‘किसानों की आय बढ़ा रहे’
किसान को आधुनिक सुविधाए देना, छोटे किसानों को संगठित करके बड़ी ताकत बनाना, किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास लगातार जारी है। पीएम मोदी ने कहा कि फसल बीमा, सिंचाई, बीज या बाजार हर तरफ काम किया गया। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से देश के 4 करोड़ किसान परिवारों की मदद हुई। सिंचाई योजना से 47 लाख हेक्टेयर जमीन माइक्रो इरिगेशन के दायरे में आई । 77 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट्स पर काम हो रहा है।किसानों को बड़े और व्यापक मार्केट का लाभ भी मिलना चाहिए। दुनिया का बड़ा बाजार मिलना चाहिए। विकल्प के माध्यम से किसानों को सशक्त करने का रास्ता अपनाया गया है।
‘किसानों के हित में किए कृषि सुधार’
उन्होंने बताया कि किसान हित में किए गए कृषि सुधार ऐसे ही विकल्प किसान को देते है। किसान को कोई ऐसा खरिदार मिल जाए जो सीधा खेत से उपज उठाए और बेहतर कीमत दे तो किसान को अपनी उपज बेचने की आजादी मिलनी चाहिए की नहीं। भारत के कृषि उत्पाद दुनिया में मशहूर है। इस बाजार तक किसान की पहुंच होनी चाहिए। पुराने सिस्टम से लेनदेन को सही समझते है तो इस कानून में उन पर कोई रोक नहीं लगाई गई है। नए कानून में नए संरक्षण दिए गए है। छोटा किसान भी मंडी से बाहर हुए सौदे में हुए धोखे पर कानूनी कार्रवाई कर सकता है। किसानों को प्रकल्प के साथ नए विकल्प देने से ही कायाकल्प हो सकता है।
‘भ्रम फैलाया जा रहा है’
सरकारें नीतियां बनाती है, समर्थन भी मिलता है और सवाल भी उठते है। पीएम मोदी ने कहा कि यहीं लोकतंत्र का हिस्सा है। लेकिन पिछले कुछ समय से नया ट्रेंड चल रहा है। पहले ये होता था कि सरकार का फैसला किसी को पसंद नहीं आता था तो उसका विरोध होता था। लेकिन बीते कुछ समय से नया ट्रैंड ये है कि विरोध का आधार फैसला नहीं है। विरोध का आधार भ्रम को बनाया जा रहा है। आगामी भविष्य को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है।
‘दशकों तक किसानों के साथ छल हुआ’
पीएम मोदी ने कहा कि जो हुआ नहीं है, जो होगा भी नहीं उसे लेकर समाज में भ्रम फैलाया जाता है। कृषि सुधारों के मामले में भी जानबूझकर यहीं खेल खेला जा रहा है। हमें याद रखना है कि ये वहीं लोग है जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ छल किया है।
‘एमएसपी पर खरीद नहीं होती थी’
एमएसपी तो घोषित होता था लेकिन खरीद बहुत कम की जाती थी। घोषणाए होती थी लेकिन खरीद नहीं होती थी। सालों तक किसानों के साथ छल किया गया। कर्जमाफी के पैकेज छोटे और सीमान्त किसानों तक ये पहुंचे ही नहीं। किसानो के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित होती थी। लेकिन वे खुद मानते थे कि 1 रुपए में से 15 पैसे ही किसानों तक पहुंचते थे। किसानों के नाम पर बहुत बड़ी सब्सिडी दी गई। लेकिन फर्टीलाइजर खेत से ज्यादा बाजार में पहुंचा। किसानों को उत्पादन बढ़ाने के लिए कहा गया। लेकिन प्रॉफिट किसी और को मिला।
‘इतिहास छल का रहा है’
इतिहास छल का रहा हो तो दो बाते किसान अगर सरकारों की बातों से आशंकित रहता है तो उसके पीछे दशकों का लंबा इतिहास है। दूसरी बात ये है कि जिन लोगों ने वादे तोड़े उनके लिए ये भ्रम फैलाना आदत बन गया है। क्यों कि उन्होंने ऐसा ही किया था। वहीं फॉर्मूला लगाया जा रहा है।
‘सरकार का ट्रेक रिकॉर्ड अच्छा है’
सरकार का ट्रेक रिकॉर्ड देखोगे तो सच सामने आ जाएगा। बीते 6 साल में यूरिया की कालाबाजारी घटी है। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुकूल डेढ़ गुना फायदा दिया। किसान के बैंक खाते तक पैसा पहुंचा। 2014 के पहले पांच सालों में लगभग 650 करोड़ की ही दाल किसान से खरीदी गई। हमने 5 साल में 50 हजार करोड़ की दाल एमएसपी पर खरीदी है।
‘दोगुने से ज्यादा पैसा दिया’
2014 से पहले के पांच सालों 2 लाख करोड़ का धान खरीदा था। हमने 5 साल में 5 लाख करोड़ रुपए एमएसपी के रूप में किसानों तक पहुंचाए। पहले गेहूं की खरीद पर डेढ़ लाख करोड़ के आसपास ही किसानों को मिला। हमने 5 साल में गेहूं पर 3 लाख करोड़ रुपए दिया। मंडिया और एमएसपी को हटाना होता तो निवेश क्यों करते।
‘किसानों को पैसा नहीं लेने दिया’
हमारी सरकार तो मंडियो को आधुनिक और मजबूत बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। यहीं लोग है जो पीएम किसान सम्मान निधी पर सवाल उठाते थे। कहते थे कि चुनाव की वजह से ही 2000 रुपए दे रहे है। एक राज्य में इतना भ्रम फैलाया गया कि किसानों ने पैसा लेने से मना कर दिया। एक राज्य की सरकार ने तो किसानों को पैसा लेने ही नहीं दिया।
देश के 10 करोड़ से ज्यादा किसानों के बैंक खातों में सीधी मदद दी जा रही है। साल में तीन बार दे रहे है। अब तक 1 लाख करोड़ रुपए भेजे है। किसानों के लिए पेंशन योजना बनाने का वादा किया था। बहुत कम समय में 21 लाख किसान इस योजना से जुड़ चुके है।
‘कृषि सुधार से फायदा होगा’
वादों को जमीन पर उतारने के इसी ट्रेक रिकॉर्ड के आधार पर कृषि सुधार कानून लाए गए। मीडिया में भी सकारात्मक चर्चाएं होगी। दशकों का छलावा किसानों को आशंकित करता है। मां गंगा के घाट से किसानों को कहना चाहता हूं कि अब छल से नहीं गंगा जल जैसी पवित्र नीयत के साथ काम किया जा रहा है। आशंकाओं के आधार पर भ्रम फैलाने वालों की सच्चाई देश को समझ आ रही है। एक विषय पर किसान इनका झूठ समय जाते है तो ये दूसरा झूठ फैलाने लगते है। जिन किसानों को शंकाएं है उनका जवाब भी सरकार दे रही है। हमारा अन्नदाता आत्मनिर्भर भारत का अगुवाई करेगा। आज जिन किसानों को कुशंकाएं है। वे भी अपनी आय बढ़ाएंगे।
6 लेन हाईवे का उद्घाटन
भिंडिया से राजतालाब आने जाने वाले लोगों को परेशानी होती थी। हाईवे पर परेशानी आती थी। 70 किलोमीटर से ज्यादा का सफर आराम से और तेज रफ्तार में होगा। काशी और प्रयागराज के बीच आना-जाना आसान हो गया है। कावडियों और इस क्षेत्र के लोगों को जो परेशानी होती थी वो भी समाप्त हो जाएगी। काशी के सौदर्यीकरण के साथ कनेक्टिविटी पर हुआ काम दिख रहा है।
बनारस का सेवक होने के नाते प्रयास है कि यहां के लोगों की दिक्कतें कम हो और जीवन आसान हो। हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट पूरे किए गए और कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है। आज उत्तर प्रदेश की पहचान एक्सप्रेस प्रदेश के तौर पर हो रही है। यूपी में एक दर्जन एयरपोर्ट बन रहे है।
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