मुकदमा दर्ज होने के बाद थाने से ही मिल जाएगी सीएमएचओ को जमानत
बैतूल। जिला अस्पताल में पदस्थ नर्स सुष्मिता सिंह गौतम (Nurse Sushmita Singh Goutam) की संदिग्ध मौत के मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है। गंभीर आरोपों में घिरे सीएमएचओ डॉ. प्रदीप धाकड़ (CMHO Pradeep Dhakad) के खिलाफ अब तक कोई प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है। 11 अक्टूबर को घटना हुई थी, तीन दिन बीत जाने के बाद पुलिस FIR तक दर्ज नहीं कर पाई है। मामले में सीएमएचओ प्रदीप धाकड़ के रोल पर कई सवाल उठ रहे है। प्रदीप धाकड़ के साथ नर्स सुष्मिता सिंह मौजूद थी। देर रात कार दुर्घटनाग्रस्त हुई। गंभीर रूप से घायल नर्स ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
पीएम रिपोर्ट के इंतजार में गुजार दिए तीन दिन
शाहपुर-बैतूल रोड़ पर उड़दन के पास हादसा रविवार-सोमवार की दरमियानी रात हुआ था। सोमवार सुबह तक नर्स सुष्मिता सिंह की मौत हो चुकी थी। जिसके बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के इंतजार में तीन दिन गुजार दिए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सोमवार को ही पीएम रिपोर्ट भी मिल गई थी, लेकिन बुधवार रात तक मामला दर्ज नहीं हुआ। बता दें कि सीएमएचओ प्रदीप धाकड़ और नर्स सुष्मिता के रिश्तों को लेकर कई सवाल उठ रहे है।
‘गर्मी’ खत्म होने का इंतजार कर रही पुलिस
सीएमएचओ प्रदीप धाकड़ और नर्स सुष्मिता सिंह के संबंधों को लेकर कई बातें सामने आ रहीं है। स्थानीय मीडिया लगातार खुलासे कर रहा है। बीते तीन दिनों में बैतूल मीडिया के साथियों ने कई सनसनीखेज राज उजागर किए है। पूरे मामले में सीएमएचओ प्रदीप धाकड़ की भूमिका संदिग्ध है। मीडिया ने पुलिस की कार्रवाई पर तमाम सवाल उठाए है। यहीं वजह है कि तीन दिन से फ्रंट पेज की खबर बन रहे मामले के ठंडे होने का इंतजार किया जा रहा है। जांच की धीमी गति बता रही है, पुलिस इस मामले में आई गर्माहट के खत्म होने की इंतजार कर रही है।
थाने से ही घर लौट जाएंगे सीएमएचओ
आरोपों से घिरे सीएमएचओ डॉ. प्रदीप धाकड़ के खिलाफ पुलिस धारा 304 ए के तहत मामला दर्ज करेगी। लापरवाही से वाहन चलाने पर हुई मौत के मामले में इस धारा को लगाया जाता है। जबकि मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक नर्स सुष्मिता के परिजन ने प्रदीप धाकड़ पर हत्या के आरोप भी लगाए है। वहीं घटना से पहले नर्स के साथ गलत काम होने का भी अंदेशा है। बैतूल एसपी सिमाला प्रसाद ने द क्राइम इन्फो को बताया कि गुरुवार को डॉ. प्रदीप धाकड़ के खिलाफ धारा 304 ए के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। बता दें कि इस धारा में थाने से ही मुचलके पर जमानत हो जाती है। वहीं एसपी का ये भी कहना है कि मृतका का वेजिनाइल स्लाइड भी बनाया गया है। फॉरेंसिक रिपोर्ट के बाद धाराओं में इजाफा किया जा सकता है।
रातोंरात घटनास्थल से गायब हो गई कार
पाढ़र चौकी इलाके में रविवार देर रात हादसा हुआ था। सीएमएचओ की कार करीब 10 फीट गहरे नाले में गिरी थी। किसी तरह प्रदीप धाकड़ कार से निकलने में कामयाब हो गए थे, जिसके बाद ग्रामीणों की मदद से सुष्मिता को बाहर निकाला गया। कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी थी। जिसे रातोंरात घटनास्थल से हटा दिया गया। पुलिस की इस त्वरित कार्रवाई पर सवाल उठ रहे है। मीडिया रिपोर्ट्स बताती है कि चौकी प्रभारी मोहित दुबे को डर था कि कार का सामान चोरी न हो जाए। लिहाजा उन्होंने रात में ही क्रेन बुलवाकर कार उठवा ली और थाने ले आए। एसआई मोहित दुबे के इस कारनामे पर कई सवाल उठ रहे है। क्यों कि इस वजह से हादसे के साक्ष्यों को नुकसान पहुंचा है।
सीएमएचओ के नर्स से क्या रिश्ता था !
सीएमएचओ प्रदीप धाकड़ और नर्स सुष्मिता सिंह के बीच क्या रिश्ता था ? ये सवाल बैतूल जिले में गूंज रहा है। अखबार खबरवाणी के खुलासे के मुताबिक 22 जनवरी को डॉ. प्रदीप धाकड़ ने बैतूल सीएमएचओ का पद संभाला था। उनकी ज्वॉइनिंग के कराने नर्स सुष्मिता सिंह भी बैतूल पहुंची थी। इस दौरान प्रदीप धाकड़ और सुष्मिता सदर इलाके में स्थित एक होटल के रूम में रात रुके थे। ये डीलक्स रूम सीएमएचओ कार्यालय से बुक किया गया था। उस वक्त सुष्मिता नरसिंहपुर जिला अस्तपाल में पदस्थ थीं। सीएमएचओ के बैतूल पहुंचने के बाद सुष्मिता का ट्रांसफर भी बैतूल में हो गया था।
परिवार की आंखों में धूल झोंकते थे सीएमएचओ
घटना के बाद सीएमएचओ प्रदीप धाकड़ से जब पूछा गया कि उनके साथ सुष्मिता क्या कर रही थी। तो धाकड़ ने बताया था कि वो हर रविवार सुष्मिता के साथ शाहपुर के हनुमान मंदिर जाते थे। बता दें कि प्रदीप धाकड़ शादीशुदा है, उनके दो बच्चे भी है। परिवार की आंखों में धूल झोंककर प्रदीप धाकड़ नर्स सुष्मिता के साथ मंदिर जाते थे, इस बात पर कोई भरोसा कैसे करेगा।
स्वास्थ्य विभाग को सांप सूंघ गया !
पूरा मामला स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग के सीएमएचओ पर गंभीर आरोप लग रहे है। विभाग की एक नर्स की संदिग्ध मौत हो चुकी है। लेकिन विभागीय अधिकारियों बेसुध नजर आते है। गंभीर आरोपों के बावजूद सीएमएचओ के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई तो छोड़िए, कोई जांच तक नहीं की जा रही है। शिवराज सरकार भी इस मामले पर गंभीर नजर नहीं आ रही। स्वास्थ्य मंत्री प्रभूराम चौधरी का कोई बयान सामने नहीं आ रहा। प्रचार में लगे मंत्री से फोन पर भी संपर्क नहीं हो पा रहा है। जबकि इतने गंभीर मामले में अब तक विभागीय जांच शुरु हो जानी चाहिए थी। कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने भी मामले की न्यायिक जांच की मांग की है, उन्होंने सीएमएचओ को तुरंत निलंबित किए जाने की भी मांग की है।
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