MP Police Commissioner System: क्या अल्फा—डेल्टा के कॉल साइन रहेंगे या उसमें भी होगा सुधार, दो संभागों के निर्धारण में हुई ऐसी चूक
भोपाल। मध्यप्रदेश (MP Police Commissioner System) के दो शहरों भोपाल और इंदौर में गुरुवार से पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी गई है। हालांकि पहला कमिश्नर दोनों शहरों में कौन होगा यह शुक्रवार को साफ हो जाएगा। पहले मौजूदा अफसरों को ही जिम्मेदारी देने की अटकलें चल रही थी। लेकिन, ताजा गजट नोटिफिकेशन में आईजी को कमिश्नर बनाया जा रहा है। मतलब यह साफ हो गया है कि एडीजी साई मनोहर और हरिनारायण चारी मिश्र कमिश्नर नहीं रहेंगे। इसके अलावा जनता और पुलिस स्टाफ में इनके पदनाम और उनके कॉल साइन को लेकर चर्चाएं चल पड़ी है। उसे हम आपको सरल तरीके से समझाने का प्रयास कर रहे हैं।
सीपी से डीसीपी का होगा महत्वपूर्ण रोल
आईजी स्तर के मैदानी अफसर को अल्फा पहले से ही पुकारा जाता रहा है। अब यह पुलिस कमिश्नर होंगे। प्रत्येक जिले में दो शहर और ग्रामीण के आईजी भी होंगे। इसलिए इन्हें कॉल साइन अल्फा सिटी और अल्फा रुरल दिया जा सकता है। इसी तरह डीआईजी स्तर के प्रत्येक जिले में तीन अफसर होंगे। पुलिस कमिश्नर प्रणाली में इन्हें अतिरिक्त पुलिस आयुक्त पुकारा जाएगा। जिनका अंग्रेजी में शॉर्ट नेम एसीपी उच्चारण होता है। पुलिस कमिश्नर प्रणाली में डेल्टा एलओ और डेल्टा क्राइम होने की अटकलें हैं। देहात डीआईजी को डेल्टा रुरल पुकारा जा सकता है। इसकेे अलावा पुलिस उपायुक्त जो एसपी रैंक के अफसर होंगे उन्हें जोन नंबर के अनुसार डीसीपी कहा जा सकता है। इन्हीं अफसरों की भूमिका प्रणाली (MP Police Commissioner System) को सफल बनाने पर टिकी होगी।
ऐसे होगा काम का बंटवारा
प्रत्येक जोन के डीसीपी अपने—अपने क्षेत्र की जानकारी एसीपी को मुहैया कराएंगे। मसलन कानून व्यवस्था एसीपी को उससे जुड़ी जानकारी दी जाएगी। इसी तरह क्राइम और मुख्यालय एसीपी को जोन के डीसीपी जानकारी देंगे। दोनों डीसीपी जिले के सारे अपडेट सीपी को देंगे। सीपी प्रतिदिन एसीएस होम को इसकी ब्रीफिंग देंगे। चारों जोन के डीसीपी के पास एक—एक पुलिस उपायुक्त होगा। यह पुलिस उपायुक्त राज्य पुलिस सेवा के एएसपी स्तर केे अधिकारी होंगे। हालांकि पुलिस कमिश्नर प्रणाली में वे एडिशनल डीसीपी कहलाएंगे। प्रत्येक डीसीपी के पास तीन—तीन संभाग होंगे। संभाग में जो सीएसपी होते थे अब वे असिस्टेंट कमिश्नर आफ पुलिस कहलाएंगे। यह राज्य पुलिस सेवा के डीएसपी कैडर के अफसर होंगे। प्रत्येक संभाग को तीन—तीन थानों की जिम्मेदारी दी गई है।
यहां होगी मैदानी कर्मचारियों को मुसीबत
मेट्रोपोलिटिन बनने के साथ—साथ संभाग का भी सीमांकन किया गया है। कई संभागों में आमूलचूल परिवर्तन किया गया है। यह परिवर्तन काफी अव्यवहारिक दिखाई दे रहा है। इसका असर जनता के साथ—साथ मैदानी पुलिस कर्मचारियों पर पड़ेगा। हबीबगंज संभाग को नए सिरे से बनाया गया है। पहले इसमें हबीबगंज के अलावा चूना भट्टी और कोलार थाने आते थे। अब इस संभाग में चूना भट्टी और कोलार के स्थान पर शाहपुरा और अशोका गार्डन जोड़ा गया है। शाहपुरा और हबीबगंज व्यवहारिक है लेकिन अशोका गार्डन काफी अव्यवहारिक थाना लिया गया है। मसलन यदि थाने की कोई शिकायत करनी हो तो उसको हबीबगंज थाने जाना होगा। यहां सहायक पुलिस आयुक्त का कार्यालय है। यही समस्या थाने की डाक से भी जुड़ी होगी।
एक संभाग के दो थाने देहात गए
इसी तरह अयोध्या नगर संभाग को खत्म कर दिया गया है। इस संभाग में पहले बिलखिरिया, सुखी सेवनिया थाने हुआ करते थे। इसके दो थाने देहात क्षेत्र में चले गए हैं। अयोध्या नगर थाने को एमपी नगर संभाग में मिलाया गया है। इस संभाग में एमपी नगर, अयोध्या नगर के अलावा अरेरा हिल्स थाना रहेगा। अयोध्या नगर थाने की शिकायत जनता को करनी हो तो उसे एमपी नगर अब जाना होगा। क्योंकि एमपी नगर थाने के उपर सहायक पुलिस आयुक्त का कार्यालय है। अरेरा हिल्स थाना पहले जहांगीराबाद संभाग में था। वहीं चूना भट्टी नया संभाग बनाया गया है। इसमें केवल दो थाने रहेंगे। चूना भट्टी और कोलार थाना। चूना भट्टी सहायक पुलिस आयुक्त नियुक्त किया जाना अभी बाकी है। इसी तरह मिसरोद संभाग से शाहपुरा थाना लेकर हबीबगंज संभाग को दिया गया है। मिसरोद संभाग में अब बागसेवनिया, कटारा हिल्स और मिसरोद थाना रहेगा।
एसपी देहात के साथ सरकार की नाइंसाफी
इसी समस्या से जोन—4 के पुलिस उपायुक्त रुबरु होंगे। दरअसल, उनके पास निशातपुरा और बैरागढ़ एक रुट में पढ़ने वाले क्षेत्र होंगे। लेकिन, चूना भट्टी संभाग जाना उनके लिए आधा शहर नापने जैसा होगा। इसकेे अलावा गजट नोटिफिकेशन (MP Police Commissioner System) में एसपी देहात को एएसपी अफसर मुहैया नहीं कराया है। सात थानों की सीधी जिम्मेदारी देहात एसपी के पास होगी। इसी तरह डीएसपी को भी लेकर स्थिति अभी साफ नहीं हुई है। जबकि भोपाल शहर के लिए तीन थानों में एक सहायक पुलिस आयुक्त दिया गया है। वहीं तीन संभागों में एक एडिशनल डीसीपी दिया गया है। हालांकि राज्य सरकार ने पुलिस उपायुक्तों और पुलिस सहायक आयुक्तों को विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट के अधिकार दिए हैं। ऐसी अवस्था में मृत्यू पूर्व कथन लेने अफसरों को अब एसडीएम का इंतजार नहीं करना होगा।
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