Nirbhaya Case : 7 दिन में दया याचिका नहीं लगाई तो फांसी पर लटका दिए जाएंगे दरिंदे

Share

जेल अधीक्षक ने 4 दोषियों को थमाए नोटिस, राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने के लिए दिया 7 दिन का वक्त

दरिंदगी के दोषी

नई दिल्ली। निर्भया कांड (Nirbhaya Case) के दोषियों ने 7 दिन में राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका (Mercy Petition) दायर नहीं की तो उन्हें फांसी के फंदे पर लटका दिया जाएगा। तिहाड़ जेल (Tihar Jail) के अधीक्षक ने इस संबंध में दोषियों को नोटिस जारी कर दिए है। दरिंदगी के चार दोषियों को अधीक्षक ने नोटिस जारी करते हुए कहा है कि यदि मत्युदंड के खिलाफ राष्ट्रपति (President) के समक्ष दया याचिका दायर करना चाहते है तो नोटिस मिलने के 7 दिन के अंदर जेल अधिकारियों के माध्यम से इसे दर्ज कर सकते है। 16-17 दिसंबर 2012 की दरमियानी रात में 6 दरिंदों ने निर्भया कांड (Nirbhaya Case) को अंजाम दिया था। सामूहिक दुष्कर्म (Gang Rape) के बाद निर्भया से मारपीट की गई थी, उसके साथ दरिंदगी की सारी हदें पार की गई। निर्भया 23 वर्षीय पैरामेडिकल की छात्रा थी, उसे गंभीर हालत में सिंगापुर के माउंट एलिजावेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 29 दिसंबर को उसकी मौत हो गई थी।

तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने कहा, “चार में से तीन आरोपी तिहाड़ जेल में और एक आरोपी मंडोली स्थित जेल नंबर- 14 में बंद है। चारों आरोपियों को ट्रायल कोर्ट से मिली सजा-ए-मौत पर हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में भी मुहर लगाई जा चुकी है.”

उल्लेखनीय है कि चारों आरोपियों को ट्रायल कोर्ट से मिली फांसी की सजा के खिलाफ याचिका डालने का अधिकार था। उसके बाद रिव्यू-पिटिशन (पुनर्विचार याचिका) भी मुजरिम डाल सकते थे। चारों ने मगर इन दो में से किसी भी कदम पर अमल नहीं किया।

यह भी पढ़ें:   देश में टर्निंग पाइंट के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

निर्भया कांड को 6 दरिंदों ने अंजाम दिया था, इस मामले के एक आरोपी राम सिंह ने जेल में फांसी लगाकर जान दे दी थी। इस वारदात में शामिल नाबालिग आरोपी को बाल सुधार गृह में तीन साल की सजा काटने के बाद छोड़ दिया गया था।

कानून के जानकारों का कहना है कि चारों मुजरिमों ने अगर तय समय यानि सात दिन के अंदर राष्ट्रपति के यहां दया याचिका दाखिल नहीं की तो अगले कदम के रुप में तिहाड़ जेल प्रशासन यह तथ्य सजा सुनाने वाली ट्रायल कोर्ट के पटल पर रख देगा। उसके बाद ट्रायल कोर्ट कानूनन कभी भी मुजरिमों का डैथ-वारंट जारी कर सकता है। डैथ-वारंट जारी होने का मतलब मुजरिमों का फांसी के फंदे पर लटकना तय है।

Don`t copy text!