नाबालिग से दुष्कर्म का दोषी है नारायण साईं
सूरत। दुष्कर्म के मामले में जेल में बंद आशाराम के बेटे नारायण साईं को सूरत की सेशंस कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही उस पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। नारायण साईं का साथ देने वाले चार आरोपियों को भी 10-10 साल की कैद और 5-5 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई है। सूरत में रहने वाली दो सगी बहनों के आरोप में नारायण साईं को दोषी करार दिया गया था। बड़ी बहन के साथ आशाराम और छोटी बहन के साथ नारायण साईं ने दुष्कर्म किया था। बाप-बेटे इन पीड़िताओं को वर्षों तक अपनी हवस का शिकार बनाते रहे थे। पीड़िता के बयान और मौके पर मिले सबूतों के आधार पर नारायण साईं को दोषी करार दिया है। इस मामले में 53 लोगों की गवाही हुई थी। गवाहों में वो लोग शामिल थे जिन्होंने पीड़िता के साथ दुष्कर्म होते हुए देखा था या मदद की थी। नारायण साईं को दिसंबर 2013 में गिरफ्तार किया गया था। वहीं आशाराम के खिलाफ दुष्कर्म का मामला गांधीनगर कोर्ट में चल रहा है।
बाप-बेटे की करतूत का ऐसे हुआ खुलासा
2013 से पहले आशाराम और उसका बेटा दुनिया के सामने आध्यात्मिक गुरु बनकर पेश होते थे। लेकिन उनकी काली करतूत का खुलासा हुआ तो उनके भक्त भी शर्मसार हो गए। उत्तर प्रदेश के एक परिवार के साथ हुई घटना ने बाप-बेटे की गंदी हरकतों को उजागर कर दिया। शाहजहांपुर में रहने वाले एक ट्रांसपोर्टर का परिवार आशाराम को भगवान का दर्जा देता था। यहीं कारण था कि उसने अपने दो बच्चों को भी आशाराम ट्रस्ट के छिंदवाड़ा स्थित स्कूल में भर्ती कराया था। 7 अगस्त 2013 को ट्रांसपोर्टर के पास स्कूल से एक फोन आया। बताया गया कि उसकी बेटी की तबियत खराब हो गई है। परिवार दौड़ा-दौड़ा छिंदवाड़ा पहुंचा, तो हॉस्टल की वार्डन ने उनसे कहा कि उनकी बेटी पर काला साया है। जिसे सिर्फ आशाराम ही दूर कर सकता है। आशाराम की भक्ती में लीन परिवार अपनी बेटी को लेकर दिल्ली पहुंचा। लेकिन वहां आशाराम नहीं मिला। पता चला कि वो जोधपुर में है। परिवार जोधपुर पहुंचा और आशाराम को बेटी की तबियत की जानकारी दी। जिसके बाद बच्ची को आशाराम एक झोपड़ी नुमा आश्रम में ले गया। जहां उसके साथ ओरल सेक्स किया। झोपड़ी के बाहर बच्ची के माता-पिता उसके ठीक होने की प्रार्थना कर रहे थे और अंदर आशाराम अपनी हवस मिटा रहा था। थोड़ी देर में बच्ची रोते हुए बाहर निकली और घर जाने की जिद करने लगी। घर पहुंचकर उसने अपने पिता को आपबीती सुनाई। ये सुनकर तमतमाया पिता आशाराम से मिलने दिल्ली पहुंचा। लेकिन उसने मिलने से इनकार कर दिया। तंग आकर उसने 20 अगस्त को कमलानगर थाने में आशाराम के खिलाफ मामला दर्ज कराया। 31 अगस्त को जोधपुर पुलिस ने आशाराम को गिरफ्तार किया था। आगे पढ़ेः दो सगी बहनों ने खोल दी पोल