Fisheries Company Scam Part-2: मध्य प्रदेश में किसानों से ठगी करने वाली कई दुकानें खुली, आपस में जंग लड़ रही कंपनियां
भोपाल। मध्य प्रदेश में 200 से अधिक किसानों से पैसा वसूल कर रातोंरात करोड़पति बन रहे शातिर कंपनियों की कई दुकानें खुल गई है। इसकी शुरुआत हरियाणा में स्थित गुरुग्राम की फिश फॉरच्यून कंपनी (Fisheries Company Scam Part-2) से हुई थी। इस कंपनी में काम करने वाले कई अफसरों ने अपनी—अपनी दुकानें खोल ली है। अब इन तीनों कंपनियों के बीच प्रदेश के किसानों से पैसा वसूलने के लिए होड़ मची है। जिसका खामियाजा किसान ही भोग रहा है। उसके सामने असली—नकली कंपनी को पहचानने में पसोपेश की स्थिति बन गई है।
यहां से शुरु हुई कहानी
मध्य प्रदेश में 200 से अधिक किसानों ने मछली उत्पादन के लिए तालाब खुदवाए। जिसमें अनुबंध की शर्तों के अनुसार जिन मछलियों के बच्चे तालाब में छोड़ने थे वैसा किया नहीं गया। नतीजतन, कई किसान गरीबी की रेखा से नीचे चला गया। इसकी शुरुआत सबसे पहले हरियाणा की फिश फॉरच्यून प्रोड्यूस कंपनी (Fish Fortune Produce Company) से हुई थी। जिसके सीएमडी बृजेन्द्र कश्यप (Brijendra Kashyap) और सीईओ विनय शर्मा (Vinay Sharma) है। अब यह दोनों कंपनी के संचालक किसानों से मुंह मोड़कर यहां—वहां छुपाते भाग रहे हैं। दरअसल, उनके खिलाफ कई जिलों में शिकायतें हुो चुकी है। इसी कंपनी के लिए पहले धर्मेन्द्र ठाकुर, देवेन्द्र जायसवाल, प्रहलाद शर्मा (Prahlad Sharma), मनोज कटारे (Manoj Katare) किसानों को झांसे में लेकर उन्हें ग्राहक बनाते थे। लेकिन, जब शिकायतों होने लगी तो कई ने नौकरी छोड़ दी।
यह भी पढ़ें: पूर्व सांसद के बेटे के साथ मछली ठेकेदार ने कैसे कर दी धोखाधड़ी
अब यह चल रहा है
जानकारी के अनुसार फिश फॉरच्यून प्रोड्यूस कंपनी के नियमों में थोड़ा सुधार करके नई कंपनियां बनाई गई। यह कंपनियां मध्य प्रदेश में बनाई गई है। एक कंपनी कटारा हिल्स में रहने वाले देवेन्द्र जायसवाल (Devendra Jaisawal) ने बनाई है। उनकी कंपनी का नाम एडीएफसी निधि लिमिटेड है। जिसका दफ्तर मानसरोवर काम्पलेक्स में है। जबकि दूसरी कंपनी धर्मेन्द्र ठाकुर (Dharmendra Thakur) ने बनाई है जिसका नाम फिश प्रॉफिट है। यह जानकारी देते हुए फिश फॉरच्यून प्रोड्यूस कंपनी के शिकार बने शातंनु खत्री (Shantanu Khatri) ने दी है। उन्होंने बताया कि यह कंपनियां उन किसानों के पास भी गई है जिन्हें पहली कंपनी के कहने पर तालाब खोदने के लिए अनुबंध किया था।
यह है मामला
मध्य प्रदेश में 200 से अधिक किसानों के साथ मछली पालन के नाम पर भारी फर्जीवाड़ा (Fisheries Company Scam Part-2) किया गया है। इसके शिकार किसान बैतूल, देवास, विदिशा, भोपाल, रायसेन, सागर समेत कई अन्य जिलों में बने हैं। किसानों से चैन की तरह तालाब खुदवाने पर साढ़े पांच लाख रुपए देकर मछली पालन का करार कंपनी से किया गया था। फिश फॉरच्यून प्रोड्यूस कंपनी ने इस करार के विपरीत जाकर काम किया। जिस कारण कई किसानों का लाखों रुपए का नुकसान हो गया। नतीजतन, किसान मध्य प्रदेश की ईओडब्ल्यू, पुलिस मुख्यालय, लोकायुक्त कार्यालय से लेकर कई अन्य जगहों पर शिकायतें कर चुके हैं।
मत्स्य विभाग की चुप्पी
इस मामले में किसान अपने स्तर पर लड़ाई लड़ रहे हैं। हालांकि एक प्रतिनिधि मंडल जल्द मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा (Home Minister Narrottam Mishra) से मुलाकात करके शिकायत करने की तैयारी कर रहा है। इससे पहले मत्स्य विभाग की तरफ से हुई शिकायत पर भोपाल क्राइम ब्रांच ने जांच शुरु की थी। जिसकी मीडिया रिपोर्ट भोपाल से प्रकाशित दैनिक भास्कर में की गई थी। इसी अखबार में सोमवार के अंक में कंपनियां के आपसी मामला बताकर क्लीनचिट देने की जानकारी दी गई है। हालांकि द क्राइम इंफो इस जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।
यह है किसानों के आरोप
फिश फॉरच्यून कंपनी के झांसे में फंसे किसानों में शातंनु खत्री, मेहनाज बानो (Mehnaz Bano) समेत कई लोगों ने द क्राइम इंफो से बातचीत में बताया है कि जो करार हुआ था उसका उल्लंघन किया गया है। जैसे मछली के बच्चे तालाब में 40 हजार छोड़ने, महंगी कीमत वाली मछली को छोड़ने, चौकीदार का भुगतान, बिजली के बिल भुगतान समेत कई अन्य करारों का उल्लंघन किया गया है। जिसकी शिकायत किसान कर रहे हैं। मामला धर्मेन्द्र ठाकुर या फिर देवेन्द्र जायसवाल का नहीं है। यह मामला बृजेन्द्र कश्यप की कंपनी से जुड़ा है। इसके बावजूद पुलिस मामले का विवादित बनाकर पूरे केस को दूसरा रुप दे रही है।
नोट: 24 जून की सुबह साढ़े आठ बजे पढ़िए किस पत्रकार को थी जानकारी फिर दफ्तर में क्या—क्या हुआ