नई दिल्ली। मशहूर भारतीय नाटककार, निर्देशक और अभिनेता गिरीश कर्नाड (Girish Karnad) ने आज 10 जून को आखिरी सांस ली। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन पर फिल्मी हस्तियों, लेखकों से लेकर सामाजिक हलकों और राजनीतिक जगत में भी लोगों की आंखें नम हो गईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM MODI) ने भी उनके निधन पर संवेदना व्यक्त करते हुए लिखा— “गिरीश कर्नाड विभिन्न माध्यमों में की गई अपनी बहुआयामी अदाकारी के लिए याद किए जाएंगे। उन्हें जो विषय उद्वेलित करते थे, उन पर उन्होंने मजबूती से पूरी भावना के साथ अपनी बात रखी। उनके काम आने वाले वर्षों में भी लोकप्रिय रहेंगे। उनके निधन से दुखी हूं। उनकी आत्मा को शांति मिले।”
Girish Karnad will be remembered for his versatile acting across all mediums. He also spoke passionately on causes dear to him. His works will continue being popular in the years to come. Saddened by his demise. May his soul rest in peace.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 10, 2019
प्रधानमंत्री के ट्वीट पर आई प्रतिक्रियाओं में से कुछ ऐसी थीं
Sorry @narendramodi I will not remember him in my life as he has spoken against my country in some sorts of these things .I m happy with God for this ..this is my personal view against him .. pic.twitter.com/zapGNCwAnW
— Natul.B.Jain.. (@natulbj2b) June 10, 2019
आप धन्य है सर, लगता है आप भूल गए ये भी तो एजेंडा चलाने वाले अवार्ड वापसी गैंग का एक सदस्य था, खैर अब नरक में अपना एजेंडा चलाएगा जाकर ?
— Satyendra Kumar (@ExAapiya) June 10, 2019
मौत तो सबको आनी तो शोक कैसा
— Adv Lokesh Solankey (@lksolankey) June 10, 2019
एक कलाकार के तौर पर मैं गिरीश कर्नाड जी का सम्मान करता हूँ। पर एक हिंदू राष्ट्रभक्त होने के नाते, बीफ पार्टी, भारत तेरे टुकड़े होंगे इशां अल्लाह इशां अल्लाह और अर्बन नक्सलवादियों का समर्थन करने वाले व्यक्ति से मुझे नफरत है??
??— Dinesh Chawla (@dinesh_chawla) June 10, 2019
ट्विटर पर किए गए प्रधानमंत्री के इस पोस्ट पर मिश्रित प्रतिक्रिया आईं। ज्यादातर लोगों ने प्रधानमंत्री के विचारों से सहमत होते हुए अपनी संवेदनाएं भी साझा कीं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री की यह श्रद्धांजलि रास नहीं आई। इसकी वजह है गिरीश कर्नाड के कुछ बयान। असल में पिछले दिनों बंगलुरू के एक कार्यक्रम में गिरीश कर्नाड ने खुद को अर्बन नक्सल घोषित किया था और अर्बन नक्सल लिखी हुई पट्टी गले में लटकाकर वे कार्यक्रम में पहुंचे थे। तब अन्य हस्तियों ने भी ऐसा किया था।
यह वह वक्त था, जब देश में अर्बन नक्सल के नाम पर आदिवासी हलकों में काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा था। कई लेखकों पर हमले और हत्याओं के बाद लेखक व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने खुद को अर्बन नक्सल कहना शुरू किया था। इसमें तमाम दिग्गज हस्तियां भी शामिल थी।
गौरतलब है कि कन्नड़ नाटकों के जरिये अपनी पहचान बनाने वाले गिरीश कर्नाड अच्छे अभिनेता भी थे। उन्होंने सैकड़ों फिल्मों के जरिये अपनी छाप छोड़ी। उनके कन्नड़ में लिखे नाटक अंग्रेजी और अन्य कई भारतीय भाषाओं में भी सराहे गए हैं। पहला ही नाटक ययति जो करीब 1961 में आया, फिर तुगलक जो ययति के तीन साल बाद आया। कई निर्देशकों ने मंच पर उतारे। लेखन के क्षेत्र में वे संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार 1972, पद्मश्री 1974, पद्मभूषण तथा कन्नड़ साहित्य अकादमी पुरस्कार 1992, साहित्य अकादमी पुरस्कार 1994, ज्ञानपीठ पुरस्कार 1998 से नवाजे गए।
नाटकों के बाद वे फिल्मों में आए। वंशवृक्ष नाम की कन्नड़ फ़िल्म के जरिये उन्होंने निर्देशन की शुरुआत की और फिर कन्नड़ और हिन्दी फ़िल्मों में उनका शानदार अभिनय अलग से रेखांकित किया जा सकता है। 1977 में आई उनकी फिल्म जीवन मुक्त के पात्र अमरजीत को याद करना और देखना एक अलग सिनेमाई अनुभव है। फिल्मों में 1980 में गोधुली के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ पटकथा के फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार से बी.वी. कारंत के साथ साझा रूप से नवाजा गया। इसके अलावा भी वे कई राज्य स्तरीय और राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित हुए।
गिरीश कर्नाड के बेटे रघु अमय कर्नाड एक सुप्रसिद्ध पत्रकार हैं और उनकी बेटी शलमली राधा दुनिया की चंद मशहूर डॉक्टरों में शुमार हैं। वैसे बेटी राधा ने बतौर बाल कलाकार एक फिल्म में भी काम किया है।