Court Judgment : सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध बलात्कार नहीं

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ड्राइवर की पत्नी से दुष्कर्म के आरोपी को कोर्ट ने किया बरी

सांकेतिक फोटो

मुंबई। महाराष्ट्र की एक अदालत ने ड्राइवर की पत्नी के साथ दुष्कर्म (Rape)  के आरोपी को बरी (Acquits) कर दिया। 56 वर्षीय शख्स को बरी करते हुए कोर्ट ने कहा कि सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध (consensual relationship) बलात्कार (Rape) नहीं है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीष आर आर वैष्णव ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष ईंट भट्टा मालिक श्रीधर पाटिल (Shridhar Patil) के खिलाफ बलात्कार के आरोप साबित करने में विफल रहा। अभियोजन पक्ष के मुताबिक महिला का पति आरोपी श्रीधर पाटिल के यहां काम करता था। वो उसकी गाड़ी चलाता था, लिहाजा महिला की पहचान श्रीधर से हो गई थी। श्रीधर उसके घर भी जाया करता था। 2013 में आरोपी ने महिला को ठाणे जिले के भिवंडी में एक लॉज में बुलाया था। महिला ने इस बात से इनकार किया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई। जिसके बाद वो लॉज में गई, जहां आरोपी ने उसके साथ पहली बार दुष्कर्म किया।

जिसके बाद कई बार आरोपी ने महिला को अपनी हवस का शिकार बनाया। महिला ने जब भी विरोध किया तो उसे बदनाम करने और पति को नौकरी से निकालने की धमकी दी गई। आरोपी ने महिला को कुछ पैसे भी दिए थे। 2014 में महिला के पति की मौत हो गई। जिसके बाद मामला दर्ज कराया गया।

मामले में फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा कि महिला ने अपने बयान में कहा कि वह आरोपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करना चाहती थी। अपनी जिरह के दौरान, उसने स्वीकार किया कि उसके और आरोपी के बीच सहमतिपूर्ण संभोग था, इसलिए वह उसके खिलाफ मुकदमा वापस लेना चाहती थी।

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महिला ने आगे स्वीकार किया कि जब उसके भाई की पत्नी को इस रिश्ते के बारे में पता चला तो उसने श्रीधर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। न्यायाधीश ने कहा महिला के ये बयान अभियोजन की कहानी को गलत बता रहे है। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 375 बलात्कार को “उसकी सहमति के बिना एक महिला के साथ संभोग” के रूप में परिभाषित करती है। न्यायाधीश ने कहा कि सहमति का निष्कर्ष केवल सबूत और मामले की संभावना के आधार पर निकाला जा सकता है।

बलात्कार और सहमति से सेक्स के बीच स्पष्ट अंतर है। लिहाजा पीड़ित के बयान अधिक महत्वपूर्ण है। महिला के बयानों से साफ होता है कि जब तक उसके भाई की पत्नी को इस रिश्ते के बारे में पता नहीं था, तब तक उसने श्रीधर के खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं की होगी। “इस प्रकार, पीड़ित के बयान से निष्कर्ष निकलता है कि कथित संभोग बलात्कार नहीं था। पीड़ित और अभियुक्त की सहमति से संभोग था। लिहाजा आरोपी को बरी किया जाता है।

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