प्रत्याशियों में मचा हड़कंप, त्रिकोणीय मुकाबले में बड़े शहर तय करेंगे अध्यक्ष
भोपाल। (Bhopal) मध्यप्रदेश में हो रहे युवा कांग्रेस चुनाव (Youth Congress Election) में नए नियम से हड़कंप मच गया है। नियम के फेर में 20 हजार से ज्यादा वोट रद्द होने की आशंका जताई जा रही है। वोटिंग के बाद आए निर्देशों पर सवाल उठने शुरु हो गए है। प्रदेशभर में 1 लाख 10 हजार के करीब वोटिंग हुई है। परिणाम 18 दिसंबर को आएंगे। इससे पहले वोट रद्द होने की खबर ने प्रत्याशियों में हलचल पैदा कर दी है।
3 साल बाद कैसे होगा फोटो मिलान ?
नए नियम के मुताबिक सबसे ज्यादा वोट फोटो मिलान न होने पर रद्द होंगे। अब सवाल ये उठ रहे है कि 3 साल बाद फोटो मिलान कैसे होगा ? बता दें कि युवा कांग्रेस चुनाव की कवायद 2018 से चल रही है। दो बार मेंबरशिप अभियान चल चुके है। ऐसे में समय बीतने की वजह से चेहरों में बदलाव आना स्वाभाविक है। तो फिर फोटो मैच कैसे होगा। वहीं कोरोना काल में कार्यकर्ता भी मास्क पहने हुए है। लेकिन नियम के मुताबिक मास्क वाली सेल्फी को रिजेक्ट माना जाएगा। लिहाजा सवाल उठ रहे है कि वोटिंग से पहले ये नियम क्यों नहीं बताए गए।
त्रिकोणीय मुकाबले में किसने सिर सजेगा ताज ?
मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस का चुनाव त्रिकोणीय हो गया है। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए विक्रांत भूरिया, संजय सिंह यादव और विवेक त्रिपाठी के बीच सीधा मुकाबला है। विक्रांत भूरिया को दिग्विजय सिंह का समर्थन मिल रहा था। वहीं संजय सिंह यादव के पीछे पूर्व मंत्री जीतू पटवारी और विधायक कुणाल चौधरी की शक्ति लगी हुई है। एनएसयूआई प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने पूरी दमदारी और नब्ज पकड़कर चुनाव लड़ा है। ऐनवक्त पर एनएसयूआई अध्यक्ष विपिन वानखेड़े ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। लिहाजा कहा जा रहा है कि वानखेड़े और विवेक त्रिपाठी की जोड़ी बड़े नेताओं को चौंका सकती है।
बड़े शहर तय करेंगे, कौन जीतेगा
मध्यप्रदेश में 1 लाख से ज्यादा एक्टिव सदस्यों ने वोटिंग की है। सबसे ज्यादा वोटिंग बड़े शहरों में हुई है। लिहाजा इन शहरों की वोटिंग ही अध्यक्ष पद पर जीत हार तय करेगी। राजधानी भोपाल में 6568, ग्वालियर में 8155, इंदौर में 9228, जबलपुर में 8683, उज्जैन में 7032 वोट डाले गए है।
नए नियमों के पीछे साजिश !
परिणाम से ठीक तीन दिन पहले आए नए नियमों के पीछे गहरी साजिश की आशंका जताई जा रही है। युवा कांग्रेस के नेता मुखर होकर इसका विरोध कर रहे है। अंदरखाने की खबर है कि बड़े नेताओं के इशारे पर ऐसे नियम बनाए गए है। जिससे उनकी पसंद का कैंडिडेट न जीते तो 5-10 हजार वोट रद्द करके जिताया जा सके।
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