मामूली धारा में दर्ज किया मामला, घटना की जानकारी देने में फूले अधिकारियों के हाथ पांव
बैतूल। (Betul) मध्यप्रदेश के बैतूल (Betul) जिले से मां-बेटी के साथ मारपीट का सनसनीखेज मामला सामने आया है। महिला और उसकी बेटी की बेरहमी से की गई पिटाई का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। घटना सारणी (Sarni) कस्बे की शोभापुर कॉलोनी (Shobhapur Colony) की बताई जा रही है। मामले में पुलिस की गंभीर लापरवाही सामने आई है। घटना 16 अगस्त की है। लेकिन वीडियो वायरल होने बाद पुलिस की नींद खुली। 21 अगस्त को मामला दर्ज किया गया है।
मामले का भाजपा कनेक्शन
भाजपा पार्षद के परिवार पर महिला आशागिरी (Ashagiri) और उसकी बेटी से मारपीट करने के आरोप लगे है। पार्षद पति प्रवीण सूर्यवंशी मुख्य आरोपी है। जानकारी के मुताबिक पार्षद पति और उसके परिवार ने ही महिला से मारपीट की है। आरोपी परिवार पीड़ित मां-बेटी से कई बार मारपीट कर चुका है। 16 अगस्त को भी दोनों की बेरहमी से पिटाई की गई थी। जिसके बाद पीड़ित पक्ष थाने भी पहुंचा था, लेकिन आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज नही किया गया।
वीडियो वायरल होने पर जागी पुलिस
घटना के पांच दिन बाद जब मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट से वीडियो शेयर किया गया तो हड़कंप मच गया। जिसके बाद आनन-फानन में आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। लेकिन फिर भी पुलिस आरोपी पक्ष को बचाती नजर आ रही है। जानकारी के मुताबिक पीड़ित पक्ष दलित समाज से है। लेकिन एट्रोसिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज नहीं किया गया है। मुकदमा साधारण धाराओं में 323 , 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
कांग्रेस ने शेयर किया वीडियो
बीजेपी नेताओं का क़हर,
—बेटी चीखती रही, माँ को पीटते रहे;मप्र के बैतूल ज़िले के सारणी में एक दलित माँ-बेटी पर बीजेपी और आरएसएस के नेता टूट पड़े..!
शिवराज जी,
आपने मध्यप्रदेश को जंगलराज के बाद अब रावणराज, राक्षसराज होते हुये नरकराज तक पहुँचा दिया है।“शर्म करो शवराज” pic.twitter.com/q1QI5HPcPQ
— MP Congress (@INCMP) August 21, 2020
अधिकारियों के हाथ-पांव फूले
प्रदेश स्तर पर मामला उठने के बावजूद पुलिस का रवैया नहीं बदला है। मामले थाने से लेकर एसपी तक कोई जानकारी देने को तैयार नहीं है। द क्राइम इन्फो को एसपी शिमाला प्रसाद ने बताया कि उन्हें जानकारी नहीं है, थाने से पूछिए। थाना प्रभारी महेंद्र सिंह चौहान छुट्टी पर चले गए है, लिहाजा उन्होंने कहा कि एसडीओपी से बात करिए। एसडीओपी अभयराम चौधरी से बात की गई तो पता चला कि उन्हें तो कुछ पता ही नहीं है। एसडीओपी साहब आरोपियों का नाम और घटना की जानकारी ही नहीं दे सके।