Bhopal Cheating Case : रेल मंत्रालय के जनरल सेकेट्री और गृह विभाग के अवर सचिव के नामों का गलत इस्तेमाल
भोपाल। (V Live India Company Cheating Case) जालसाजी के एक मामले को पुलिस एक साल से टाल रही थी। पीड़ित व्यापारी ने थाने से लेकर पुलिस मुख्यालय में डीजीपी तक फरियाद लगाई। लेकिन, यदि सिस्टम ने तय कर लिया हो कि उसे न्याय नहीं दिलाना है तो वह मिल ही नहीं सकता। नतीजतन, पीड़ित ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने थाना पुलिस समेत अफसरों को जमकर फटकार लगाई। जिसके बाद पुलिस ने जालसाजी (Bhopal Cheating Case) का प्रकरण दर्ज कर लिया। घटना मध्य प्रदेश (MP Crime News) की राजधानी भोपाल (Bhopal Crime News) की है। जहां सरकार के सारे छोटे—बड़े अफसर जनता की सेवा के लिए तैनात हैं।
यहां से शुरु हुई कहानी
इतवारा निवासी धर्मेन्द्र सिंह राजपूत पिता भंवरलाल उम्र 30 की इतवारा में ही धर्मेन्द्र इलेक्ट्रॉनिक (Dharmendra Electronics) नाम से दुकान हैं। वे नई दिल्ली में व्ही लाइव इंडिया प्रायवेट लिमिटेड (V Live India Private Limited) से सेट अप बॉक्स लेते थे। इस कंपनी का दफ्तर जनकपुरी में है। वहीं एक कॉर्पोरेट आफिस जयपुर (Jaipur News) में भी है। इस कंपनी के तीन डायरेक्टर मनीष शर्मा (Manish Sharma), सोनू शर्मा और दिलजीत सिंह डोंगर (Diljeet Singh Dongar) हैं। तीनों को पहले से धर्मेन्द्र माल खरीदने के चलते पहचानते थे। इन तीनों ने मिलकर उसको झांसा (Bhopal Fourjery Case) दिया था।
ऐसे जाल में फंसाया
धर्मेन्द्र सिंह राजपूत (Dharmendra Singh Rajput) ने बताया कि मनीष शर्मा, सोनू शर्मा (Sonu Sharma) और दिलजीत सिंह डोंगर ने दावा किया था कि वे एक सेट अप बॉक्स बना रहे है। उसको बेचने पर ग्राहकों को सारे चैनल फ्री में मिलेंगे। इसके लिए सेटअप बॉक्स की कीमत के अलावा 72 रुपए अतिरिक्त देने होंगे। तीनों ने कहा कि प्रोडक्ट लांचिंग के लिए रेल मंत्रालय के जनरल सेकेट्री संदेश यादव (Sandesh Yadav), गृह विभाग के अवर सचिव नेहा श्रीवास्तव (Neha Shrivastav) मुख्य अतिथि रहेंगे। एक आमंत्रण पत्र भी उसको सोशल मीडिया पर दिया गया।
ऐसे फंसता चला गया
धर्मेन्द्र सिंह प्रोडक्ट लॉच के (Delhi Set Up Box Dhoka) सिलसिले में वह लोधी रोड दिल्ली गया था। वहां यह दोनों अफसर दिखाई नहीं दिए। वहां तीनों आरोपियों ने दूसरे वितरकों से मुलाकात कराई। एक जिले के लिए एक लाख रुपए और चार लाख रुपए का माल 15 दिन की क्रेडिट पर देने का अनुबंध करना था। धर्मेन्द्र ने भोपाल, इंदौर, होशंगाबाद के अलावा अन्य जिलों के लिए रुचि दिखाई। इसके लिए उसने दो किस्त में 6 लाख रुपए का भुगतान किया।
पहले आरोपी फिर सिस्टम के धक्के
आरोपी मनीष शर्मा, दिलजीत सिंह डोंगर और सोनू शर्मा को मार्च और अप्रैल, 2019 में इलाहाबाद बैंक से एनएफटी के जरिए रकम पहुंचाई गई। इसके बाद उसको माल नहीं दिया गया। आरोपी उसको केवल दिलासा देते रहे। जब धर्मेन्द्र सिंह राजपूत को लगा कि वह फंस गया है तो वह जून, 2019 में कोतवाली थाने गया। इसके बाद वह सीएसपी, एएसपी, एसपी, डीआईजी, आईजी से लेकर डीजीपी तक गया।
कॉल डिटेल मांगी गई
धर्मेन्द्र सिंह राजपूत की एफआईआर दर्ज नहीं हुई। इसलिए उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया। भोपाल जेएमएफसी श्याम सुंदर झा (JMFC Shayam Sunder Jha) ने प्रकरण को सुनने के बाद थाना पुलिस समेत जिला पुलिस के अफसरों को फटकार लगाई गई। अदालत के आदेश मिलने के बाद कोतवाली थाना पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ जालसाजी (Farji Set Up Box) का प्रकरण दर्ज कर लिया। पुलिस का कहना है कि आरोपियों की भूमिका को लेकर कॉल डिटेल मंगाई जा रही है। जिसके बाद गिरफ्तारी की कार्रवाई होगी।
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