Bhopal Court News: अदालत में अभियोजन की तरफ से पेश सबूतों का अभाव रही वजह, पुलिस की कहानी पर खड़े हुए सवाल
भोपाल। हत्या के एक मामले में जिला अदालत ने डेढ़ साल के भीतर में सुनवाई पूरी करके फैसला सुनाया है। यह घटना भोपाल (Bhopal Court News) शहर के अवधपुरी इलाके में हुई थी। इस मामले में आरोपी मां-बेटे को पुलिस ने आरोपी बनाया था। अदालत ने पुलिस की तरफ से पेश किए गए सबूतों में तकनीकी साक्ष्य की कमी और कमजोर विवेचना को लेकर टिप्पणी भी की है। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद जिला अदालत ने पुलिस की तरफ से बनाए गए आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया है।
यह है पूरा मामला
अदालत ने इन कमजोरियों को पाया
यह प्रकरण 12779/20 जिला अदालत में दर्ज हुआ था। जिसमें अभियोजन की तरफ से अपर लोक अभियोजक निसार अहमद मंसूरी ने दलीलें पेश की। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश डाॅक्टर धर्मेंद्र टाडा की अदालत ने 4 मार्च, 2022 को अपना फैसला (Bhopal Court News) सुनाया। जिला अदालत में अभियोजन की तरफ से सौतेले भाई यतेन्द्र परसोदिया, पिता कैलाश नारायण परसोदिया, जीरो पर मर्ग कायम करने वाले रामेश्वर सिंह, पीएम करने वाली चिकित्सक डाॅक्टर जयंती यादव, तत्कालीन थाना प्रभारी विजय त्रिपाठी (TI Vijay Tripathi) समेत कई अन्य की गवाही की गई। डाॅक्टर जयंती यादव (Dr Jayanti Yadav) ने अदालत को बताया कि मृतक विजेन्द्र सिसोदिया के सिर पर चोट के निशान थे। यह निशान त्रिशूल जैसे आकार के वस्तु से किए गए थे। जबकि पुलिस ने लोहे की राॅड जब्त की थी। इसके अलावा नीलू परसोदिया की साड़ी में खून जब्त होने और लोहे की राॅड पर जमा खून के विजेन्द्र सिसोदिया से मिलान करने से संबंधित कोई प्रमाण नहीं थे। इसी तरह जीरो पर दर्ज मर्ग कायम करते वक्त पुलिस ने कोई गवाह पेश नहीं किया। अदालत में कैलाश नारायण परसोदिया (Kailash Narayan Parsodiya) के बयान पक्ष द्रोही हो गए।
प्रकरण की करेंगे समीक्षा
डाॅक्टर जयंती यादव की रिपोर्ट में उल्लेख था कि तीन चोट एक हथियार से है जबकि बाकी अन्य चोट दूसरे हथियार से है। इसके बावजूद पुलिस (Bhopal Court News) ने केवल एक ही हथियार जब्त होना बताया। उस जब्ती के वक्त गवाह के भी बयान मेल नहीं खाए। अदालत ने पाया कि एक बात तीन-चार लोगों के घर के नजदीक आकर हमला करने की बात सामने आई थी। इसमें भी कई जगह विरोधाभास था। पुलिस ने उन पहलूओं की पड़ताल नहीं की। इन तमाम बिंदुओं के आधार पर आरोपियों को अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए दोष मुक्त कर दिया है। इस मामले में एडीसीपी राजेश सिंह भदौरिया (ADCP Rajesh Singh Bhadoriya) ने बताया कि प्रकरण उनके संज्ञान में नहीं है। अदालत के फैसले की समीक्षा करने के बाद ही वे कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया दे सकेंगे।
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