MP Cop Gossip: यदि थाना प्रभारी के बेटे के साथ बीती घटना सच है तो सुपर विजन अफसरों की पुलिस मुख्यालय को तय करना चाहिए जिम्मेदारी, माफिया और मैदानी कर्मचारियोें का गठजोड़ बेनकाब
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भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग बहुत व्यापक है। इसके भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। कुछ बातें मीडिया में आ जाती है बहुत कुछ फाइलों में दब जाती है। ऐसे ही बातों का हमारा नियमित कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) है। हमारा मकसद मैदान में चल रही गतिविधियों के बारे में बताना होता है। ऐसे ही एक बिंदु को लेकर पाठकों को यह जानकारी साझा की जा रही है। यह घटना उन आम आदमियों से जुड़ी है जो पुलिस सिस्टम के सामने अपने आपको बौना मानते हैं।
पुलिस कमिश्नर प्रणाली में माफिया राज का इससे सटीक दूसरा उदाहरण नहीं मिलेगा
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यह घटना भोपाल शहर में लगभग दो महीने पहले हुई थी। इंदौर शहर में तैनात रहे एक निरीक्षक के बेटे की करिश्मा बाइक चोरी चली गई थी। घटना के सीसीटीवी फुटेज भी हासिल हुए थे। जिसके बाद यह साफ हो गया था कि दो लाख रुपए कीमत की बाइक को एक जाति विशेष समूह के गुट ने चोरी की है। थाना पुलिस ने एफआईआर की और पीड़ित को बता दिया कि गिरोह से मांडवाली करना होगी। ऐसा करने के लिए लगभग 30 हजार रुपए का खर्चा आएगा। यह बात कांस्टेबल ने बताई थी। जिसके संबंध में थाना प्रभारी से लेकर एसीपी को अवगत कराया गया। दोनों अधिकारियों ने सिपाही की बात पर मौन सहमति दे दी। पीड़ित ने पैसे जुटाए और गिरोह तक पहुंचाने के लिए कांस्टेबल को दे दिए। ऐसा करते ही चोरी गई बाइक दूसरे जिले में स्थित चौकी के बाजू में दो महीने बाद लावारिस मिल गई। इसी गिरोह ने शहर के ही एक अन्य थाना क्षेत्र से भी यामाहा आर—15 बाइक चोरी की थी। उसका भी पीड़ित कलेक्टर से लेकर तमाम अधिकारियों के दरवाजे पर दस्तक दे चुका है। यह हाल उस राजधानी का है जहां डीजीपी से लेकर मैदानी अफसरों की निगरानी के लिए नियम बनाने का काम करते हैं।
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