MP Cop Gossip: हाईकोर्ट ने लगाई यह बोलकर पुलिस को फटकार, मान को ऐसा सम्मान, सवाल पूछने पर लाल—पीले होने वाले थाना प्रभारी की नई कारस्तानी अखबारों से गायब
सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई
भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग बहुत बड़ा होता है। उसके भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। ऐसे ही बातों का साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) है जो आपको गुदगुदाएगा भी और हैरान भी करेगा।
राष्ट्रीय पार्टी नेता के कहने पर लिया था रिस्क
भोपाल शहर के एक थाने में संपत्ति को लेकर जमकर विवाद हुआ था। इस विवाद में एक पक्ष को ज्यादा तरजीत देते हुए पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई कर दी थी। जिसके खिलाफ आरोपी परिवार हाईकोर्ट चला गया था। पीड़ित परिवार ने बताया कि संपत्ति के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में केस चल रहा था। वहां पहला पक्ष हार गया था। इसके बावजूद उसने एक नेता की मदद से पुलिस का सहयोग लेते हुए दुकान खाली करा दी। उसमें बकायदा ताला भी जो केस हारा उसका लगवा दिया। अब हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर से 22 मार्च तक जवाब देने के लिए कहा है। कोर्ट ने पूछा है कि टीआई या फिर एसआई बेदखली की कार्रवाई कर सकते हैं क्या। इस प्रकरण में एक थाने के दो सब इंस्पेक्टर उलझते नजर आ रहे हैं। बहरहाल अधिकारी स्तर पर कार्रवाई हो चुकी है। अब कोर्ट जो भी आदेश देगा वह अलग।
थाने में बिगड़े हुए है हालात
एक थाने के प्रभारी अपनी कार्यशैली के चलते विवादों में रहते हैं। उन पर आरोप है कि वे मोबाइल झपटने के मामलों को डकार जाते हैं। उनके इलाके में जमकर गांजा बिकता है जहां क्राइम ब्रांच कार्रवाई करती है लेकिन थाना पुलिस को सुध ही नहीं रहती। अब उसी थाने के पीछे रहने वाले एक निगरानी बदमाश के चलते जमकर गदर थाने के भीतर मचा। दर्जनों महिलाओं ने थाने को घेर रखा था। इसके बावजूद पूरे प्रकरण को थाना प्रभारी साहब जीम गए। वह शुक्र है कि घटना के वीडियो एक समझौते के तहत सोशल मीडिया में वायरल नहीं हुए। लेकिन, जब भी वह सामने आएंगे उसमें कोई भी थाने का अधिकारी या कर्मचारी जवाब नहीं दे सकेगा।
अपना रसूख दिखाकर राजधानी में करा लिया तबादला
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राजधानी के नजदीक एक जिले में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी। जिसकी मौत हुई उसकी लाश रेलवे पटरी पर मिली थी। उसके दोनों हाथ, दोनों पैर और सिर गायब थे। यह गायब अंग मर्ग इंटीमेशन में शामिल ही नहीं किए गए। इस पूरे प्रकरण को थाने के प्रभारी ने कई दिनों तक दबाए रखा। जब प्रकरण आला अधिकारियों तक पहुंचा तो थाना प्रभारी साहब नाप दिए गए। उन्होंने भी जैक लगाई और पुलिस मुख्यालय के एक आला अधिकारी के सामने हाजिर हो गए। उस जिले से उन्होंने भोपाल में तबादला करा लिया। उनकी भोपाल शहर के तीन थानों में नजर हैं। उन्हें पूरा यकीन है कि वे जिस तरह से मौत के मामले में हुई जांच से बच गए थे उसी तरह से वे अपने रसूख के चलते थाने में भी कुर्सी हासिल कर लेंगे।
पिछले दिनों जीआईएस समिट हुआ। इसके लिए कई जिलों की पुलिस भोपाल बुलाई गई थी। आने वाले दो दर्जन से अधिक विश्व स्तर पर अपना वजूद रखते थे। अधिकांश वीआईपी को होटल ताज में ठहराया गया था। जिन्हें डिपो चौराहे के रास्ते मानव संग्रहालय ले जाया जा रहा था। हर वीआईपी के कारकेड में आधा दर्जन वाहन थे। सभी को बारी—बारी से एक दर्जन से अधिक बनाए गए कारकेड टीम लेकर उन्हें रवाना हो रही थी। नतीजतन डिपो चौराहे के पास अच्छे—अच्छे वीआईपी आकर फंस गए। उसमें से एक अडानी का भी काफिला था। उन्हें भी जाम का असर देखने को मिला। इसके अलावा एक अन्य वीआईपी का कारकेड पुलिस भाषा में बोला जाए तो हिकमत अमली के साथ रांग साइड से निकाला गया। ट्रैफिक से जुड़ी इस समस्या को चिन्हित करते—करते काफी देर हो गई। उसका विकल्प यह निकाला गया कि कुछ काफिला वन विहार के रास्ते डाल दिया गया। जिस कारण वहां के वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गए।
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