MP Cop Gossip: सेल्फी लेकर फंस गया सिपाही, फेसबुक में अपलोड करके आफत बुलाई
भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस महकमा काफी बड़ा है। कई बातें किन्हीं कारणों से सामने नहीं आ पाती। लेकिन, वह वर्ग को गुदगुदाती जरुर है। ऐसे ही बातों को लेकर द क्राइम इंफो का गुरुवार सुबह 7 बजे प्रकाशित होने वाला नियमित कॉलम है एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip)। इन बातों को बताकर किसी को छोटा—बड़ा बताना हमारा मकसद नहीं है। हमारा प्रयास यह है कि अभिव्यक्ति की आजादी के साथ संयमित तरीके से उन बातों को सार्वजनिक करना जो भीतर ही भीतर कान में एक—दूसरे को बताई जा रही है।
मंत्री अड़े तो अफसर रह गए खड़े
पिछले साल से मध्यप्रदेश के दो शहरों इंदौर और भोपाल में पुलिस कमिश्नर प्रणाली शुरु की गई। इन दोनों शहरों में अफसरों की तैनाती की गई। इसके बाद डीपीसी भी हुई जिसमें आधा दर्जन पुलिस अफसरों की पदोन्नति हुई। वहीं तीन दर्जन अफसरों के वेतनमान में बढ़ोत्तरी की गई। लेकिन, इनमें एक अफसर अधर में लटक गए। दरअसल, उनका जहां तबादला हुआ वह इलाका एक केंद्रीय मंत्री का आता है। जिनसे बिना मश्विरा यह फैसला ले लिया गया। मंत्री महोदय इस फैसले से नाराज हो गए। यह पता तब तक वे अफसर नई जगह जाने के लिए अपनी अटैची पैक कर चुके थे। हालांकि वे वहां अब तक नहीं जा सके। ऐसा करने से आईपीएस लॉबी भी काफी भीतर ही भीतर खफा है। इसे हद से ज्यादा कार्यप्रणाली में हस्तक्षेप के नजरिए से देखा जा रहा है।
टैक्सी कोटे से चलाना पड़ रहा काम
भोपाल पुलिस कमिश्नर प्रणाली में लगभग सारे अफसर आ चुके है। इनके लिए भी लगभग कार्यालय तय हो गए है। लेकिन, कुछ अफसरों को एमपी—03 वाला वाहन नहीं मिल सका है। इसके लिए टैक्सी कोटे से वाहन का इंतजाम कराया गया है। वहीं एक अफसर को उस भवन में बैठने का आदेश हुआ है जिसको जर्जर घोषित करके पिछले दिनों मंत्री महोदय ने नए भवन का फीता काटा था। जबकि एक अफसर तो अपने पुराने कार्यालय से ही नए संभाग की कमान संभाले हुए हैं। अभी तो यह अफसरों की तकलीफे हैं। जनता की समस्याएं तो कार्यप्रणाली पूरी तरह से शुरु होने के बाद सामने आना तय है।
ढ़ाबे वाले पर थानेदार मेहरबान
आप इस जानकारी को ‘मिस’ न करे इसके लिए इशारों ही इशारों में कुछ बताने के लिए बहुत कुछ बता दिया। इस इलाके में ढ़ाबों की कमी नहीं हैं। इसी में से एक ढ़ाबे पर थानेदार साहब बड़े मेहरबान चल रहे हैं। स्टाफ वहां जाकर संचालकों को जब पाबंदियों की याद दिलाता है तो उसके पहले फोन आ जाता है। ऐसा करके कई बार थानेदार के हमराह अपने आपको ठगा सा महसूस करा चुके हैं। अब देखना यह है कि ढ़ाबे में किस दिन बड़ा झमेला होता है और फिर उसके बाद कौन झूम बराबर—झूम बराबर कहता है।
नाम गुम जाएगा…
शहर में इन दिनों एक थाना बिना नाम के चल रहा है। बोर्ड से लेकर उस थाने के नाम को पुकारने में अफसर परहेज कर रहे हैं। दरअसल, यह वह थाना है जहां से ट्रेनें गुजरती है। इसमें से एक स्टेशन का नाम रातोंरात बदला गया था। जिसका उदघाटन फिर प्रधानमंत्री ने किया था। उसी थाने का नाम अब लेने में हिचक है। आलम यह है कि रेलवे सुरक्षा सप्ताह भी मना रहा है तो इस स्टेशन का नाम प्रेस नोट में भी नहीं लिख पा रहा है।
सेल्फी वाले सिपाही का सस्पेंस…
पिछले दिनों एक सिपाही के कारण उसके अफसर परेशान हो गए। सिपाही ने हरकत कोई गलत तो नहीं की थी। लेकिन, राई का पहाड़ बनाकर उसको सिपाही के अपनों ने ही संकट में डाल दिया था। दरअसल, सिपाही जिस थाने में थे वहां तैनात एक महिला थानेदार के साथ बाइक में बैठकर सेल्फी ली थी। यह सेल्फी सिपाही ने बकायदा अपने फेसबुक में अपलोड भी कर दी। यह पोस्ट सिपाही की पत्नी ने देख ली। जिसके बाद पहले घर में संग्राम हुआ। फिर इसकी चिंगारी अफसरों के दर पर जा पहुंची। हालांकि सिपाही धधकती आग को बुझाने में कामयाब हो गए। उसके बाद सीधे होकर वे घर आते—जाते हैं।
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