Bhopal News: जिन्हें थाने ने पकड़ा उन्हें क्राइम ब्रांच ने छोड़ दिया था

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Bhopal News: इस खुलासे के बाद दोनों सब इंस्पेक्टर को सस्पेंड किया गया, जेके अस्पताल का आईटी मैनेजर अभी भी फरार

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क्राइम ब्रांच थाना— फाइल फोटो

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की ताजा न्यूज (Bhopal News) जेके अस्पताल से मिल रही है। यहां अस्पताल में आईटी मैनेजर जो रेमडेसिविर इंजेक्शन बेच रहा था, उसकी लिंक भोपाल क्राइम ब्रांच को मिल गई थी। लेकिन, क्राइम ब्रांच के दो एसआई ने कार्रवाई करने की बजाय उन्हें छोड़ दिया था। इसके बदले में लेन—देन की बात भी सामने आ रही है। इस खुलासे के बाद दोनों एसआई को सस्पेंड कर दिया गया है। इधर, अस्पताल का आईटी मैनेजर अभी भी फरार है।

जेके अस्पताल से रिकॉर्ड मांगा

जानकारी के अनुसार एसआई एमडी अहिरवार (SI MD Ahirwar) और हरिकिशन (SI Harikishan) को निलंबित कर दिया गया है। इन दोनों के हत्थे आकर्ष सक्सेना 18 अप्रैल को लग गया था। लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह बात सामने आने के बाद दोनों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। इस मामले में कई अन्य भी जांच के घेरे में हैं। इधर, एसपी साउथ भोपाल क्षेत्र साई कृष्णा थोटा (SP Sain Krishna Thota) ने बताया कि जेके अस्पताल से सभी बैच नंबर की जानकारी तलब की है। इसके अलावा ड्रग इंस्पेक्टर से भी सरकार से मुहैया कराई गई इंजेक्शन की सूची मांगी गई है। जिन्हें इंजेक्शन लगाए गए उन मरीजों से उसका मिलान भी कराया जाएगा।

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आईटी मैनेजर है राजदार

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जेके अस्पताल का आईटी मैनेजर आकाश दुबे जो अभी भी फरार चल रहा है

इधर, जेके अस्पताल के आईटी मैनेजर आकाश दुबे (Akash Dubey) की तलाश दूसरे दिन भी जारी रही। आरोपी आकाश दुबे ही मरीजों को आवंटित इंजेक्शन की बजाय स्लाइन चढ़ाकर उसे बेचने के लिए बाजार में भेजता था। आकाश दुबे का अस्पताल में काफी दखल भी है। वह कई राज जानता भी है। इसलिए उसको बचाने के लिए राजनीतिक कोशिशें शुरु हो गई है। दरअसल, अस्पताल प्रबंधन को लगता है कि आकाश दुबे के खुलासे से उसकी साख पर बट्टा भी लगेगा। उल्लेखनीय है कि 13 मई को कोलार थाना पुलिस ने दिलप्रीत सलूजा (Dilprit Saluja), अंकित सलूजा (Ankit Saluja) और आकर्ष सक्सेना (Akarsh Saxena) को गिरफ्तार किया था। तीनों ने कबूला था कि एक महीने में आकश दुबे से वे करीब 15 रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीद चुके थे।

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