MP Police Gossip: चार दिनों तक राजधानी में हुई एक सनसनीखेज घटना को छुपाकर रखा
भोपाल। मध्य प्रदेश (MP Police Gossip) की राजधानी भोपाल की पुलिस प्रदेश में आदर्श कहीं जाती है। लेकिन, पिछले कुछ महीनों से उसके कारनामे उसको प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले बौना साबित कर रहे हैं। हालांकि, ऐसा नही है कि काबिलियत कि शहर में कमी है। दरअसल, कई अफसर ही ऐसा नहीं चाहते हैं। दरअसल, राजनीति से लेकर हर जगह इन दिनों यस—यस वाले लोग ही पसंद किए जाते हैं। वह चाहे यस—यस मीडिया हो या फिर सिपहसलार।
छुपाना “हुनर” मान लिया गया
गुनगा इलाके में डैम से मछली चोरी करके जा रहे मां—बेटे को चलती बाइक में पैर मारकर गिराया गया था। इस हादसे में मां की दर्दनाक मैत हो गई थी। मामला देहात क्षेत्र का था। जिसको छुपाने के लिए पुलिस ने ऐड़ी चोटी का जोर लगाया था। आज भी उस मामले में पर्दा डाला जा रहा है। कुछ इसी तरह का मामला अयोध्या नगर में उजागर हुआ। इस मामले को भी काफी दिनों तक दबाकर रखा गया। दबाने वालों को सुधरने की मोहलत देकर ठीकरा सिपाहियों पर फोड़ दिया गया। सिपाहियों को निलंबित किया गया है। अयोध्या नगर थाने के सिपाहियों सुमित बघेल (Sumit Baghel) और विनोद रावत (Vinod Ravat) ने रौनक (Rounak) और किशन को रोक लिया था।
गुजरात का है काराबोरी
यह घटना 10 जुलाई की रात लगभग सवा दस बजे की थी। रौनक और किशन के पास 26 लाख रुपए थे। दोनों गुजरात (Gujrat) की हीरा कंपनी जीके डायमंड में नौकरी करते हैं। कर्मचारियों ने रकम कंपनी की बताकर मालिक प्रवीण भाई (Pravin Bhai) से बातचीत भी कराई। इसके बावजूद बैग से पांच लाख रुपए निकाल लिए। थाने पहुंचकर सुमित बघेल और विनोद रावत ने बताया कि कुछ बदमाश उनके हाथ लगे थे। जिनसे यह तीन लाख रुपए बरामद हुए थे। इस रकम को थाने में जमा कराया गया। बाकी दो लाख रुपए दोनों सिपाहियों ने अपने पास रख लिए। निलंबित करने से पहले एसपी साई कृष्ण थोटा ने सिपाहियों के वीडियो बयान भी दर्ज किए थे।
एमपी से मोहभंग
एमपी कैडर की महिला आईपीएस अधिकारी सोनाली मिश्रा (IPS Sonali Mishra) का प्रदेश से मोह भंग हो गया है। फिलहाल उनके पास जालंधर में बीएसएफ की कमान मिल गई है। इससे पहले कश्मीर में भी वह तैनात थी। यहां उनके काम की वजह से उन्होंने अपनी पहचान साबित करने में कामयाब रही हैं। इससे पहले उनकी काबिलियत भाई से जोड़कर आंकी जाती थी। दरअसल, उनके भाई के व्यापमं प्रवेश परीक्षा फर्जीवाड़ा में नाम आया था। जिसके बाद से ही वे प्रदेश से किनारा कर चुकी थी।
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