Community policing : मारपीट से परेशान महिला को टीआई ने बनाया बहन, पलभर में पति का बदल गया रहन-सहन

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Community policingसोशल मीडिया और न्यूज में छाए मेहगांव के थाना प्रभारी मनीष शर्मा, महिला की थाने में ही भराई उसकी पति से मांग, पति वापस अपने घर ले जाने के लिए हुआ राजी

भिंड। मध्यप्रदेश में (Community policing) सामाजिक पुलिस की एक बेमिसाल कहानी सामने आई है। थाने पहुंची पीडि़ता की कहानी सुनकर टीआई सहम गए। उन्होंने मामले में एफआईआर दर्ज कराने की बजाय एक सकारात्मक पहल से  मामले को सुलझाया। पीडि़ता को जैसे ही उन्होंने बहन बनाया तो उसके पति की हरकतें सुधर गई और उसका रहन-सहन भी बदल गया।
आपने अब तक थानों में शादी कराने से लेकर मजनूओं (Bhind crime) को उठक-बैठक लगाने की तस्वीरें और वीडियो देखी होगी। लेकिन, यह एक ऐसी तस्वीर है जो पुलिस विभाग के नरम होते चेहरे को बयां करती हैं। मामला भिंड जिले के (Bhind crime) मेहगांव थाने का हैं। thecrimeinfo.com ने  इस बेमिसाल तरीके से सुलझाए (Community policing)  गए मामले को लेकर मेहगांव टीआई मनीष शर्मा से बातचीत की। मध्यप्रदेश पुलिस सेवा में 1992 बैच के एसआई से भर्ती मनीष ने बताया कि उनके सामने (Community policing) बहुत बड़ी दुविधा थी। महिला न एफआईआर दर्ज कराना चाहती थी और न थाने से जाना चाहती थी। महिला की गोद में एक मासूम बच्ची भी थी। जिसे देखकर मेरा दिल पसीज गया। फिर इस समस्या के समाधान के लिए मैंने सामाजिक कानून का सहारा लिया। ताकि दो परिवार टूटकर (Community policing)  बिखरने से बच जाए। इसके लिए उन्होंने कुछ रकम खर्च करके थाने में सामान बुलाया। थाना स्टाफ ने इस पल की तस्वीरें भी खींच ली। यह तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हुई और थाना प्रभारी सुर्खियों में आ गए।

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यह था मामला
मनीष शर्मा ने बताया कि गुजरात के सूरत शहर में रहने वाली दो सगी बहनों की मेहगांव इलाके में एक ही परिवार में शादी हुई थी। मायके में पिता एक मात्र है जो सूरत में रहता है। वर्षा का पति मनोज है और बड़ी बहन गिरजा बाई है। वर्षा के साथ पति मनोज मारपीट करता था। बहन भी उससे अलग रहती है। इसलिए उसके सामने कोई (Community policing)  चारा नहीं था। वह पहले तो दिनभर यहां-वहां भटकती रही। फिर मेहगांव थाने में जाकर बैठ गई। थाने में काफी देर तक बैठे हुए मनीष शर्मा ने उस महिला को देखा तो उन्होंने उसे बुलाकर पीड़ा पूछी। वर्षा ने बताया कि उसका पति उससे मारपीट करता है। उसने चोट के निशान भी बताए। उसने कहा कि वह आत्महत्या करने निकली थी। लेकिन, बच्ची का चेहरा देखकर थाने आ गई। थाना प्रभारी ने मुकदमा दर्ज कराने की सलाह दी तो वह फूट-फूटकर रोने लगी। उसने कहा कि एफआईआर होने के बाद पति जेल चला गया तो उसके सामने धर्मसंकट (Community policing) खत्म होने की बजाय खड़ा हो जाएगा।

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ऐसे निकाला रास्ता
वर्षा ने बताया कि उसका पति उसको सामान्य परिवार का बताकर उससे बुरा बर्ताव करता है। यह सुनकर मनीष शर्मा ने पति मनोज को थाने बुलाया। पति से बातचीत की तो वह सही (Community policing)  पाई गई। पति को लगता था कि उसकी पत्नी सामान्य घर से है इसलिए उसकी समाज में ज्यादा पूछ-परख नहीं होती। यह सुनकर थाना प्रभारी ने वर्षा को बुलाया। इस समस्या का हल निकालते हुए वर्षा से थाना प्रभारी ने रक्षा सूत्र बंधवाया।

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फिर तो मांग भी भरी
वर्षा पति से इतनी तंग आ गई थी कि उसने मांग भी (Community policing) भरना बंद कर दिया था। उसकी सूनी मांग को वापस भरने का जिम्मा लेते हुए थाना प्रभारी ने पति से कहा कि अब मैं इसका भाई हूं। इसलिए बहन को कोई संकट आएगा तो उसका भाई उसे बर्दाशत नहीं कर सकेगा। मनोज से उन्होंने कहा कि अब समाज के लोगों से कहना कि उसका साला मेहगांव थाने का टीआई है (Community policing)  इससे उसका भी कद बढ़ेगा। यह सुनकर मनोज पत्नी की मांग भरने से लेकर उन्हें घर ले जाकर सही सलामत तरीके से रखने के लिए राजी हो गया।

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