AIIMS Scam: इमरजेंसी के पर्चे बनाने में फर्जीवाड़ा, तीन आरोपी गिरफ्तार

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रसूखदारों को बचा रही ही भोपाल पुलिस, मेडिकल सुपरीडेंट के मामले में चुप्पी साधी

AIIMS Scam
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स भोपाल) में ओपीडी पर्चे के फर्जीवाड़े वाले मामले में बागसेवनिया थाने में गिरफ्तार आरोपी दिव्याशु, जितेन्द्र राठौर और सुशील कुमार

भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (Bhopal AIIMS) में जारी फर्जीवाड़ा (AIIMS Scam) थमता नजर नहीं आ रहा है। यहां कुछ दिन पहले डायरेक्टर डॉक्टर सरमन सिंह (AIIMS Director Doctor Sarman Singh) को लेकर कर्मचारी पैदल मार्च (AIIMS Employee Protest) भी कर चुके हैंं। अब यहां इमरजेंसी में बनने वाले पर्चों में घोटालों (AIIMS Scam) के मामले में पुलिस ने जालसाजी का प्रकरण दर्ज किया है। हालांकि इस मामले में पुलिस पर आरोप है कि रसूखदारों को बचाने का वह प्रयास कर रही है।
जानकारी के अनुसार इस फर्जीवाड़े की शिकायत बागसेवनिया थाना पुलिस से एक सप्ताह पहले की गई थी। इस मामले की जांच के बाद पुलिस ने बेहद सामान्य कर्मचारियों को आरोपी बताकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लिया। जबकि यहां के पूर्व कर्मचारियों का आरोप है कि यह गड़बड़ी छोटे स्तर पर नहीं की गई। बल्कि मेडिकल अफसरों (AIIMS Medical Officer) की शह को इसे लंबे समय से अंजाम दिया जा रहा था। घोटाला करीब 8 लाख रुपए का बताया जा रहा है। पुलिस ने इस मामले में जांच के बाद तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार आरोपी साकेत नगर निवासी सुशील कुमार द्विवेदी है। वह मूलत: सीधी जिले का रहने वाला है। दूसरा आरोपी दिव्याशु गुप्ता है जो मिसरोद थाना क्षेत्र में रहता है। पुलिस ने तीसरा आरोपी छोला मंदिर थाना क्षेत्र निवासी जितेन्द्र राठौर को गिरफ्तार किया है। यह आरोपी पिछले चार साल से एम्स में नौकरी कर रहे थे।

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पुलिस ने बताया कि उन्हें एम्स भोपाल की तरफ से गठित एक कमेटी जो डॉक्टर अरनीत अरोरा (Doctor Arnit Arora) के नेतृत्व में इस मामले की जांच कर रही थी उसकी रिर्पो मिली थी। इस कमेटी में डिप्टी डायरेक्टर श्रमदीप सिन्हा (Deputy Director Shramdeep Sinha),रजिस्ट्रार बैनी अब्राहम (AIIMS Registrar Benny Abraham ) और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी विशाल कुमार गुप्ता (AIIMS Administrative Officer Vishal Kumar Gupta) भी सदस्य थे। इस कमेटी ने जांच रिपोर्ट में पाया कि एम्स की ओपीडी में बनने वाले पर्चे में धांधली (AIIMS OPD Scam) की जा रही है। मरीजों से जो रकम ली गई वह अधिक थी और वह सरकारी खजाने में जमा नहीं की गई। इस मामले में सुशील, दिव्याशु और जितेन्द्र को दोषी कमेटी ने पाया था। हालांकि एम्स के पूर्व कर्मचारियों का कहना है कि इस मामले में कमेटी और पुलिस ने डॉक्टर मनीषा श्रीवास्तव (Doctor Manisha Shrivastava) को क्लीनचिट दे दिया। उनसे किसी भी तरह का स्पष्टीकरण ही मांगा नहीं गया। जबकि उनके पास सुपरविजन की जिम्मेदारी थी।

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