Bhopal News: देख लीजिए पुलिस कमिश्नर साहब राजधानी में मीडिया के साथ जब यह सलूक होता है तो आम आदमी की हैसियत यूं ही सोशल मीडिया में वायरल नहीं होती, समाचार में गैर जिम्मेदाराना बयान देने की याद दिलाने पर भी मैदानी कर्मचारी बैखोफ होकर कहते हैं लिख दीजिए हमारे नाम के साथ हमने ऐसा कहा
भोपाल। यह प्रदेश की राजधानी भोपाल है जहां सरकार के कहने पर जनता को कष्ट न हो उसका समाधान ऐसी नीतियां बनाई जाती है। लेकिन, भोपाल शहर के थानों में हालात काफी बदतर चल रहे हैं। सर्वाधिक शाहजहांनाबाद (Bhopal News) थाना क्षेत्र अपनी अडियल रवैये के कारण विवादों में हैं। यहां ताजा मामला एक चोरी से जुड़ा है। इन मामलों की रिपोर्ट अखबारों से अमूमन गायब है। शहर के कई मीडिया हाउस ने वारदात की बजाय चोरी गए माल के आधार पर रिपोर्ट उजागर करने का एजेंडा चलाया हुआ है। जिस कारण शहर में हो रही घटनाओं की रिपोर्ट सार्वजनिक न होने के चलते बड़ी—बड़ी वारदातें भी आम होने लगी है।
क्या ऐसे कर्मचारियों को थाने की डेस्क पर बैठाया जा सकता है
पुलिस सूत्रों के अनुसार शाहजहांनाबाद (Shahjahanabad) थाना क्षेत्र में स्थित बारह महल में चोरी की एक वारदात हुई। इसकी रिपोर्ट थाने में किसी प्रशांत स्थापक (Prashant Isthapak) नाम के व्यक्ति ने दर्ज कराई है। यह किसी व्यक्ति का मकान है अथवा पुरातन महत्व की संपदा है यह साफ नहीं हो सका है। दरअसल, इसी थाना क्षेत्र में पुरातत्व महत्व के गोल घर से भी तड़ित चालक की चोरी हुई थी। जिसकी जांच शाहजहांनाबाद थाना पुलिस ही कर रही थी। वह मामला अभी भी अनसुलझा है। बताया जाता है कि ताजा वारदात में सोने की चेन और नकदी 25 हजार रुपए चोरी गए हैं। पुलिस कुल कीमत 70 हजार रुपए बता रही है। सूत्रों के अनुसार इस मामले में 02 नवंबर की दोपहर प्रकरण 613/24 दर्ज किया गया है। इसी मामले को लेकर जब थाना पुलिस से तस्दीक के लिए फोन लगाया गया तो यहां एक महिला कांस्टेबल ने उसे रिसीव किया। जबकि नियमानुसार यह फोन थाने के हेड मुंशी को रिसीव करना चाहिए था। उन्होंने घटना की पुष्टि तो की फिर जानकारी देने का बोलते हुए फोन काट दिया। जब उनसे दोबारा संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि प्रकरण को लेकर आला अधिकारियों ने मीडिया को जानकारी देने से इंकार किया है। हमारी तरफ से उनका परिचय मांगा गया तो उन्होंने अपना नाम कांस्टेबल रुपाली (Con Rupali) बताते हुए कहा कि हमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हम वही कर रहे हैं जो अफसरों ने कहा। इन व्यवस्थाओं को लेकर थाना प्रभारी उमेश पाल सिंह चौहान (TI Umesh Pal Singh Chauhan) से भी सरकारी नंबर पर संपर्क किया गया। उन्होंने फोन ही नहीं उठाया। देख लीजिए पुलिस कमिशनर साहब, यह तो शहर के हालात बन हुए हैं। मीडिया में प्रकाशित तथ्यों पर यदि आप संज्ञान लेते तो शायद यह स्थिति नहीं बनती। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)
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