Hamidia Hospital Mishap: पुलिस के अफसर सही कह रहे हैं तो 48 घंटे तक एक बच्चे की कहां रखी थी लाश, दो बच्चों की नई मौत के मामले थाने पहुंचे
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की ताजा न्यूज हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital Mishap) में स्थित कमला नेहरु चिकित्सालय के एसएनसीयू वार्ड से संबंधित है। राज्य सरकार ने इस गंभीर मामले में तीन अफसरों को हटा दिया है। वहीं एक सब इंजीनियर को निलंबित कर दिया है। इधर, इस मामले में एक नया चौका देने वाला तथ्य सामने आया है। जिसके तूल पकड़ने के पूरे आसार है। इसके अलावा शहर में प्रदर्शनों का दौर जारी है। विपक्षी पाटियों की तरफ से पुतला दहन से लेकर कैंडल मार्च निकालकर सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी की जा रही है।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री से मांगा इस्तीफा
भोपाल युवा कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पुतला जलाकर विरोध जताया गया। मीडिया विभाग के विवेक त्रिपाठी ने बताया कि मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए। इसके अलावा दोषी अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी हमीदिया अस्पताल पहुंचे थे। उन्होंने भी मौत के आंकड़े छुपाने का आरोप लगाकर सरकार से सीटिंग जज से जांच की मांग रखी थी। इसके अलावा कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने भी अपने वीडियो बयान में पीड़ित परिवारों को 50—50 लाख रुपए देने की मांग की थी। इससे पहले गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसे विपक्ष का काम बताकर सीएम की तरफ से किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी थी। गृहमंत्री का कहना था कि पूरे मामले की बारीकी से निगरानी की जा रही है।
विवाद से बचने विवादित फैसला
राज्य सरकार ने हमीदिया आगजनी हादसे को लेकर आपात बैठक बुलाई। जिसके बाद तीन अफसरों को हटाने का फैसला लिया गया। फैसले के तहत हमीदिया अस्पताल के डीन जितेन्द्र शुक्ल, हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर लोकेंद्र दवे, गैस राहत अस्पताल के संचालक केके दुबे को उनके मौजूदा पदों से हटा दिया गया। वहीं सीपीए विद्युत विंग अवधेश भदौरिया को निलंबित कर दिया गया। इनकी जगह पर सरकार ने जीएमसी डीन डॉक्टर अरविंद राय और हमीदिया अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर दीपक मरावी और गैस राहत में उप संचालक डॉक्टर संजय जैन को बनाया है। डॉक्टर अरविंद राय सर्जरी विभाग के एचओडी है। इधर, डॉक्टर दीपक मरावी को लेकर सवाल खड़े होने लगे है। दरअसल, मरावी पहले भी हमीदिया अस्पताल में अधीक्षक रहे थे। उन्हें विवादों के चलते हटाया गया था। इसके अलावा वे एक चैनल के स्टिंग अभियान में लड़की के साथ ट्रैप भी हुए थे। जिसका मुकदमा भोपाल क्राइम ब्रांच में दर्ज किया गया था।
अगर पुलिस के अफसर सहीं है तो यह हद है
हमीदिया अस्पताल स्थित कमला नेहरु अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में हुई आगजनी की घटना को लेकर सरकार और सिस्टम में सवाल खड़े किए जा रहे हैं। मौत के आंकड़ों को छुपाने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। कोहेफिजा थाने में चार बच्चों की मौत के मामले में मर्ग कायम किए गए हैं। जबकि मीडिया रिपोर्ट में यह संख्या एक दर्जन से अधिक बताई जा रही है। इसके अलावा कोहेफिजा थाने में दो अन्य बच्चों की मौत के मामले में मर्ग कायम किए गए। हालांकि नाम न छापने की शर्त में अफसरों का कहना था कि यह मौत हादसे से पहले और उसके बाद हुई है। दोनों जुड़वा बच्चे हैं, जिनके परिजनों को हादसे में मौत होने की शंका है। अगर यह सही है तो सवाल यह बनता है कि आखिर दो दिनों एक बच्ची की मौत की जानकारी पहले सार्वजनिक क्यों नहीं की गई। इसके अलावा दो दिनों तक वह बच्चे की लाश कहां थी।
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