Exclusive Story: प्रदेश स्तर पर माइक्रो सिस्टम बनाकर हवलदार और कांस्टेबल को पुलिस मुख्यालय की तरफ से अधिकार देने की तैयारी, पुलिस स्कूल में होगी ट्रेनिंग, कई स्तर पर चिंतन बैठकों के बाद योजना को हरी झंडी मिलने के संकेत

भोपाल। प्रदेश में बहुत जल्द हवलदार और कांस्टेबल को पुलिस मुख्यालय की तरफ से अधिकार देने की तैयारी की जा रही है। ताजा प्रणाली लागू हुई तो थानेदारों का एकाधिकार बीट से लगभग समाप्त हो जाएगा। पुलिस मुख्यालय (Exclusive Story) इस संबंध में एक बड़ी योजना पर काम कर रहा है। यदि यह अमल में आया तो थानों में तैनात हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल को मनोवैज्ञानिक पदोन्नति मिलने से काम पर उसका असर देखने को मिल सकता है।
प्रभावी तरीके से लागू करने की योजना
पुलिस मुख्यालय(PHQ) में इस विषय को लेकर एक बड़े पैमाने पर अध्ययन रिपोर्ट बनाई गई है। यदि यह बदलाव हुआ तो प्रदेश में बीट व्यवस्था में लगभग तीन दशक बाद आमूलचूल परिवर्तन देखने को मिलेगा। इस विषय को लेकर पुलिस मुख्यालय में आला अधिकारियों के बीच वैचारिक सहमति बन गई है। इस संबंध में कुछ जिलों में प्रस्ताव को लेकर ट्रायल भी किया जा चुका है। जिसके परिणाम के बाद संशोधन बाद उसे प्रदेश में प्रभावी तरीके से लागू करने की योजना है। उससे पहले बीट सिस्टम पर हवलदार और सिपाही को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदेश के अलग—अलग प्रशिक्षण स्कूल में संपन्न होगा। बीट सिस्टम को एक पाठ्यक्रम की तरह बकायदा तैयार किया गया है।
इसलिए महसूस हुई आवश्यकता
प्रदेश में मैदान में तैनात आला अधिकारियों के रिफ्रेशर कोर्स होते रहे हैं। उन्हें प्रशिक्षण के कई मौके भी मिलते हैं। लेकिन, हवलदार और सिपाही विभागीय दायित्वों में सीमित रह जाता है। जिस कारण उसके कार्य में एक शिथिलिता देखी जा रही थी। उसके मनोबल को बढ़ाने और उसकी कार्यकुशलता में सुधार लाने के मकसद से पुलिस मुख्यालय ने कार्य किया। जिसमें सामने आया कि कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल तकनीकी विधा से लैस होंगे तो पुलिस विभाग में कार्य की गुणवत्ता में अधिक सुधार आएगा। वहीं पुलिस का सूचना संकलन क्षेत्र व्यापक हो जाएगा। इसी मसौदे पर कार्य करते हुए पूरे प्रदेश में बीट निर्धारण को लेकर कई दौर की बैठक हुई। जिसके परिणाम अब बहुत जल्द मैदान में देखने को मिलेंगे।
जनता से सीधा होगा कनेक्शन

पुलिस विभाग (Police Department) की यह बहुत पुरानी व्यवस्था है। बीट व्यवस्था पहले आपको समझना होगी। प्रदेश में आबादी और क्षेत्रफल के हिसाब से जितने भी थाने हैं उन थानों के भीतर बीट व्यवस्था होती है। हर थाने (Exclusive Storys) में तीन से चार बीट होती है। इन्हें नंबर या क्षेत्र के नाम से पुकारा जाता है। कई जगहों पर चौकी के नाम से भी बीट है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि मौजूदा बीट प्रभारी थाने में पदस्थ एसआई या एएसआई स्तर का अधिकारी होता है। वह अपने बीट में होने वाले अपराध और उससे जुड़ी जानकारियां अपने पास रखता है। अब यह काम हवलदार और सिपाही को देने की तैयारी है। इसके साथ ही उन्हें गैजेट्स से लैस भी करने की योजना है। यानि वह बॉडी वॉर्न कैमरों से भी लैस होगा। योजना के तहत काम्बिंग गश्त की तर्ज पर हवलदार और सिपाही की अपनी बीट पर पकड़ की भी जांच की जाएगी। अच्छे कार्य करने वाले कर्मचारियों के सीआर में इसे जोड़ने की योजना है। जिससे उसको पदोन्नति से लेकर अन्य सरकारी सुविधाओं में लाभ मिल सके।
पुलिस मुख्यालय को इसलिए आवश्यकता महसूस हुई
भारत में बहुत जल्द 5जी तकनीक सामने आने वाली है। प्रदेश के दो शहरों में मेट्रो कल्चर लागू होने वाला है। देश—विदेश के निवेश और अंतराष्ट्रीय गतिधियों की बहुत ज्यादा गतिविधियां होने लगी हैं। जिसमें डेटा तकनीक के जरिए भारी स्तर पर सायबर फ्रॉड की भी घटनाएं बढ़ गई है। इसलिए एसआई और एएसआई स्तर के अधिकारियों को बैंकिंग, सायबर, आर्थिक सेक्टर में दक्षता बढ़ाने की योजना है। वहीं हवलदार और सिपाहियों को सामाजिक गतिविधियों के साथ सोशल इंटेलीजेंस नेटवर्क में एक्सपर्ट बनाना टारगेट है। यह योजना ग्राउंड पर सफल होने में लगभग एक दशक लगेगा। जिसके बाद पुलिस विभाग में कार्य कुशलता बहुत अच्छी हो सकती है।
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