तीन दर्जन से अधिक परिवारों के घरों में बजने वाली हैं शहनाइयां, जेल मुख्यालय ने चुनाव आयोग का हवाला देकर जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ा
भोपाल। प्रदेश में लोकसभा चुनाव है। इसको लेकर आयोग ने ताजा फैसला दिया है। इस फैसले से पूरे प्रदेश भर की 130 जेलों में हड़कंप मचा है। मामला जेलों के भीतर ही भीतर सुलग रहा है। यह जल्द जेल से निकलकर बाहर भी आ सकता है। जेल के बंदी आयोग के एक आदेश को लेकर नाराज हैं।
क्या दिया था आदेश
मुख्य निर्वाचन अधिकारी वीएल कांताराव ने पिछले दिनों घोषणा करते हुए जानकारी दी थी कि जेलों के बंदियों को पैरोल नहीं मिलेगी। यह निर्णय चुनाव को शांति पूर्ण तरीके से कराने को लेकर हुआ था। उन्होंने यह भी कहा था कि विशेष परिस्थितियों में आयोग निर्णय लेगा। लेकिन, इस आदेश को जेलों में गलत तरीके से प्रचारित कर दिया गया। नतीजतन, जेलों में किसी भी बंदी को पैरोल नहीं दिया जा रहा।
भोपाल की जेल में पांच
इस आदेश के बाद प्रदेश में लगभग १०० परिवार पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। यह वह परिवार है जिनके घर शहनाईयां बजने वाली थी। रिश्ते पहले तय कर दिए गए थे। तारीख भ्भी तय हो गई थी। लेकिन, आयोग के फैसले के चलते अब ऐसे परिवार के बंदियों को पैरोल नहीं मिल पाएगा। इसमें पिता, माता, भाई, बहन से लेकर कई रिश्ते शामिल है। भोपाल की जेल में ऐसे बंदियों की संख्या पांच हैं।
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जेल के अफसरों ने किया किनारा
इस मामले में डीआईजी जेल संजय पांडे कोई ठोस जवाब नहीं दे सके। हालांकि चुनाव आयोग ने कहा है कि विशेष परिस्थितियों में पैरोल दिया जाएगा। लेकिन, प्रस्ताव जेल मुख्यालय को बनाकर भेजना है। लेकिन, इसमें तकनीकी पेंच बहुत सारे होते है जिसमें जेल विभाग या मुख्यालय को अफसर पडऩा नहीं चाहता है।
यह है हकीकत
प्रदेश में कुल १३० जेल हैं। इसमें से पांच खुली जेल है। जिला जेल की संख्या ३८ है। वहीं केन्द्रीय जेल की संख्या ११ है। सब जेलों की संख्या ८५ हैं। इनमें लगभग १८ हजार बंदी है। इसमें से प्रत्येक साल औसतन चार हजार बंदियों को पैरोल का लाभ मिलता है।