MP Cop Gossip: कबाड़ से कई लोगों के लिए जुगाड़ करने वाला राजधानी का एक थाना काले हरे रंग की पत्ती—डंठल नमीयुक्त और तीव्रगंध वाली महक को करारे नोट के कारण सूंघने में नाकाम साबित हुआ, सांसद और आईपीएस की जोड़ी प्रदेश के एक जिले में खोद रही खदान
भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस विभाग बहुत बड़ा होता है। इस विभाग की अमूमन वह खबरें जो थानों में प्रकरण के रुप में दर्ज होती है वह आ जाती है। लेकिन, कुछ ऐसी भी खबरें होती है जो गाहे—बगाहे तकनीकी चूक और सबूत के अभाव में छूट जाती है। ऐसे ही बातों का हमारा नियमित साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) हैं। इसमें हमारा मकसद किसी संस्था, व्यवस्था, व्यक्ति, पद और उसकी संप्रभुता को ठेस पहुंचाना कतई नहीं हैं। बस यूं ही हर गुरुवार थानों से लेकर अफसरों के कैबिन में घुसने के दौरान कॉरिडोर में घुमते वक्त सामने आने वाली चर्चाओं को आप सुधि पाठकों के साथ साझा करना है। ऐसे ही चटपटे किस्से के साथ इस बार आपके लिए कुछ जानकारियां। हम कुछ कॉलम में नाम और उसकी जानकारी साझा करते हैं। वह उन खबरों के आधार पर होती है जो प्रकाशित हो चुकी है।
दस हजार की रिश्वत लेते धरे गए कांस्टेबल
मध्यप्रदेश के दो शहरों भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू हुई है। यहां थानों के सुपरविजन करने वाले अफसरों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है। उसके बावजूद पुलिस व्यवस्था में टेबल के नीचे से लेने वाला कल्चर खत्म नहीं हुआ। ऐसा ही एक मामला इंदौर शहर में सामने आया है। इस मामले की खबर ज्यादा जगहों पर नहीं आई। यहां एक महिला से शिकायत पर कार्रवाई के लिए 10 हजार रुपए की रिश्वत मांगी जा रही थी। कांस्टेबल हरिसिंह गुर्जर ट्रैप हो गए और मामला दबा रह गया। अब सोचने वाली बात यह है कि गुर्जर अकेले इस राशि का इस्तेमाल कर रहे थे। ऐसा अमूमन हर प्रकरण में होता आया है। कभी भी थाने के भीतर छोटा ही कर्मचारी पिसा है। जबकि उस थाने के बाकी अन्य अफसरों की जिम्मेदारी कभी तय ही नहीं की जाती। यह परंपरा केवल इंदौर ही नहीं बाकी अन्य जिलों में भी बनी हुई है।
केंद्रीय राज्य मंत्री के सामने करा दी किरकिरी
यह खबर भी इंदौर शहर से जुड़ी है। यहां इंदौर देहात के आईजी के पास मोरटक्का थाना पुलिस की अवैध वसूली की शिकायत पहुंची थी। यह शिकायत काफी दिनों तक दबी हुई थी। हलचल उस वक्त हुई जब केंद्रीय सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय के राज्यमंत्री हर्ष मल्होत्रा ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में समीक्षा करने पहुंचे थे। मोरटक्का थाना (MP Cop Gossip) क्षेत्र में एक पुल बन रहा है। जिसमें 20 टन से ज्यादा भारी उत्पाद वाले वाहनों के चलने पर पूर्णत: प्रतिबंध है। इसमें भी उन वाहनों को आने—जाने की इजाजत दी गई है जो कि अत्यावश्यक वस्तुओं जैसे दूध, सब्जी, पेट्रोल—डीजल के टैंकर हो। प्रशासन का यही प्रतिबंध पुल से निकलने वाले ट्रक ड्रायवरों के लिए अनिवार्य अनुबंध बन गया था। जिसके लिए प्रत्येक ट्रक से दो से ढ़ाई हजार रुपए लिया जाता था। इस बात को लेकर एक मीडिया हाउस ने स्टिंग आपरेशन कर दिया। जिसके बाद खंडवा जिले के एसपी मनोज राय ने बड़वाह टीआई, मोरटक्का चौकी प्रभारी और एक आरक्षक को निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई उस वक्त की गई जब केंद्रीय राज्य मंत्री इंदौर के दौरे पर थे।
अपने ही अफसर जब बाकी हुए तो सेवानिवृत्त हवलदार ने अपनी हैसियत बताई
यह मामला बैतूल जिले का है। पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना हर जिले के अफसरों से बार—बार कहते हैं कि मैदानी कर्मचारियों की समस्याओं का तुरंत समाधान किया जाए। लेकिन, वह कितनी सुनी जाती है इस प्रकरण से आपको पता चल जाएगा। बैतूल में रहने वाले सेवानिवृत्त हवलदार राजबन गोस्वामी ने भारतीय पुलिस सेवा और राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को आईना दिखा दिया। दरअसल, उन्हें विभाग ने अप्रैल, 2023 में रिटायर होने के बाद करीब पौने छह लाख रुपए की रिकवरी निकाल दी। इस रिकवरी के लिए पुलिस विभाग के अफसरों ने रिटायर्ड हवलदार की जीपीएफ की राशि करीब 57 हजार रुपए के भुगतान पर रोक लगा दी। पूरा जीवन पुलिस विभाग में खपाने के बाद बदले में मिले इस उपहार से सेवानिवृत्त हवलदार आहत हुए। उन्होंने सीधे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिसके बाद न्यायालय ने अफसरों को फटकार लगाते हुए रिकवरी के नोटिस को खारिज कर दिया। ऐसे वाक्ये अमूमन पुलिस मुख्यालय में रोज देखने मिलते हैं। पीएचक्यू में भी गोस्वामी ने फरियाद लगाई थी। लेकिन, सुनवाई तब हुई जब हाईकोर्ट ने हैमर बजाकर अपना फैसला बता दिया।
भोपाल शहर के नजदीक राजगढ़ जिले की यह घटना है। मामला सुतार समाज के परंपरा से जुड़ा है। दरअसल, खजूरी कला गांव में रहने वाले एक व्यक्ति ने शादीशुदा महिला से शादी कर ली। ऐसे करने पर सुतार समाज की परंपरा का उल्लंघन बोलकर दोनों पक्षों के बीच बवाल चल रहा था। लड़की पक्ष का कहना था कि शादीशुदा महिला ने बिना तलाक दिए ऐसा किया है। इस कारण लड़के को हर्जाना देना होगा। इसी विवाद पर छापीहेड़ा थाना प्रभारी राजेंद्र सिंह मीडिया की सुर्खियों में आ गए। क्योंकि उनकी गर्मजोशी के साथ फटकारते हुए उनका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया। जिसमें वे कह रहे थे कि पीएम, राष्ट्रपति के अलावा सीएम हेल्पलाइन में दो सौ से शिकायत कर दें। इसके पहले औरउसके बाद का संवाद सोशल मीडिया में वायरल ही नहीं हुआ। इससे साफ है कि विवाद की जड़ में कोई न कोई राजनीतिक पहलू जुड़ा है।
कप्तान के रथ चलाने वाले सारथी ने पीएचक्यू तक मचा दिया बवाल
यह घटना अनूपपुर जिले की है जिसकी विस्तृत रिपोर्ट कई मीडिया हाउस में दबी—दबी आकर दब गई। इस जिले में तैनात एसपी जितेंद्र सिंह पवार के सरकारी वाहन ने बाइक सवार को टक्कर मार दी थी। इस हादसे में बाइक सवार एक व्यक्ति की मौत हो गई। वहीं दूसरा युवक जख्मी हो गया। यह घटना जिले के ग्राम राजेंद्र में हुई थी। जब यह दुर्घटना हुई तो उस वक्त एसपी वाहन में तैनात भी थे। उन्होंने दुर्घटना के बाद हुए बाकी घटनाक्रम को प्रकाशित होने से जरुर बचा लिया। कुछ समाचार पत्रों ने भोपाल के पन्ने पर जगह तो दी लेकिन ऐसी जगह रखी कि वह आम पाठकों के नजर में न आ सकेे। ऐसा नहीं हैं कि यह घटनाक्रम पीएचक्यू नहीं पहुंचा। यहां भी आया और उसे संभालने के लिए बोला गया।
खाकी और खादी के गठबंधन में चल रहा खेल
यह बात बहुत संवेदनशील है और गंभीर भी है। इस बात के दस्तावेज फिलहाल हवा में तैर रहे हैं। जिस किसी भी व्यक्ति ने दस्तावेज के साथ सांसद और आईपीएस से संपर्क किया उसे सामने वाले की हैसियत के अनुसार उसकी खैरियत की। मामला ऐसा है कि जिस जगह के सांसद हैं वहां खनन का ठेका लिया गया है। जिसे ठेका मिला वह आईपीएस अफसर का दाहिना हाथ है। वह उनके लिए खनने का पूरा काम देखता है। इसके बदले में जो मिलता है ‘कहने का मतलब यह है रॉयल्टी चोरी वाली रकम’ आधी—आधी बांटी जाती है। इसे पहुंचाने का भी जिम्मा भी जुगलबंदी के साथ किया जाता है। अब देखना यह है कि किस दिन यह गठबंधन वाले दस्तावेज मीडिया में ट्रोल होंगे। लेकिन, यह तो तय है कि फिर तस्वीरों के साथ जमकर किरकिरी भी होगी। खनन का काम एक ऐसी जगह से होता है जहां बहुत ज्यादा तादाद में विदेशी पर्यटक आते हैं। आपको यह भी बता दें कि कारोबार में निगरानी की कमांड आईपीएस अफसर के पास है।
देख लीजिए साहब आपने तो पूर्व डीजीपी के बेटे को नहीं बख्शा, यहां कांस्टेबल किरकिरी करा रहे
यह घटना भोपाल शहर की है। राजधानी में खूब जमकर गांजा तस्करी चल रही है। हमारे पास सीमित संसाधन हैं इसलिए गॉसिप (MP Cop Gossip) में ही इसे बताने को मजबूर हैं। इस कारोबार में महाराष्ट्र के मकोका मामले में फरार चल रहे शहर के एक कुख्यात बदमाश की मुख्य भूमिका है। इस बदमाश के गठबंधन के किस्से अगले सप्ताह गॉसिप में साझा किया जाएगा। फिलहाल यह घटना बुधवार रात की है। वारदात का समय पौने बारह से लेकर आधी रात सवा बारह बजे तक का है। यह थाना कबाड़ से जुगाड़ बोलकर काफी जाना जाता है। उसके दो सिपाहियों ने एक महिला को रोका। जिसको रोका गया उसके पास काले हरे रंग की पत्ती—डंठलयुक्त और तीव्रगंध वाला पदार्थ भी था। यह किलो के भाव में था। उसके पकड़ाने के बाद कुख्यात बदमाश चौकी पर पहुंचा। यह चौकी पाकिस्तान से विस्थापित एक समुदाय विशेष के नाम पर ज्यादा जानी जाती है। यहां सुंगध की महक को भूलने के लिए न्यौछावर किए गए। हालांकि थाने में तैनात दोनों कांस्टेबल यह भूल गए कि चौराहे पर कैमरे भी लगे थे। जिस माफिया ने तौल कांटे का मोल किया तो वह बताकर अपना रसूख महकमे में बताने लगा। रात तक यह खबर सभी जगह फैल गई। खास बात यह है कि दोनों आरक्षक जिस जगह तैनात हैं वहां के अफसर ने एमपी के पूर्व डीजीपी के बेटे को भी नहीं बख्शा था। उसके खिलाफ कार्रवाई करके ‘सिंघम’ कहकर मार्केटिंग कराई थी। हालांकि उस वक्त वे प्रशिक्षु अवस्था में थे।
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