MP Cop Gossip: अपनों से घिरी 1600 पेज की विवादित सूची 

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MP Cop Gossip: थानों के अंगद से फिर बदनाम हुआ महकमा, वायरल होती आवाज उससे पहले  एसआई ने कर लिया सौदा, चार कुर्सी के लिए दावेदारी शुरु

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सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस महकमा काफी बड़ा है। उसमें भीतर ही भीतर बहुत कुछ चल रहा होता है। ऐसे ही बातों का हमारा साप्ताहिक कॉलम एमपी कॉप गॉसिप (MP Cop Gossip) हैं। इसमें वह बातें बताई जाती है जो मीडिया में आने से रह गई। हमारा मकसद किसी व्यवस्था, व्यक्ति को कम—ज्यादा आंकना नहीं हैं। बस यह बताना है कि दीवारों के भी कान होते हैं।

योद्धा बनाने में भी चेहरे देखे गए

पिछले दिनों 1600 से अधिक पेज की एक सूची गृह विभाग से सोशल मीडिया में वायरल हुई है। इसमें पूरे प्रदेश के 39 हजार से अधिक आईपीएस से लेकर सिपाहियों के नाम हैं। इन्हें कोराना योद्धा सम्मान देने का निर्णय तत्कालीन सरकार ने लिया था। यह वह नाम है जो अब विवादों में आ गए हैं। दरअसल, इसमें कुछ ऐसे भी नाम हैं जो सड़कों पर कभी नहीं उतरे। जबकि ऐसे नाम गायब हो गए जो बंगलों में जाकर कोरोना मरीज जिन्हें उनके रिश्तेदार भी टच नहीं कर रहे थे लेकर अस्पताल में भर्ती कराया था। इस विवादित सूची ने कई मैदानी कर्मचारियों को मायूस कर दिया हैं। यह सूची तत्कालीन डीजीपी के नाम से गृह मंत्रालय से पहुंची थी और मंजूर हुई हैं।

जांच के नाम पर खेला

राजधानी के एक भ्रष्ट, अड़ीबाज और महकमे की साख को दांव पर लगाने वाले एसआई का चर्चित मामला सुर्खियों में हैं। दरअसल, जिस परिवार ने एसआई की शिकायत की थी उसमें बहुत बड़ा अंदर ही अंदर खेल हो गया। आरोप है कि थानेदार साहब वर्दी पहनकर थाने में बर्थडे केक काट रहे थे। जिस पर हुई प्राथमिक जांच में वे दोषी पाए गए थे। उस जांच रिपोर्ट को अफसरों ने मिलीभगत करके दबा दिया। इस मामले में कार्रवाई की रिपोर्ट लेने के लिए जब आरटीआई अपील लगाई गई तो दूसरी जांच खड़ी कर दी गई। जबकि पीड़ित परिवार ने पहली जांच रिपोर्ट मांगी थी। इस संबंध में जनसुनवाई में पहुंचकर पीड़ितों ने आला अधिकारियों से भी शिकायत की है। जिसके बाद पीड़ित परिवार को मीडिया से दूर रहने की शर्त पर चुपचाप कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया है। यह सौदा एक अधिकारी के कैबिन के भीतर बैठकर तय किया गया है।

चमड़ी वालों ने चेहरे की उड़ा दी है हवाईयां

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राजधानी में स्पा और मसाज सेंटर की आड़ में जमकर चमड़ी का खेल चल रहा था। जिसकी शिकायतें मिलने पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई। पता चला कि उसमें महकमे के ही कुछ कर्मचारी की सीधी दखल थी। जिसके बाद अफसरों ने मौन रहने में ही भलाई समझी। इधर, जब कार्रवाई की गई तो उसमें भी छोड़ने के नाम पर पैसा ले लिया गया। जिसके बाद वाहवाही लूटने की बजाय पूरा पुलिस महकमा ही बैकफूट पर आ गया। भीतर से खबरें मिल रही है कि तीन अलग—अलग जांच चल रही है। जिसमें दो थानों के कई कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है।

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कुर्सी को लेकर उछलने लगे सिक्के

पिछले दिनों मसाज सेंटर में छापे मारे गए। जिसमें चार थानों की कार्यप्रणाली अफसरों की आंख में खटक गई। इसमें एक थाना प्रभारी (MP Cop Gossip) तो पहले से ही मीडिया में एफआईआर दर्ज न करने के कारण बदनाम चल रहे थे। उनके ही थाने में विभीषण निकल आए। इधर, बंदरबाट की खबरों से अफसरों की त्यौरियां चढ़ी हुई है। खबर है कि शहर के चार थानों के प्रभारी की इन मामलों में रवानगी तय मानी जा रही है। उनके स्थान पर अपना रुमाल रखने वाले अधिकारियों के नामों पर अब कर्मचारी जेब से सिक्के उछालकर शर्त लगा रहे हैं कि फलां के फलां से नजदीकियां इसलिए कुर्सी मिलना तय हैं। अब देखना यह है कि यह कयास कब तक लगते रहेंगे। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)

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