7 महीने तक झाड़-फूंक कराते रहे माता-पिता
भोपाल। आपने कभी सुना है कि कोई खेल, खेलते-खेलते किसी को भूत लग गया हो? जी हां ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के विदिशा से सामने आया है। जहां एक 15 साल के लड़के अनिल (परिवर्तित नाम) को भूत लग गया था। वो जोर-जोर से चिल्लाता और अजीबो-गरीब हरकते करता था। ये देखकर उसके माता-पिता सहम जाते । डर के मारे उनके मन में ये बहम घर कर गया कि बेटे के ऊपर भूत-प्रेत या चुडैल का साया है। गजब कि बात तो यह है कि माता-पिता के अलावा गांव वाले भी मानने लगे थे कि अनिल को भूत लग गया है। रात के वक्त उसके कमरे से आती चिल्लाने की आवाज सुन, गांवभर में दहशत का माहौल बन जाता। लोगों ने रात में घर से बाहर निकलना ही छोड़ दिया था।
परेशान माता-पिता अनिल को तांत्रिकों के पास ले जाने लगे। एक तांत्रिक ने उनसे कहा कि भूत उतरने में कम से कम तीन महीने तो लग ही जाएंगे। ये सुनकर माता-पिता और घबरा गए। दूसरी तरफ अनिल को लगे भूत ने नई-नई ख्वाहिशें करना शुरु कर दी। वो कभी पैसों की डिमांड करता तो कभी कपड़ों की। साथ ही धमकी भी देता कि उसकी मांग पूरी नहीं हुई तो वो अनिल को नुकसान पहुंचाएगा। मजबूर माता-पिता कथित भूत की हर डिमांड पूरी करने लगे। वो करीब 10 हजार रुपए अऩिल को लगे भूत को दे चुके थे। लेकिन एक दिन तो हद ही पार हो गई। अऩिल के अंदर बैठे भूत ने बाइक की डिमांड कर डाली। जिसे सुनकर ही गरीब माता-पिता के हाथ-पैर फूल गए। किसी तरह उन्होंने भूत को समझाया कि आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से वो बाइक नहीं दिला सकते।
दिन-व-दिन अऩिल पर भूत का कब्जा बढ़ता ही जा रहा था। लिहाजा अब माता-पिता के साथ रिश्तेदार भी चिंता में पड़ गए। ग्वालियर में रहने वाली बुआ ने अपनी किराएदार प्रिया (परिवर्तित नाम) को अऩिल की हालत के बारे में बताया। प्रिया समझदार थी, लिहाजा उसने अनिल का नंबर मांग लिया। वो घंटों अनिल से बातें करने लगीं, और बातों ही बातों में वो राज खुल गया, जिसका फायदा अऩिल उठा रहा था।
दरअसल अनिल के सिर पर भूत नहीं पबजी (PUBG) गेम का साया था। उसे पबजी गेम खेलने की लत लग गई थी। जिसके लिए उसने दोस्तों से पैसा उधार लेकर एक सेकंडहैंड मोबाइल खरीदा था। मोबाइल का राज माता-पिता से छुपाने के लिए वो उसका उपयोग रात को ही करता था। बंद कमरे में अनिल रात में बंद कमरे में पबजी खेलता था, इसी दौरान कई बार वह एक्साइटमेंट में पकड़ो…, मारो…., वहां छिपो… जैसी आवाजें निकालता हुआ चिल्लाता था। आवाजें सुन घर वालों को लगा कि वह किसी भूत या चुड़ैल के साये में है और उन्होंने बच्चे की झाड़-फूंक शुरू करवा दी। अऩिल ने भी इस बात का पूरा फायदा उठाया और बुरे साये के नाम पर सात माह तक परिवार को मूर्ख बनाता रहा।
अऩिल ने उठाया पूरा फायदा
अनिल ने परिवार के अंधविश्वास का भरपूर फायदा उठाया। वह खुद भी यही दिखाने लगा कि वह किसी साए की गिरफ्त में है और इस दौरान उसने अपनी हर बात मनवाई। अऩिल तरह-तरह का स्वांग कर कहता कि – मेरी मांग पूरी करो नहीं तो तुम्हारे बच्चे का नुकसान हो जाएगा। इस तरह अऩिल ने न केवल मोबाइल के लिए लिया हुआ उधार चुकता किया, बल्कि गेम के लिए जमकर पबजी ऐसेसरीज भी खरीदीं। परिवार से मिली जानकारी के मुताबिक बच्चा सात माह में उनसे दस हजार से ज्यादा की रकम निकलवा चुका है। उसने बाईक की डिमांड भी की थी, जो परिवार पूरी नहीं कर पाया। हां, खाने-पीने-घूमने और कपड़ों की हर मांग उसकी पूरी हुई।
फिल्म से मिला आइडिया
अनिल का इलाज कराने उसके माता-पिता उसे जेपी हॉस्पिटल भोपाल लेकर आए थे। जहां उसने काउंसलर को बताया कि उसने एक फिल्म देखी थी, जिसमें सलमान खान की दादी अपने पोते को पति का पुर्नजन्म मान उसकी हर बात मानती है। इसके अलावा सब टीवी के एक सीरियल में भी ऐसा ही कुछ था, जिसके बाद बच्चे के दिमाग में स्वांग रचने का आइडिया आया।
स्क्रीन और रियल में फर्क करना सिखाए
(वर्जन- दिव्या दुबे मिश्रा, काउंसलर)
बच्चा वच्युअल लाइफ से खासा इंस्पायर है। स्वांग रचने का आइडिया भी उसे स्क्रीन से ही मिला। पहली सीटिंग में उसे यही समझाया है कि स्क्रीन और रियल लाइफ में बहुत अंतर है। मामले में पैरेंटस की भी काउंसलिंग की है, जिन्होंने अंधविश्वास के चक्कर में बच्चे को बढ़ावा दे दिया। साथ ही उन्हें समझाया कि बच्चा जब भी अपनी उम्र से बढ़कर डिमांड करें तो अलर्ट हो जाएं और बच्चे से बात कर चीजें सुलझाएं। पैरेंटस को बच्चे के मोबाइल छिपाए रखने की बात तक पता नहीं थी, इसलिए बच्चे के साथ पैरेंटस को भी समझाना जरूरी है।