ईओडब्ल्यू ई—टेंडर में छुपा रहा है वह सबकुछ जो उसे बहुत पहले उजागर कर देना था
- मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) का बहुचर्चित हनी ट्रैप केस (MP Honey Trap Case) सबको मालूम है। लेकिन, इसकी सच्चाई आज तक बाहर नहीं आ सकी। भीतर ही भीतर वह सबकुछ हो रहा है जो होना चाहिए। लेकिन, जांच की आड़ में समाज के उन काले पतित चेहरों को मध्यप्रदेश पुलिस (Madhya Pradesh Police) बेनकाब नहीं कर पा रही है।
- कांग्रेस सरकार आने के बाद सबसे चर्चित मामला ई—टेंडर (E-Tender Scam) का रहा है। इस मामले को लेकर कांग्रेस ने चुनाव से पहले घोषणा की थी। जांच ईओडब्ल्यू (EOW) को सौंपी गई। इस मामले में एफआईआर भी दर्ज की गई। लेकिन, चार महीने में ईओडब्ल्यू जांच के किसी भी निष्कर्ष पर अब तक नहीं पहुंच पाया।
भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में मुख्यमंत्री कमलनाथ (CM Kamalnath) के नेतृत्व में सरकार 10 महीने से अधिक अपना कार्यकाल पूरा कर चुकी है। उसके कार्यकाल में दो बड़े मामले उजागर हुए हैं। लेकिन, दोनों ही मामलों में जांच एजेंसियां ऐसे चुप्पी साधे हुए हैं जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो। जबकि हकीकत यह है कि एजेंसियां बकायदा जांच कर रही है। जांच ऐसी की एक भी जानकारी बाहर नहीं आ पा रही। इसलिए जांच एजेंसियों पर यह आरोप लग रहे हैं कि रसूखदारों (High Profile) को वह बदनामी न हो उसका सुख मुहैया करा रही है।
जांच के लिए प्राथमिकी जून, 2018 दर्ज हुई थी। ईओडब्ल्यू के पास सायबर (Cyber) से जुड़े मामले की विशेषज्ञता हासिल नहीं थी। इसलिए मामले की जांच कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम नई दिल्ली को दी गई थी। इस संस्था की रिपोर्ट को आधार बनाकर मामला दर्ज किया गया है। जल निगम के तीन टेंडर, लोक निर्माण विभाग के दो टेंडर, सड़क विकास निगम के एक टेंडर, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक टेंडर ऐसे करके कुल नौ टेंडरों में गड़बड़ी करना पाया गया है। यह घोटाला (E-Tender Scam) लगभग तीन हजार करोड़ रूपए का है। इस मामले में हैदराबाद की कंपनी मैसर्स जीवीपीआर लिमिटेड(MS GVPR) , मैसर्स मैक्स मेंटेना (Max Mentena) लिमिटेड, मुंबई की कंपनियां दी ह्यूम पाइप लिमिटेड, मैसर्स जेएमसी लिमिटेड, बड़ौदा की कंपनी सोरठिया बेलजी प्रायवेट लिमिटेड, मैसर्स माधव इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड और भोपाल की कंस्टक्शन कंपनी मैसर्स रामकुमार नरवानी (Ramkumar Narvani) लिमिटेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें संचालकगणों को आरोपी बनाया गया है। इसके अलावा ईओडब्ल्यू ने इस मामले में साफ्टवेयर बनाने वाली OSMO IT सॉल्यूशन प्रायवेट लिमिटेड, एमपी एसईडीसी, एन्टेस प्रायवेट लिमिटेड और बैगलोर की टीसीएस कंपनी पर भी मुकदमा दर्ज किया है।
जैसा कि नाम से ही साबित है कि इन कंपनियों की वार्षिक आय (Annual Profit) लाखों रुपए की है। इसलिए इनसे जुड़े हुए सारे चेहरे राजनीतिक पहुंच और पैसों से दमदार है। अब तक छोटे—मोटे कर्मचारियों को पकड़कर ईओडब्ल्यू (EOW) ने अपनी पीठ थपथपाने का काम किया है। इस मामले में ईओडब्ल्यू कोई चार्जशीट भी अब तक नहीं बना पाया है। दूसरा यह कि ईओडब्ल्यू ने इस मामले की एफआईआर भी सार्वजनिक नहीं की है। जबकि ऐसा उसे बहुत पहले कर देना था।
क्या है मामला
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के कार्यकाल में हुए चर्चित घोटालों में से एक ई—टेंडर घोटाले (E-Tender Scam) में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने मामला दर्ज किया था। इस मामले में निर्माण कार्य से जुड़ी कंपनियों के अलावा तीन आईटी की कंपनियों को आरोपी बनाया गया है। यह गड़बड़ी सरकारी अफसर ने ही पकड़ी थी। इस मामले में प्रदेश के कुछ ब्यूरोक्रेट की भूमिका भी संदेह के दायरे में हैं। लेकिन, उन नामों का खुलासा करने से ईओडब्ल्यू बच रही है।