MP Education Mafia: राजधानी में शिक्षा माफिया का खेल

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MP Education Mafia: माध्यमिक शिक्षा मंडल की पांचवीं और आठवीं बोर्ड की परीक्षाओं को लेकर चिंतित हो रहे निजी स्कूलों के छात्र

MP Education Mafia
सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई

भोपाल। मध्यप्रदेश में शिक्षा माफिया काफी सक्रिय है। इनके तार हर छोटे-बड़े निजी स्कूलों से जुड़े हैं। इतना ही नहीं इन्हें संरक्षण देने वालों का माफिया बकायदा ख्याल भी रखते हैं। इसी माफिया (MP Education Mafia) के दबाव में सरकार जुलाई से लेकर सितंबर महीने तक निर्णय नहीं ले पाई। नतीजतन, बीच सेशन में एक आदेश सरकार ने जिला शिक्षा अधिकारी की मदद से थोप दिया है। जिसका खामियाजा निजी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों पर पढ़ रहा है। इस बारे में हमें कई अभिभावकों ने शिकायत की है। जिसकी पड़ताल के बाद कई चैका देने वाली बातें सामने आई है।

शिक्षा का बाजारीकरण

राजधानी भोपाल में तीन बड़े पब्लिशर का काफी दखल है। इन्हीं की प्रकाशित खबरें निजी स्कूलों में मनमाने दाम में बेची जा रही है। जिस कारण अभिभावकों की जेब में आर्थिक बोझ पड़ रहा है। बढ़ती महंगाई, पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के बीच शिक्षा माफियाओं की महंगी किताबों को खरीदने निजी स्कूलों ने मजबूर किया। इन्हीं किताबों के जरिए बच्चों को पढ़ाया गया। अब निजी स्कूलों को जिला शिक्षा विभाग से आदेश जारी हुआ है कि पांचवीं और आठवीं कक्षा के बच्चों की बोर्ड पैटर्न पर आयोजित की जाएगी। हमें कई स्कूलों में निजी स्कूलों की अपनी किताबें चलाने की शिकायतें मिली है। अब उन स्कूल के बच्चों को एनसीईआरटी की किताब लेकर नए सिरे से कोर्स को कम्पलीट कराने का दबाव प्रबंधन की तरफ से अभिभावकों पर डाला जा रहा है। यह वे स्कूल है जो शहर की सीमाओं से सटे इलाकों में चल रहे हैं। इन इलाकों में औचक निरीक्षण करने का साहस जिला शिक्षा विभाग की तरफ से भी नहीं किया जाता। जिसका फायदा स्कूल के साथ-साथ शिक्षा माफिया जमकर लूट रहे हैं।

कार उपहार में दी

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सांकेतिक चित्र

इस समस्या पर जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना (DEO Nitin Saxena) से चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि निजी स्कूलों (MP Education Mafia) में क्यूरीकलम वैसा ही होता है। किताबें अलग होती है लेकिन कोर्स आगे-पीछे एक जैसा होता है। जबकि हमसे जिन अभिभावकों ने संपर्क किया है उनके यहां पढ़ाई जा रही हिंदी और अंग्रेजी की किताबों में काफी अंतर है। हालांकि नितिन सक्सेना इन आरोपों को एक सिरे से खारिज कर रहे हैं। इसके अलावा खबर है कि शहर के तीन बड़े पब्लिशर ने कुछ महीने पहले करीब 25 लाख रूपए की एक कीमती कार उपहार में दी है। यह कार देने की वजह निजी स्कूलों में संचालित पाठ्यक्रम की पुस्तकें हैं।

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