राजधानी में चोर-पुलिस का गठजोड़ उजागर होने के बाद भी अफसर को बचा रहे उच्च अधिकारी, कार्रवाई के नाम पर छोटे कर्मचारियों पर गिर रही गाज
भोपाल। राजधानी भोपाल की पुलिस का एक ऐसा कारनामा सामने आया हैं, जिसे पढ़कर आप भी कहेंगे कि इस मामले में चोर से ज्यादा तो पुलिस दोषी नजर आती हैं। चोर से बरामद दो किलो सोना हजम करने के बाद, एक अफसर (Corrupt Officer) का दिल उसकी गाड़ी पर आ गया। अफसर ने चोर की गाड़ी को स्वयं के कब्जे में ले लिया और चोर को भगा दिया गया। जिसके बाद वो चोर की गाड़ी में करीब 6 महीनें तक घूमते रहे। करप्ट अफसर (Corrupt Officer) इस फ्री की लग्जरी गाड़ी का भरपूर उपभोग करते रहे। लेकिन जब मामले की पोल खुली तो वो सन्न रह गए और गुपचुप तरीके से गाड़ी को थाना परिसर में खड़ा कर दिया। दिल पर पत्थर रखकर ये अधिकारी गाड़ी को लावारिस हालत में खड़ा कर छोड़ आए। सूत्रों का कहना है कि अफसर की इस करतूत की जानकारी आला अधिकारियों को भी हैं। लेकिन वो कोई कार्रवाई करने की बजाए छोटे कर्मचारियों को निशाना बना रहे है।
कौन हैं यह अफसर
यह अफसर (Corrupt Officer) तीन साल पहले ही राजधानी आए हैं। इनका अधिकांश कार्यकाल जबलपुर और उसके आस-पास बीता है। पीएचक्यू फिर वहां से एक महत्वपूर्ण विंग से लौटकर वापस शहर में यह अफसर आए हैं। राज्य पुलिस सेवा के इन अफसर की सीआर न बिगाडऩे का हवाला देकर आला अफसरों का मौज का काम अभी भी जारी है। इसलिए छोटे कर्मचारियों पर दनादन कार्रवाई करते हुए करप्ट अधिकारी को बचा ले जाने का षडयंत्र अभी भी चल रहा है। सीसीटीवी फुटेज मिटाने और रोजनामचे में हेर-फेर करने का भी सिलसिला जारी है। इस राज को जानने वाले सारे कर्मचारियों को यहां-वहां पोस्टेड करके विरोध के सुर दबाए जा रहे हैं।
किससे बरामद की गई थी एसयूवी
कोलार इलाके से सीहोर निवासी शैलेन्द्र विश्वकर्मा को इसी साल जनवरी को दबोचा गया था। उस वक्त वह अपनी स्कॉर्पियों में था। उससे स्कार्पियो ले ली गई और कुछ घंटे बाद उसे जाने दिया गया। इससे पहले शैलेन्द्र विश्वकर्मा को वर्ष 2017 में क्राइम ब्रांच के ही कर्मचारियों ने दबोचा था। उस वक्त उससे दो किलो सोना लेकर उसे भगा दिया था। लेकिन, यह राज ज्यादा दिन पर्दे के पीछे नहीं रह सका । हैदराबाद के डीसीपी ने फोन करके भोपाल क्राइम ब्रांच से बातचीत की थी। इसके बाद कुछ सोना और एक वाहन जब्त करके हैदराबाद पुलिस को दिया गया। यह मामला पिछले महीने जून में मीडिया में जमकर उछला। यह उछलते ही चोर से जब्त स्कॉर्पियो को गुपचुप तरीके से क्राइम ब्रांच में खड़ा करा दिया गया। शैलेन्द्र विश्वकर्मा इस वक्त जेल में हैं। लेकिन, उसकी इस कहानी से जिले के अन्य अफसर भी वाकिफ है। गाड़ी को थाना परिसर में खड़ा करने से पहले उसकी नंबर प्लेट हटा दी गई। खास बात ये है कि जब क्राइम इन्फो के फोटोग्राफर ने गाड़ी का फोटो लिया, उसके कुछ घंटों में ही गाड़ी थाना परिसर से भी गायब कर दी गई। फिलहाल ये एसयूवी कहां है किसी को नहीं पता।
फिर क्यों उठा मुद्दा
एक सप्ताह पहले डीबी मॉल से सटोरिया पियूष गोयल गिरफ्तार हुआ था। वह होटल के कमरे में जुआ खिला रहा था। उसे जब दबोचा गया तो उसने बताया कि वह ऐसा करने के बदले में बकायदा अफसर को महीना दे रहा था। महीना लेने वाले अफसर वही है जो शैलेन्द्र की कार पर कब्जा किए हुए थे। इस मामले में भी अफसरों ने उस तथ्य को नजर अंदाज करके तीन छोटे कर्मचारियों पर कलम चला दी। जबकि यह कर्मचारी अफसर के कहने पर रिकवरी करने उस सटोरिए के पास जाते थे।