Exclusive Breaking News: जीजा—साली के बीच बने अवैध संबंध में हैं कई तकनीकी पेंच, शादी के पांच महीने बाद बच्ची को दिया जन्म, टीकाकरण के लिए आधार कार्ड मांगने के दौरान जबरिया दबाव बनाने के चलते सामने आई यह सनसनीखेज कहानी, तीन महिलाओं के बीच बच्ची के वास्तविक माता—पिता का पता लगाना छोड़ पुलिस की तरफ से सुलह की कोशिश, भोपाल पुलिस कमिश्नर के पास पहुंची पत्नी ने थाना पुलिस की लचर विवेचना के संबंध में दर्ज कराई शिकायत
सांकेतिक ग्राफिक डिजाइन टीसीआई
भोपाल। अबोध बालिका जिसे मां होने के बावजूद उसे कोख का सुख नहीं मिला। वह लगभग एक पखवाड़े से अनाथ आश्रम में रहने को मजबूर हैं। इस अबोध बच्ची का गुनाह सिर्फ इतना है कि वह उसकी मां के कारण दूसरी महिला के पास भेज दी गई। ऐसा नहीं है कि पुलिस को इस बारे में कुछ नहीं पता। बल्कि बाल कल्याण समिति ने इस विषय पर जांच करने के लिए हबीबगंज थाना पुलिस (Exclusive Breaking News) को आदेश दिया है। जिस पर पुलिस की तरफ से वैधानिक कार्रवाई करने की बजाय सुलह कराने का रास्ता अपनाया जा रहा है। जिस कारण तीन परिवारों के बीच विवाद की स्थिति बन गई है। नतीजतन यह पूरा प्रकरण अब भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र के पास पहुंच गया है। जिसमें अभी जांच अधिकारी को नियुक्त करने से संबंधित निर्णय लिया जाना बाकी है।
प्रभारी डीसीपी ने तो आवेदन ही नहीं लिया
पुलिस सूत्रों के अनुसार इस संबंध में 24 वर्षीय शादीशुदा महिला ने शिकायत दर्ज कराई है। वह गोविंदपुरा (Govindpura) थाना क्षेत्र स्थित विकास नगर (Vikas Nagar) बस्ती में रहती है। उसके पति का मामला हबीबगंज (Habibganj) थाने में बाल कल्याण समिति (Bal Kalyan Samiti) ने पहुंचाया है। वहां निष्पक्ष जांच करने की बजाय पुलिस पर खेल करने का आरोप लग रहा है। इस पूरे प्रकरण में एक हिंदू संगठन के नेता की भी संदिग्ध भूमिका है। पीड़िता का पति कारखाने में जॉब करता है। उसकी शादी जून, 2019 में हुई थी। उसका मायका नर्मदापुरम (Narmadapuram) जिले के तहसील सिवनी मालवा के कहारिया कॉलोनी में हैं। शादी परिवार की रजामंदी से ही तय हुई थी। उसकी एक बेटी भी है जिसकी उम्र पांच साल है। उसका आरोप है कि पति को फंसाने के लिए हबीबगंज थाना पुलिस जबरिया कागज में हस्ताक्षर करा रही है। जबकि उसे निष्पक्ष जांच करना चाहिए था। वह हबीबगंज थाना पुलिस की एक सप्ताह से चल रही जांच से असंतुष्ट हैं। इसलिए उसने पुलिस कमिश्नर को आवेदन दिया। इतना ही नहीं उसने यह आवेदन डीसीपी जोन—1 को भी दिया था। यहां प्रियंका शुक्ला (DCP Priyanka Shukla) पदस्थ है। हालांकि वे ऐशबाग थाने में कॉल सेंटर मामले में रिश्वत लेते ट्रैप हुए एएसआई के बाद अवकाश पर चल रही हैं। इस कारण यह प्रभारी डीसीपी क्राइम ब्रांच अखिल पटेल (DCP Akhil Patel) के पास है। उन्होंने यह बोलकर आवेदन लेने से इंकार कर दिया कि पुलिस कमिश्नर कार्यालय के पास से आवेदन की जांच उनके ही पास आ जाएगी।
पति बेकसूर तो नहीं है लेकिन फंसाया जा रहा है
पीड़िता का कहना है कि वह संयुक्त परिवार में रहती है। वह तीन बहनें हैं। बड़ी बहन हबीबगंज थाना क्षेत्र स्थित साई बाबा नगर (Sai Baba Nagar) बस्ती में रहती है। उसका पति एक हिंदू संगठन से जुड़ा है। वह न्यू मार्केट में प्रायवेट काम करता है। उसका मायका मूलत: सिवनी (Sivani) मालवा में है। वहां उसके माता—पिता और एक भाई (Exclusive Breaking News) के साथ सबसे छोटी बहन भी रहती है। छोटी बहन जनवरी, 2024 में पीड़िता की बड़ी बहन की डिलीवरी के दौरान देखरेख के लिए भोपाल आई थी। इस दौरान लगभग एक सप्ताह के लिए वह पीड़िता के विकास नगर में स्थित मकान में आई थी। यहां कुछ दिन रही फिर वह वापस बड़े जीजा के पास रहने चली गई। वहां से वह सिवनी मालवा (Sivani Malwa) चली गई थी। छोटी बहन की सगाई जून, 2024 में हुई थी। उस वक्त वह भी वहां गई थी। छोटी बहन की 03 जुलाई, 2024 को शादी हुई। उसका पति हरदा (Harda) जिले का रहने वाला था। शादी के बाद वह तीन महीने तक उसके ससुराल में रही। उसे पति ने मायके पहुंचा दिया। उसको मां ने बताया कि छोटी बहन के पारिवारिक कलह की वजह उसका पति है। क्योंकि उसके साथ शारीरिक संबंध के चलते वह गर्भवती हो गई थी। यह बात पति ने टेस्ट कराया तो सामने आ गई। उसने पति से पूछा तो बताया कि उसे छोटी बहन ने मार्च, 2024 में ऐसा करने के लिए मजबूर किया था। उस वक्त वह घर पर थी और उसे पता भी नहीं चलने दिया।
नोटरी के लिए 20 हजार रुपए चुकाए
पति ने चेकअप कराया तो उसके गर्भ में चार महीने का बच्चा था। पीड़िता को उसके पति ने बताया कि सगाई के वक्त ही उसे यह बात पता थी। जिस कारण उससे उसकी छोटी बहन ने गर्भपात की गोली भी मंगाई थी। इसी विवाद के बीच पीड़िता की छोटी बहन ने 11 दिसंबर, 2024 को सिवनी मालवा में स्थित सरकारी अस्पताल में बेटी को जन्म दिया। जन्म के बाद उसका नाम ‘दिविशा’ रखा गया था। उसके जन्म के बाद पीड़िता की छोटी बहन ने मां के स्थान पर उसका और पिता के नाम के स्थान पर पीड़िता के पति का नाम दर्शाया। यह सारी बातें पीड़िता नहीं जानती थी। यह जानकारी तो 22 फरवरी, 2025 को तब पता चली जब उसके पति के साथ छोटी बहन ने ब्लैकमेलिंग शुरु की। वह चाहती थी कि पीड़िता का पति उसको आधार कार्ड दे। ऐसा नहीं किया तो वह बलात्कार के मामले में फंसा देगी। उसे आधार कार्ड बच्ची के जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए चाहिए थे। दोनों के बीच एक करारनामा भी नोटरी के जरिए हुआ था। जिसके लिए नोटरी करने वाले अधिवक्ता ने पीड़िता के पति से 20 हजार रुपए भी लिए थे।
अब डीएनए जांच की मांग कर रही पीड़िता
सांकेतिक चित्र
नोटरी कराने के लिए पीड़िता की बड़ी बहन के पति ने इंतजाम कराया था। वह हिंदू संगठन का नेता भी है। इसके बाद फिर 03 मार्च, 2025 में फिर विवाद की वजह बनी। पीड़िता के पति के पास बैतूल (Betul) से एक फोन आया था। उसने बताया कि उसकी छोटी बहन ने जिस बच्ची को जन्म दिया है वह फोन करने वाले व्यक्ति की बहन को गोद दे दिया है। वह महिला रेडक्रॉस अस्पताल (Red Cross Hospital) में जॉब करती है। मेरी छोटी बहन ने उसे बच्चा दिया तो वह टीकाकरण कराने अस्पताल गई थी। वहां उससे माता—पिता के आधार कार्ड मांगे जा रहे थे। जिस कारण वह फिर मेरे पति को परेशान करने लगी। वह गोविंदपुरा थाना पहुंची तो मामला नवजात से जुड़ा होने के कारण केस बाल कल्याण समिति भेज दिया गया। उन्होंने हबीबगंज थाना पुलिस को जांच करने के आदेश दिए। इसके बाद बच्ची को रेडक्रॉस की स्टाफ नर्स से लेकर मातृछाया (Matra Chhaya) में जमा करा दिया गया। पीड़िता का आरोप है कि हबीबगंज थाना पुलिस बच्ची को उसके पति का बताकर उसकी परवरिश करने के लिए दबाव बना रही है। ऐसा करने के लिए कागजात में जबरिया हस्ताक्षर भी कराए गए हैं। पीड़िता का कहना है कि ऐसा करके पुलिस मामले को दबाने का प्रयास कर रही है। इस गहरी साजिश को बेनकाब करने की बजाय प्रकरण को पलटा जा रहा है। पीड़िता चाहती है कि उसके वास्तविक माता—पिता का पता लगाया जाए। इसके लिए बच्ची का डीएनए टेस्ट किया जाए। वहीं नियम विरुद्ध बने जन्म प्रमाण पत्र के अलावा नोटरी के जरिए गोद दिए गए मामले की तह में जाकर जांच की जाए।
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