MP Cyber Fraudट्राई के नियमों की अवहेलना करने का झांसा देकर Digittal Arrest किया, एफआईआर के सैटलमेंट के लिए मांग रहे थे साढ़े तीन लाख रुपए
भोपाल। भारत सरकार की दूरसंचार कंपनियों में निगरानी करने वाली संस्था ट्राई की आड़ में डिजीटल अरेस्ट करके जालसाजी करने की घटना को भोपाल क्राइम ब्रांच (MP Cyber Fraud) ने नाकाम कर दिया। पुलिस को इस मामले में आरोपियों के संबंध में सटीक जानकारी मिली है। जिसके संबंध में एक दूसरे राज्य की पुलिस से मदद ली गई है। जालसाजों ने सीबीआई अफसर बनकर वोडाफोन आईडिया कंपनी के इंजीनियर को डिजीटल अरेस्ट कर लिया था। वह करीब साढ़े छह घंटे तक बंधक रहा। यह बात आला अधिकारियों को पता चली तो उसे जालसाजी में फंसने से बचाया गया।
हूबहू बनाया गया था पुलिस थाने जैसा कमरा
पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र (CP Harinarayan Chari Mishra) ने बताया कि पीड़ित प्रमोद गोस्वामी (Pramod Goswami) है। उन्होंने यह बात अपने अधिकारियों को बताई थी। जिसके बाद भोपाल पुलिस से टेलीकॉम कंपनियों के अफसरों ने मदद मांगी। प्रमोद गोस्वामी मूलत: उत्तर प्रदेश के झांसी (Jhansi) के रहने वाले हैं। यहां भोपाल में स्टेशन बजरिया (Station Bajaria) थाना क्षेत्र में परिवार के साथ पिछले डेढ़ साल से रह रहे हैं। वे भोपाल में कंपनी के लिए मोबाइल टॉवर इंस्टॉलेशन का काम देखने के लिए आए हुए थे। उनके पास 12 नवंबर की शाम लगभग साढ़े छह बजे कॉल आया था। पहले कॉल करने वाले जालसाज ने सीबीआई का अधिकारी बनकर उनसे बातचीत की। उसने बताया कि प्रमोद गोस्वामी के आधार कार्ड से दर्जनों सिम जारी हुई है। उन सिम से कई गंभीर अपराध हुए हैं। इसलिए उनका मामला ट्राई ने सीबीआई (CBI) को सौंपा है। कुछ देर बाद दूसरे अधिकारी ने बातचीत की। उसने कहा कि उनके सीनियर अधिकारी आपसे वेबकॉम पर मीटिंग करेंगे। इसके बाद तीन अधिकारी उनके सामने पुलिस वर्दी में थे। बिल्कुल पुलिस अधिकारी का कमरा दिख रहा था। एक अधिकारी धारा का विवरण तो दूसरा जालसाज सजा के बारे में बता रहा था। वह काफी दबाव में आ गया। उसे धमकी दी गई कि वह डिजीटल अरेस्ट (Digital Arrest) है और परिवार के मोबाइल बंद करा लिए। इसके बाद आरोपियों ने पूरे मामले से बचने के लिए साढ़े तीन लाख रुपए में सैटलमेंट करने का झांसा दिया। वेब पर हुई वीडियो कॉलिंग को रात साढ़े ग्यारह बजे बंद कर दिया गया। उनसे बोला गया कि वह अगली सुबह इस सिलसिले में बातचीत करेंगे।
पुलिस तक ऐसे पहुंचा मामला
प्रमोद गोस्वामी ने अपने सीनियर अधिकारियों को कॉल किया। वोडाफोन आईडिया (Vodafone Idea Company) में काम करने वाले यह अधिकारी एडीसीपी क्राइम शैलेंद्र सिंह चौहान (ADCP Shailendra Singh Chauhan) से परिचित थे। उन्होंने यह पूरी घटना (MP Cyber Fraud) बताई। जिसके बाद सीपी हरिनारायण चारी मिश्र ने तुरंत रेस्क्यू टीम गठित कर दी। इसमें डीएसपी मुख्तार कुरैशी के अलावा अन्य लोग भी थे। वे प्रमोद गोस्वामी के घर पहुंचे और उन्हें साढ़े तीन लाख रुपए जमा करने से रोका। इससे पहले आरोपी जालसाजों की लोकेशन ट्रैस करने के लिए पुलिस ने अपने इंतजाम कर लिए थे। सीपी ने बताया कि हमें कुछ सुराग मिले हैं जिस पर हमारी टीम काम कर रही है। इस रेस्क्यू में शामिल सभी लोगों को कमिश्नर ने प्रशंसा पत्र भी जारी किया है। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)
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