अस्पताल प्रबंधन की गंभीर लापरवाही उजागर करती रिपोर्ट
भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के जिला अस्पताल (JP Hospital Bhopal) में गर्भवती महिलाओं (Pregnant Women) की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। इलाज के लिए पहुंचने वाली गर्भवती महिलाओं घंटों लाइन में खड़ा कर दिया जाता है। सुबह 8 बजे से 12 बजे तक जेपी हॉस्पिटल का नजारा ऐसा लगता है, जैसे राशन की दुकान हो। जहां महिलाएं इलाज कराने नहीं, राशन लेने के लिए लाइन में खड़ीं हो। 8-8 महीनें की गर्भवती महिलाएं मजबूरी में लाइन में खड़े होने को मजबूर होती है। ऊपर से अस्पताल कर्मियों का व्यवहार उन्हें अंदर तक झकझोर कर रख देता है।
8 महीने की गर्भवती महिला गिरी
घटना गुरुवार दोपहर 12 बजे की है। जब जेपी हॉस्पिटल की लाइन में खड़ी 8 महीने की गर्भवती कलावती सरोज चक्कर खाकर गिर गई। गिरते ही उसके सिर से खून बहने लगा। लाइन में लगी अन्य महिलाओं में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में स्वास्थ्य कर्मियों ने कलावती को उठाया और फर्स्ट एड के लिए भेज दिया।
4 घंटे तक नहीं हुई कोई जांच
8 महीने की गर्भवती के गिरने से गर्भ में पल रहे बच्चे को भी नुकसान पहुंचने की आशंका है। लिहाजा शिशु से संबंधित जांचे की जानी चाहिए थी। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने 4 घंटे बाद भी कोई जांच नहीं कराई। द क्राइम इन्फो ने उनका हाल जाना तो कलावती के पति ने बताया कि अभी तक बस पट्टी की गई है। एक बेड से दूसरे बेड शिफ्ट किया जा रहा है, लेकिन कोई जांच नहीं हो रही।
पत्नी को लेकर आया था मजदूर
कलावती का पति मनीराम सरोज उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। उसने द क्राइम इन्फो को बताया कि वो मजदूरी का काम करता है। गुरुवार सुबह 10-30 बजे पत्नी कलावती को लेकर जेपी अस्पताल पहुंचा था। उसने पत्नी को लाइन में लगा दिया था। प्रसूती एवं स्त्री रोग विभाग में पुरुषों को ज्यादा देर खड़े नहीं रहने दिया जाता, लिहाजा मनीराम बाहर निकल गया था। करीब डेढ़ घंटे बाद गार्ड ने उसे आवाज देकर बुलाया। वो दौड़कर अंदर गया तो देखा कि पत्नी कलावती के सिर से खून बह रहा था।
आग्रह है पर इंतजाम नहीं
प्रसूती एवं स्त्री रोग विभाग में जगह-जगह लिखा हुआ है कि कृपया बेंच पर बैठे। बैठने के लिए बेंच भी लगाई गई है। लेकिन इलाज कराने आई महिलाएं उन पर कैसे बैठ जाएं। यदि वो बैठी ही रह गईं तो उनका नंबर ही नहीं आएगा। लिहाजा वो लाइन में खड़े होने के लिए मजबूर है। जबकि टोकन सिस्टम की व्यवस्था कर दी जाए तो महिलाओं को खड़े रहने की जरूरत ही न पड़े।
सिविल सर्जन के जवाब
इस मामले में द क्राइम इन्फो ने सिविल सर्जन आरके तिवारी से बात की। उन्हें बताया कि किस तरह गर्भवती महिलाओं की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। आरके तिवारी ने कहा कि टोकन सिस्टम की व्यवस्था की गई थी। डॉक्टर्स को 50-50 टोकन भी दिए गए है। लेकिन पता करना होगा कि आखिर टोकन क्यों नहीं बांटे जा रहे। जानकारी देने पर आरके तिवारी कार्रवाई की बात कह रहे है। जबकि उनके दफ्तर और प्रसूती एवं स्त्री विभाग की दीवार जुड़ी हुई है।