Breaking News: दवा कंपनी खड़ी करने के नाम पर ऐंठ लिए 72 लाख रुपए, क्राइम ब्रांच ने गुपचुप दर्ज की एफआईआर, भांजे और उनकी पत्नी को बनाया गया है आरोपी
टीसीआई
भोपाल। मध्यप्रदेश पुलिस कैडर के रिटायर्ड आईपीएस और सेवानिवृत्त विशेष पुलिस महानिदेशक डॉक्टर आरके गर्ग फर्जीवाड़ा का शिकार हो गए। इस संबंध में गुपचुप तरीके से प्रकरण दर्ज करके भोपाल (Breaking News) शहर के क्राइम ब्रांच की एसआईटी मामले की पड़ताल कर रही है। इस मामले में आरोपी सेवानिवृत्त आईपीएस के भांजे और उनकी पत्नी है। उनसे दपंति ने दवा कंपनी में पार्टनर बनाने के नाम पर यह फर्जीवाड़ा किया गया है। इस संबंध में पुलिस मुख्यालय में डीजीपी कैलाश मकवाना से मिलकर शिकायत हुई थी।
जिस दिन सेवानिवृत्त हुए उसी दिन से शुरु हुआ था फर्जीवाड़ा
पुलिस सूत्रों के अनुसार इस मामले में भोपाल क्राइम ब्रांच (Bhopal Crime Branch) में डॉक्टर रंजीव कुमार गर्ग (Ret. IPS Dr Ranjeev Kumar Garg) पिता हेतराम गर्ग ने 05 अप्रैल को शिकायत दर्ज कराई थी। वे रिटायर्ड होने के बाद मोहाली (Mohali) में स्थित गोल्डन सैंड सोसायटी (Golden Sand Society) में रहते हैं। डॉक्टर आरके गर्ग 30 जून, 2018 को विशेष पुलिस महानिदेशक पद से रिटायर्ड हुए थे। उन्होंने बठिंडा में रहने वाले भांजे रजनीश कुमार गोयल (Rajnish Kumar Goyal) और उनकी पत्नी स्नेहलता गोयल (Snehlata Goyal) पर फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया है। दंपति ने दवा कंपनी बनाने के नाम पर उनसे 72 लाख रुपए का फर्जीवाड़ा किया। आरोपियों के खिलाफ जालसाजी और गबन का प्रकरण दर्ज किया गया है। रिटायर्ड स्पेशल डीजी ने बताया कि उनका विदाई समारोह केे वक्त दोनों भोपाल आए थे। चार दिनों तक उनके पास रहे। उसी वक्त भांजे रजनीश गोयल ने दवा कंपनी खोलने में पार्टनर बनाने का प्रस्ताव दिया था। यह रकम उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद मिली रकम में से दी थी। करीब दो करोड़ रुपए के निवेश की योजना बताई गई थी। जिसमें उन्हें सवा करोड़ रुपए का निवेश करने के लिए बोला गया। बाकी रकम 75 लाख रुपए कर्ज से लेना था। दंपति ने अपनी तरफ से 50 लाख रुपए निवेश करने का झांसा दिया। जब वे पंजाब (Punjab) पहुंचे तो दंपति ने एसएएस नगर (SAS Nagar) में स्थित हैबतपुर (Haibatpur) गांव में जमीन खरीदने की जानकारी दी। उन्होंने 50 लाख रुपए मांगे। उस वक्त दो आरटीजीएस के जरिए रकम दे दी। पहली किस्त 24 सितंबर, 2018 को पांच लाख रुपए और दूसरी किस्त 26 लाख रुपए की 08 अक्टूबर, 2018 को दी गई। लेकिन, आरोपी रजनीश गोयल ने जमीन पार्टनरशिप में खरीदने की बजाय सिर्फ पत्नी के नाम पर खरीद लिया।
इसलिए अधिकारियों से मिलकर की गई शिकायत
इसके बाद रजनीश गोयल को 2019 से 2020 के बीच अलग—अलग किस्त में करीब बाकी रकम का भुगतान कर दिया। इस रकम से जमीन खरीदने के लिए जमीन खरीदने, कारखाना बनाने के अलावा फर्नीचर खरीदा गया। उन्होंने 2022 तक भांजे को रकम का भुगतान करते रहे। रिटायर्ड आईपीएस ने घर में रखे पांच लाख रुपए के सोने के जेवरात भी कंपनी डालने के लिए दिए। यह सोना भी गिरवी रखने की बजाय उसे बेच दिया गया। उन्होंने अपनी पेंशन की बचत से भी रकम दी। उन्होंने सारे रिकॉर्ड क्राइम ब्रांच को सौंप दिए हैं। आरोपियों ने दवा कंपनी डालने के लिए जिस जमीन को खरीदा था अब वह उसको नैब सिंह (Naib Singh) को बेच रहे है। यह पता चलने पर उन्होंने पड़ताल की तो मालूम हुआ कि पति—पत्नी उनके साथ फर्जीवाड़ा कर रहे थे। वह जमीन सुरमुख सिंह (Surmukh Singh) को फरवरी, 2025 में बेच दी गई है। लेकिन, उन्हें पैसा वापस नहीं लौटाया गया।
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