Lockdown: राजधानी में धड़ल्ले से बिक रही थी शराब, नेता—पुलिस की मदद से हो रही थी तस्करी

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सिपाहियों ने वीडियो बनाकर खोला गोरखधंधे का राज तो मिली कड़ी सजा, शराब छोड़ने के लिए कहने वाले अफसर के चहेते टीआई लाइन हाजिर

Bhopal Lockdown
शराब ठेकेदार किशन आसुदानी उर्फ खग्गू और उसके कर्मचारी

भोपाल। (Bhopal Crime News In Hindi) यदि आपके तार माफिया (Bhopal Mafia News) से जुड़े हैं तो उस रसूख के चलते आपको सुरा, सुंदरी से लेकर सबकुछ हासिल हो जाएगा। वह भी कानून के कथित रक्षकों के संरक्षण की ग्यारंटी के साथ। मतलब पकड़ भी गए तो लॉक डाउन तोड़ने (Lock Down FIR) की कोई एफआईआर नहीं। यह माफिया पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ (Ex CM Kamal Nath) की सरकार में भूमिगत हो गए थे। लेकिन, सिस्टम बदलते ही सरोकार की परिभाषा भी बदल दी गई। ताजा मामला मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Crime News) की राजधानी भोपाल (Bhopal Crime News) में सामने आया है। यहां शराब माफिया और पुलिस अफसरों (Bhopal Mafia And Police Nexus) का गठबंधन उजागर हो गया है। यह बकायदा वीडियो की शक्ल में सोशल मीडिया में वायरल हुआ। जिसके बाद कोरोना महामारी के लिए बंद कमरों में बैठक कर रहे अफसरों को अपनी जिम्मेदारी का अहसास हुआ। उन्होंने पहले तो वीडियो बनाने वाले आरक्षकों को ही निलंबित (Bhopal Police Constable Suspend Case) कर दिया। इसके अलावा टीआई को लाइन हाजिर करके यह बताना चाहा कि माफिया के खिलाफ प्रशासन ने बड़ी सख्त कार्रवाई कर दी है। जबकि इस कार्रवाई से समाज में अलग संदेश चला गया है। यह संदेश मौजूदा सरकार के लिए भविष्य में मुश्किलें भी खड़ी कर सकता है।

चार दिन पहले यह दिया था आदेश

भोपाल की कई मध्यम वर्गीय या गरीब बस्तियों से भोजन संकट की खबरें आ रही है। यहां केवल पूड़ी और आलू की सब्जी बांट रह है। जिसको हर दिन खाने से लोग उब गए है। वह सरकार से चाहते हैं कि उन्हें आटा—दाल चावल दे। लेकिन, वह बांटने में सिस्टम बौना साबित हो गया। पर शराब माफिया अपनी कीमत पर पूरे शहर में शराब की सप्लाई कर रहा है। यह बात पुलिस प्रशासन को 11 अप्रैल को पता भी लग गई थी। जिसके बाद पुलिस की तरफ से एक एडवायजरी भी जारी हुई थी। जिसमें कहा गया था कि यह गलत है और ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। संदेश को भ्रामक बताते हुए पुलिस ने कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था। हालांकि भोपाल के गांधी नगर में उजाकर हुए एक कांड (Bhopal Wine Smuggling Case) ने इन बातों को बल दे दिया है। शहर में धड़ल्ले से शराब बेची जा रही है। इसमें होटल, ढाबा मालिक से लेकर कई अन्य के शामिल होने की जानकारी सामने आ रही है। इन बातों से पुलिस के अफसर बेखबर है। अफसरों को सड़क पर घुमते हुए लोग दिख रहे है। जबकि शराब बेचने वाले माफिया की सप्लाई चेन मालूम नहीं हो पा रही है।

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यह था वह कांड

भोपाल के गांधी नगर थाने से महज 100 मीटर दूर शराब की दुकान है। इस दुकान से माल लोड करके उसको बेचा जा रहा था। जिसकी भनक गांधी नगर थाने के सिपाहियों योगेंद्र (Constable Yogendra) और कन्हैया को लग गई। वे तुरंत मौके पर पहुंच गए और उसका वीडियो भी बना लिया। दोनों सिपाही कार से ले जाई जा रही शराब की जब्ती करते और कार्रवाई करते उससे पहले टीआई बहादुर सिंह रेंगर (TI Bahadur Singh Rengar) का फोन आ गया। टीआई के फोन के बाद सिपाहियों को उन्हें छोड़ना पड़ा। हालांकि इस कार्रवाई का वीडियो तब तक बन चुका था। वह वीडियो मीडिया में आ गया। जिसके बाद इस सांठगांठ का पता चल गया। बताया जाता है कि यह वीडियो मंगलवार रात का था। जिसका पता चलने पर अफसरों ने वीडियो बनाने वाले सिपाही योगेंद्र और कन्हैया (Constable Kanhiya) को निलंबित कर दिया गया। वहीं थाने के प्रभारी बहादुर सिंह रेंगर को लाइन हाजिर। गांधी नगर पुलिस ने बताया कि इस मामले में वाइन शॉप के मालिक किशन आसुदानी उर्फ खग्गू (Kishan Asudani) और चार अन्य के खिलाफ कलेक्टर के आदेशों की अवहेलना और सोशल डिस्टेंसिंग के तहत काम न करने का मुकदमा दर्ज कर लिया गया।

नेता के नाम पर खामोश हुए अफसर

मध्य प्रदेश में लॉक डाउन चल रहा है। भोपाल में ही एक हजार से अधिक मुकदमे दर्ज हो चुके है। इसके अलावा 20 अप्रैल तक शराब की दुकानों पर ताले लगने के आदेश जारी है। इसके बावजूद पुलिस के अफसरों ने शराब दुकान मालिक किशन आसुदानी पर कोई सख्ती नहीं दिखाई। दुकान मालिक के इशारों पर मारुति कार में शराब लोड करके ले जाई जा रही थी। मारुति कार में भाजपा का स्टीकर भी लगा था। यह कार गणेश परमार (Ganesh Permar) नाम के व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड है जिसका पता चूना भट्टी का है। शराब दुकान बंद होने के बावजूद उसके खुलने पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं करना यह बताता है कि नेता का नाम उजागर न हो इसलिए सच्चाई उजागर करने वाले सिपाहियों को ही कार्रवाई का मोहरा बनाकर अफसरों ने अपनी खींज निकाल ली।

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अपील

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