शार्प शूटर के हश्र को देखकर अदालत में पलट रहे गवाह

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इंदौर के कुख्यात शहजाद लाला हत्याकांड में अब तक 11 गवाह मुकरे, बाकी गवाहों को अभी भी मिल रही धमकियां, गैंगवार में आए थे कई सफेदपोश और ब्यूरोक्रेसी से जुड़े रसूखदारों के नाम

इंदौर। जिसके सामने आते ही लोग थर्र-थर्र कांपते थे। उस कुख्यात बदमाश को उसके ही कॉम्पिटिटर गैंग के लोगों ने बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था। वह शॉर्प शूटर था और रंगदारी टैक्स वसूलने से लेकर भूमाफियाओं के इशारों पर काम करता था। उसकी हत्या केे बाद राजनीति से लेकर ब्यूरोक्रेसी में जमकर हल्ला मचा। कई के नाम उछले तो कई लोगों के नाम उस बदमाश की आड़ में निपटाने के लिए उछाले गए। मामला इतना पेंचिदा हो गया कि अब उस मामले के सारे गवाह अदालत में एक-एक करके मुकर रहे हैं। बात हो रही है रतलाम के रहने वाले कुख्यात बदमाश शहजाद लाला उर्फ काणा की। इस हत्याकांड को दो बदमाशों ने अंजाम दिया था।
इंदौर के सदर बाजार थाना क्षेत्र में इमली बाजार के नजदीक शहजाद लाला उर्फ काणा की पहले गोली मारने के बाद चाकू-तलवार से गोदकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। यह घटना 12 सितम्बर, 2015 को अंजाम दी गई थी। घटना वाले दिन जूना रिसाला गली नंबर 3 में रहने वाले गफूर के घर शहजाद लाला पहुंचा था। मूलतः रतलाम का रहने वाला कुख्यात बदमाश शहजाद पिता सलीम अकेली नहीं था। उसके साथ अनवर भी था जो गोलियां चलते देखकर भाग गया था। सूचना मिलने पर मौंके पर सदर बाजार टीआई महेंद्र भदौरिया, सीएसपी मल्हारगंज आरएस घुरैया, एडिशनल एसपी रूपेश द्विवेदी पहुंचे। सीएसपी मल्हारगंज दो साल पहले रिटायर हो चुके हैं।

इन कारणों से हुई हत्या
इस हत्याकांड में बब्बू उर्फ सुल्तान शेख, मोहम्मद साबिर शेख उर्फ छब्बू के अलावा गफूर शाह, मो. सिद्दीक, फिरोज, मो. रिजवान, अयाज उर्फ गुड्डू, इरफान, शोएब शेख, इस्माईल कुरैशी, एहमद हुसैन व मेहमूद उर्फ बेनी अली आरोपी है। पुलिस ने सबसे पहले तीन आरोपियों जूना रिसाला निवासी गफूर, सिद्दीक और ग्रीन पार्क निवासी फिरोज को हत्याकांड के पांच दिन बाद गिरफ्तार किया था। इसके पांच महीने बाद बब्बू उर्फ सुल्तान शेख को गिरफ्तार किया गया। वह पूर्व पार्षद पति खिजराबाद कॉलोनी निवासी अयाज गुड्डू और सम्राट कॉलोनी निवासी इरफान खान के साथ गिरफ्तार किया गया था। पुलिस का दावा है कि आरोपियों ने पूछताछ में कबूला था कि बब्बू और छब्बू जमीन के सौंदों में कूदे थे। इसमें वह शहजाद लाला की मदद लेते थे। लेकिन, वह बाद में उन्हें ब्लैकमेल करने लगा था। इस कारण उसको ठिकाने लगाने का निर्णय लिया गया।

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गिरफ्तारी से ही मुकरे


इस मामले में केस इंदौर की अदालत में विचाराधीन है। मामले से जुड़े दो गवाह विजय और अहमद अदालत के सामने मुकर गए। जिसके बाद अदालत ने दोनों को पक्षद्रोही घोषित कर दिया। इन दोनों गवाहों को गिरफ्तार आरोपी गफूर, फिरोज, सिद्दीक और शोयब से जब्त हथियार और गिरफ्तारी की पुष्टि करना थी। लेकिन, दोनों ही गवाहों ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया। इसके अलावा एक अन्य गवाह इमरान नोटिस मिलने के बावजूद कोर्ट में हाजिर ही नहीं हुआ। इस प्रकरण से जुड़े अब तक 11 गवाह अदालत में मुकर चुके हैं।

जिस दिन हत्या हुई उस दिन चल रही थी पार्टी
पुलिस की तफ्तीश में बब्बू छब्बू के मददगारों के नाम सामने आए थे। लेकिन, उसमें जांच आगे ही नहीं बढ़ी। बताया जाता है कि जिस दिन शहजाद लाला की हत्या हुई उस दिन कुछ अफसर बब्बू और छब्बू की तरफ से आयोजित एक पार्टी में शामिल होने पहुंचे थे। पुलिस ने पार्टी से जुड़ी खबरों के सामने आने के बाद डीवीआर जब्त की थी।

वीडियो कांफ्रेसिंग से हो रही सुनवाई
मामले के मुख्य आरोपी बब्बू-छब्बू के अलावा कई अन्य आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। मामले के एक चश्मदीद गवाह अनवर की वीडियो कांफ्रेसिंग से बयान लिए गए थे। वह मुख्य आरोपियों से इतना डरा था कि उसने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर बयान वीडियो कांफ्रेसिंग से कराने की मांग की थी। अनवर के परिजन भी इस मामले गवाह हैं और उन्होंने भी वीडियो कांफ्रेसिंग से बयान दर्ज कराने की मांग की है।

पुराना है आपराधिक रिकॉर्ड
बब्बू व छब्बू ने श्रीरामनगर संस्था के संचालकों से सांठगांठ कर यहां की जमीन पर अपनी कॉलोनी बसाना शुरू कर दी है। विवाद के चलते सहकारिता विभाग ने जमीन की खरीदी-बिक्री पर रोक लगाई है। इस जमीन से लगे दाऊदी नगर में ही संस्था की जमीन पर प्लॉट बेचे जा रहे हैं। छब्बू पिता नन्हें खां हाल निवासी अली कॉलोनी पर सदर बाजार थाने में हत्या, हत्या का प्रयास, बलवा, प्राण घातक हमले सहित संगीन धाराओं में छह केस दर्ज हैं। दो साल पहले कनाड़िया थाने में भी प्राणघातक हमले का केस दर्ज हुआ। बब्बू पिता शेख चांद हाल निवासी कादर कॉलोनी के खिलाफ खजराना, कनाड़िया, पंढरीनाथ और लसूड़िया थाने में केस दर्ज होने की जानकारी मिली है।

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गरीबी से अमीरी के ऐसे लगे पर
छब्बू 20 साल पहले पुताई का काम करता था। बब्बू कपड़े सिलता था। दोनों ने खजराना में अवैध प्लॉट की खरीदी-बिक्री शुरू की और लाखों रुपए कमाना शुरू कर दिए। कुछ समय बाद भूमाफिया बॉबी छाबड़ा का साथ मिला और कॉलोनियां काटना शुरू कर दी।

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