Bhopal Loot News: शराब कारोबारी के दफ्तर में घुसकर लाखों रुपए की लूट 

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Bhopal Loot News: यह राजधानी की पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली है जिसमें थाना पुलिस को यह तक भी नहीं पता है कि उनके इलाके में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव के रिश्तेदार रहते हैं, उसी फ्लैट के दूसरे हिस्से में दो बदमाशों ने दिया वारदात को अंजाम, तीन घंटा देरी से पहुंची पुलिस से मीडिया ने सवाल दागे तो बिफरे मैदानी अधिकारी, सोशल मीडिया में किरकिरी होने के बाद डीआईजी मौके पर पहुंचे, भोपाल जोन—2 के दो थानों ने दो बड़ी घटनाओं पर डाल रखा था पर्दा, जिसका खामियाजा अ​ब सामने आया

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गोविंदपुरा स्थित रचना टॉवर्स के घटनास्थल पर निरीक्षण करने जाते हुए चित्र में दाहिनी तरफ एडिशनल सीपी अवधेश गोस्वामी, मध्य में डीसीपी जोन—2 श्रद्धा तिवारी और डीसीपी क्राइम ब्रांच अखिल पटेल। फोटो टीसीआई।

भोपाल।मध्यप्रदेश में कानून व्यवस्था की लूट की सनसनीखेज वारदात ने हर विभाग की कलई खोलकर रख दी है। यह वारदात भोपाल (Bhopal Loot News) शहर के गोविंदपुरा थाना क्षेत्र स्थित रचना टॉवर्स में हुई है। यह हाईराइज मल्टी एमपी के वर्तमान और पूर्व सांसद और विधायकों के लिए बनी है। इस मल्टी के एक हिस्से में शराब कंपनी का दफ्तर खुला है। जिसमें घुसकर दो लुटेरों ने पिस्टल अड़ाकर लूट की सनसनीखेज वारदात की है। लुटेरे करीब पंद्रह लाख रुपए की नकदी ले गए हैं। हालांकि डीसीपी जोन—2 यह रकम दस से बारह लाख रुपए बता रही हैं।

यह है वह दफ्तर जहां वारदात हुई है

गोविंदपुरा (Govindpura) थाना क्षेत्र स्थित रचना टॉवर्स (Rachna Towers) सीनियर एमआईजी के एक नंबर मल्टी के फ्लैट नंबर 108 में वारदात हुई। यह फ्लैट संतोष साहू (Santosh Sahu) के नाम पर आवंटित हैं। यहां छत्तीसगढ़ (Chhatisgarh) राज्य के शराब कारोबारी का दफ्तर है। वे भोपाल शहर के कोलार रोड थाना क्षेत्र में रहने वाले रवीन्द्र सिंह (Ravindra Singh) के साथ पार्टनरशिप में शराब की कंपनी चलाते हैं। उनकी भोपाल शहर में चार शराब दुकान (Wine Shop)  है। इन दुकानों के माल खरीदने और बेचने के बाद रकम को कलेक्शन करके इसी फ्लैट में लाया जाता था। इसमें कंपनी के लिए काम करने वाले श्याम सुंदर जायसवाल (Shyam Sunder Jayaswal) के अलावा चार अन्य लोग रहते थे। इसी दफ्तर में वीरेंद्र गुप्ता (Virendra Gupta) भी रहता है। वह कलेक्शन एजेंट का काम करता है। लूट की सनसनीखेज वारदात बुधवार सुबह लगभग आठ बजे से लेकर नौ बजे के बीच अंजाम दी गई। लुटेरे कलेक्शन एजेंट का नाम लेकर फ्लैट में दाखिल हुए थे। यह फ्लैट दो हिस्सों में घर के भीतर विभाजित हैं। कलेक्शन एजेंट और उसके साथी रचना टॉवर्स के फ्लैट के भीतर पहली मंजिल में सो रहे थे। लुटेरों का सामना सबसे पहले श्याम सुंदर जायसवाल के साथ हुआ। वह उसे बुलाने के लिए पहली मंजिल पर जाने लगे तो लुटेरों ने पानी मांगा। इसके बाद पीछे से उनका मुंह बंद करके पिस्टल अड़ाकर लूट की वारदात को अंजाम दिया। माल समेटने के बाद लुटेरे मौके से भाग गए। लुटेरों के जाने के बाद श्याम सुंदर जायसवाल और बाकी अन्य की मदद से वे रिहा हुए और पुलिस थाने को घटना की जानकारी दी। इसके बाद पुलिस तीन घंटे बाद देरी से मौके पर पहुंची। यह सवाल मीडिया ने पूछा तो मौके पर पहुंचे एडीसीपी महावीर सिंह मुजाल्दे (ADCP Mahaveer Singh Mujalde) और एसीपी गोविंदपुरा संभाग दीपक नायर (ACP Deepak Nayar) तमतमा गए। वे मीडिया से ही भीड़ गए। यह बात सोशल मीडिया के जरिए शहर के क्राइम रिपोर्टर के व्हाट्स एप ग्रुप में वायरल होने लगी।

पुलिस ने लूट के प्रयास की वारदात पर पर्दा डाल रखा था

लुटेरे पिस्टल लेकर फ्लैट में घुसे थे। शराब कंपनी के लिए कलेक्शन एजेंट का काम करने वाले वीरेंद्र गुप्ता के साथ 2 अगस्त को लूट का प्रयास हुआ था। वह गोविंदपुरा थाने में इस बात ​की शिकायत भी करने पहुंचा था। लेकिन, पुलिस ने एफआईआर दर्ज किए बिना उसे वहां से चलता कर दिया। यह घटना गोविंदपुरा थाना पुलिस ने आला अधिकारियों से छुपाई थी। डीसीपी जोन—2 श्रद्धा तिवारी (DCP Shraddha Tiwari) ने ऐसी कोई बात होने की जानकारी होने से इंकार कर दिया। इधर, पिपलानी (Piplani) थाने में भी लो फ्लोर (Low Floor Bus) की यात्री बस में एक पिस्टल (Gun) मिली थी। यह पिस्टल लेकर जो व्यक्ति बैठा था वह फुटेज के साथ पिपलानी थाना पुलिस को सौंपा गया था। इन दोनों ही घटनाओं पर थाना पुलिस ने पर्दा डाला। यह दोनों थाने भोपाल जोन—2 में ही आते हैं। इसी तरह अवधपुरी (Awadhpuri) थाना क्षेत्र में भी अवैध तरीके से शराब बेची जा रही है। इसकी जानकारी आला अधिकारियों को देने के बावजूद भोपाल जोन—2 इसके खिलाफ कोई रणनीति नहीं बना सका। यानि मतलब साफ है कि पुलिस विभाग कानून—व्यवस्थाओं की चुनौतियों से निपटने के लिए आने वाली सूचनाओं पर पर्दा डाले रहता है। सनसनीखेज लूट की वारदात के बाद यह बड़े रुप में अब भोपाल पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली के लिए चुनौती बन गई है।

पुलिस को नहीं पता रचना टॉवर्स में माननीय के फ्लैट में चल रहे कारोबार

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लूट की वारदात के बाद घटनास्थल पर मौजूद पुलिस कर्मचारियों की टीम। नीली टी शर्ट में कलेक्शन एजेंट वीरेंद्र गुप्ता। पीछे वह फ्लैट जिसके भीतर लुटेरे घुसे थे। फोटो टीसीआई।

भोपाल का रचना टॉवर्स विधायकों और सांसदों के लिए बनाया गया हाईराइज मल्टी है। यह अभी मध्यप्रदेश राज्य सहकारी आवास संघ की निगरानी में ही चल रही है। यहां 368 फ्लैट है जिसमें अभी 282 परिवार रहते हैं। बाकी फ्लैट में पजेशन लेना बाकी है। इनमें पांच कैटेगरी के मकान है। इसमें एचआईजी, सीनियर एमआईजी, जूनियर एमआईजी के अलावा एलआईजी और ईडब्ल्यूएस के फ्लैट हैं। एलआईजी और एमआईजी के 48 फ्लैट हैं। जबकि एचआईजी और सीनियर एमआईजी के 120—120 फ्लैट हैं। इसके अलावा जूनियर एमआईजी के 80 फ्लैट हैं। कई फ्लैट पर कोई रहने नहीं आया तो एमपी स्टेट सहकारी आवास संघ ने सरकारी विभाग के अफसरों को किराए पर देने का तय किया। इन्हीं में से एक फ्लैट सीनियर एमआईजी में एमपी के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव (CM Dr Mohan Yadav) को भी आवंटित हैं। उनके फ्लैट में सीएम के रिश्तेदार अभी रहते हैं। उसी फ्लैट के दूसरे हिस्से में लूट (Bhopal Loot News) की सनसनीखेज वारदात हुई। यहां की सुरक्षा व्यवस्था और सफाई का जिम्मा भी अभी आवास संघ के पास है। रचना टॉवर्स में कई तरह की लापरवाही और असामाजिक गतिविधियों को लेकर थाना पुलिस के अलावा संघ के एमडी से लिखित में अस्थायी बनी समिति के सदस्यों ने बताई है। उसके बावजूद यहां पर माननीय की सुध लेने वाला पूरी सरकार में कोई नहीं हैं। प्रभारी अध्यक्ष चल रहे अजीत सिंह (Ajeet Singh) ने बताया कि कई फ्लैट में व्यवसायिक गतिविधियां संचालित हैं। जिसकी आड़ में कॉलोनी में अवांछित लोगों को प्रवेश मिल जाता है। इस बात पर डीसीपी जोन—2 श्रद्धा तिवारी ने मीडिया के पूछे गए सवाल पर कहा कि थाना पुलिस जल्द सभी फ्लैट में रहने वाले किराएदारों के संबंध में जानकारी जुटाएगी।

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रचना टॉवर्स पर नहीं लगे हैं कैमरे जो फुटेज मिला वह निजी कैमरे से हासिल

रचना टॉवर्स एमपी के तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान (EX CM Shivraj Singh Chauhan) की पहल पर बनाया गया है। इसका जिम्मा एमपी विधानसभा सचिवालय के पास है। उसने मध्यप्रदेश राज्य सहकारी आवास संघ को बनाने का ठेका दिया था। प्रवेश को लेकर पूर्व में बने गेट को बंद किया गया है। अभी एक ही गेट से प्रवेश दिया जाता है। लेकिन, वहां जो सिक्योरिटी गार्ड है वह उतने दक्ष और प्रशिक्षित नहीं हैं जिस कारण वहां बेरोकटोक कॉलोनी में आना—जाना रहता है। पुलिस ने माननीय के आवासों में लगे फुटेज का पता लगाना चाहा तो वह उसे नहीं मिला। एक कैमरा मिला जहां वारदात हुई थी वहां उस फ्लैट में सामान आया था। वह सामान पिछले दिनों चोरी चला गया था। उसे रोकने के लिए निजी कैमरा लगाया गया था। उसी कैमरे में संदिग्ध लुटेरों का हुलिया कैद हुआ है। जिसके आधार पर पुलिस की टीम पड़ताल कर रही है। इधर, पुलिस सूत्रों ने बताया कि सोशल मीडिया में जमकर किरकिरी होने के बाद भोपाल सीपी हरिनारायण चारी मिश्र ने मैदानी अफसरों को फटकार लगाई। जिसके बाद मौके पर डीआईजी अवधेश गोस्वामी, डीसीपी क्राइम अखिल पटेल समेत कई अन्य अधिकारी पहुंचे। (सुधि पाठकों से अपील, हम पूर्व में धाराओं की व्याख्याओं के साथ समाचार देते रहे हैं। इसको कुछ अवधि के लिए विराम दिया गया है। आपको जल्द नए कानूनों की व्याख्या के साथ उसकी जानकारी दी जाएगी। जिसके लिए हमारी टीम नए कानूनों को लेकर अध्ययन कर रही हैं।)

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