MP FSL News: डीजीपी सुधीर सक्सेना ने लंबित मामलों को लेकर जताई चिंता, तकनीक को अत्याधिक इस्तेमाल के लिए किया प्रोत्साहित
भोपाल। देशभर में अदालतें गवाहों से ज्यादा फोरेंसिक रिपोर्ट को मान्यता दे रही हैं। देश में अब छह साल तक की सजा मामलों में एफएसएल (MP FSL News) रिपोर्ट को अनिवार्य करने की तैयारी की जा रही है। इन दोनों अवस्थाओं के मुकाबले हम कितने तैयार है उसके परीक्षण की आवश्यकता है। यह विचार मध्यप्रदेश पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना (DGP Sudhir Kumar Saxena) ने व्यक्त किए। वे पुलिस मुख्यालय में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के उदघाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान कई चूक और कमजोरियों को दूर करने से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
यह हो सकते हैं बदलाव
पुलिस मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशालाओं के उन्नयन के विषय पर दो दिवसीय सेमीनार शनिवार को पुलिस मुख्यालय काँफ्रेंस हाॅल में प्रारंभ हुआ। इसमें मूलरूप से एफएसएल की परीक्षण रिपोर्ट के सरलीकरण, यूनिफॉर्मिटी, नई तकनीकों और उपकरणों के उपयोग के विषय में विस्तृत चर्चा की जाएगी। डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना ने कहा कि न्यायालयों का विश्वास मौखिक साक्ष्य से वैज्ञानिक साक्ष्य की ओर बढ़ा है। बहुत शीघ्र कानून में बदलाव देखने भी मिलेगा। इसमें जिन प्रकरणों में छः वर्ष से अधिक सजा का प्रावधान है, उनमें फोरेंसिक साक्ष्य अनिवार्य कर दिये जाएंगें। इसलिए हमें अभी से इसकी कार्ययोजना बनानी चाहिए। डीजीपी ने कहा एमपी में डीएनए शाखा 600 से अधिक प्रकरणों का परीक्षण करता है। यह अच्छी बात है लेकिन प्रदेश में डीएनए प्रकरणों की पेण्डेसी लगभग 9000 से अधिक है। इसको कम करना बहुत ही जरूरी है।
नई तकनीक आ रही है तो उसे बताए
डीजीपी ने बताया कि ग्वालियर में एक माह के अंदर नई डीएनए लैब शुरू होने वाली है। साथ ही लगभग तीन माह में भोपाल में भी एक अतिरिक्त डीएनए लैब शुरू होने वाली है। जल्द एमपी की प्रयोगशालाओं में 44 वैज्ञानिक अधिकारियों की भर्ती भी हो सकती है। आशा है कि पेण्डेंसी को तेजी से घटाने का प्रयास किया जाएगा। एफएसएल की परीक्षण रिपोर्ट बहुत ही सटीक एवं सरल भाषा में तैयार किये जाने के लिए इस सेमीनार में प्रयास किये जाएंगे। डीजीपी ने कहा कि एफएसएल में ईमानदारी की बहुत आवश्यकता है। प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिक अधिकारियों से यह भी अपेक्षा है कि वह नई-नई तकनीकी एवं उपकरणों की जानकारी प्राप्त करते रहें। अच्छी तकनीक या उपकरणों की आवश्यकता है तो पुलिस मुख्यालय को अवगत कराएं।
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