क्रिमिनल की डायरी ने खत्म किया पॉलिटिकिल कैरियर

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सियासी घराने के एक रसूखदार की दो सहेलियों से हुई दोस्ती में आई दरार के बाद हुई थी हत्या, प्रेम त्रिकोण में गवाह बना हत्याकांड में शामिल आरोपी

भोपाल। राजधानी का सबसे चर्चित यह मामला साढ़े सात साल पुराना हैं। जिसका खुलासा सीबीआई ने किया  था जिसमें छह साल बाद फैसला आया था। इसमें पांच आरोपी थे जिसमें से एक आरोपी सीबीआई का गवाह बन गया था। मामला भाजपा के विधायक रहे ध्रुव नारायण सिंह के ईर्दगिर्द घुमता रहा। हालांकि सीबीआई ने  लंबी जांच के बाद उन्हें क्लीन चिट दी। यह पूरा मामला इस हत्याकांड की मुख्य आरोपी के पास से जब्त डायरी से खुला था। इसी डायरी ने ध्रुव नारायण सिंह का पॉलिटिकिल कैरियर खत्म कर दिया।

जनसुनवाई छोड़कर भागे थे एसएसपी

कोहेफिजा निवासी  शहला मसूद उम्र  38 साल की लाश उसके घर के सामने ही कार के भीतर मिली थी। लाश कार की ड्राईविंग सीट में पड़ी थी। हत्याकांड 16 अगस्त, 2011 को अंजाम दिया गया था। उस वक्त एसएसपी आदर्श कटियार हुआ करते थे। वह मंगलवार को जनसुनवाई में आम नागरिकों से आवेदन लेकर सुनवाई कर रहे थे। तभी उनके पास फोन आया और वे जनसुनवाई छोड़कर भाग खड़े हुए थे।

तीन दिन बाद ही केस सीबीआई को सौंपा

शहला  मसूद मशहूर आरटीआई एक्टिविस्ट थी। पुलिस को शुरूआती  जांच में ही मालूम हो गया था कि यह मामला बेहद पेचिदा है। नतीजतन, 19 अगस्त, 2011 को सरकार ने केस सीबीआई को सौंपने का फैसला ले लिया। सीबीआई की जांच में एक अप्रत्याशित प्रेम त्रिकोण का खुलासा होने  लगा। इसके बाद पूरे मामले की  जांच की दिशा ही  बदल गई थी। इससे पहले मामले को आत्महत्या से जोड़कर देखा जा रहा था।

सियासी ड्रामे की कहानी में सीबीआई के कृष्ण

इस मामले की  जांच में  शुरूआत फोन कॉल डिटेल से हुई थी। जिसके बाद शहला मसूद से लगातार बातचीत करने वालों में जाहिदा परवेज और भोपाल मध्य के विधायक ध्रुव  नारायण सिंह  निकलकर सामने आए। मामले की जांच सीबीआई के तत्कालीन संयुक्त निदेशक केशव कुमार को सौंपी गई थी। इसलिए उन्होंने सबसे पहले जाहिदा परवेज को टारगेट किया और उसके दफ्तर पर दबिश दी। उसका एमपी नगर इलाके में आर्किटेक्चर कंपनी का दफ्तर था। यहां से सीबीआई को एक डायरी मिली  जिसके बाद मामले की सबकुछ परतें खुलती चली गई।

सारे थे रसूखदार

मामले में दोषी जाहिदा परवेज की शादी भोपाल के सबसे रईस बोहरा समाज के  पेट्रोल पंप संचालक  के साथ हुई थी। जाहिदा मध्य प्रदेश के जबलपुर की रहने वाली है। असद परवेज से 1997 में शादी से पहले उसने वहां से इंटीरियर डेकोरेशन का कोर्स किया था। अमेरिका से इंजीनियरिंग और एमबीए की पढ़ाई करने वाले 42 वर्षीय असद ने भोपाल में आर्किटेक्चर कंपनी शुरू करने में जाहिदा की मदद की थी। इस मामले में पहले संदेही ध्रुव नारायण सिंह भी थे जो  कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बिहार के पूर्व राज्यपाल गोविंद नारायण सिंह के बेटे हैं। शहला मसूद तेजतर्रार थी और वह इवेंट मैनेजमेंट कंपनी चलाती थी। उसे ध्रुव वर्ष 2000 से पहचानते थे। यह पहचान पहली इवेंट कंपनी मिरेकल्स खोलने के दौरान हुई थी। बताया जाता है कि 2003 और 2007 के बीच भोपाल विकास प्राधिकरण के चेयरमैन के रूप में ध्रुव नारायण सिंह ने शहला के बिजनेस में काफी मदद की थी।

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हत्याकांड की पल-पल की रिर्पोटिंग

सीबीआई को जाहिदा की जो डायरी मिली थी उससे बड़ी आसानी हुई। इस डायरी के एक पन्ने में उसने लिखा था कि उसे उसके घर के सामने गोली मार दी गई। मैं सुबह से ही परेशान थी। टीलाजमालपुरा निवासी साकिब अली उर्फ डैंजर ने सवा ग्यारह बजे  फोन करके बता दिया था कि मुबारक हो काम हो गया है। डायरी के एक पन्ने में यह भी लिखा था कि जाहिदा ने शहला की गतिविधियों को जानने के लिए अपने यहां के नौकर इरशाद को पैसे देती थी। इरशाद ने साकिब की दी गई सूचना की भी तस्दीक की थी।

ऐसे तय हुआ था हत्याकांड

कार में ऐसे पड़ी थी लाश

भाजपा नेता ध्रुव नारायण सिंह के साथ जाहिदा के प्रेम संबंध थे। उनकी दूसरी प्रेमिका शहला मसूद थी। जाहिदा किसी भी कीमत पर शहला को खत्म करना चाहती थी। इन सब बातों केे अलावा  डायरी के पन्नों में ही जाहिदा ने यह भी खुलासा किया था कि उसने साकिब डेंजर की मदद से पूरी योजना बनाई थी। साकिब की मुलाकात ध्रुव नारायण सिंह के माध्यम से ही हुई थी। साकिब ने यूपी से भाड़े के शूटर इरफान और ताबिश को बुलवाए थे। उन्हें  गोली मारने के लिए कट्टे भी मुहैया कराए थे।

कंडोम में लिखी हुई थी तारीखें 

सीबीआई को जांच के दौरान डायरी के अलावा कई अन्य सामान भी मिला। यह सामान भी जांच में काम आया। इसमें यह पता चला कि जाहिदा ने कई बार ध्रुव नारायण सिंह के साथ शारीरिक संबंध बनाए थे। सीबीआई को तलाशी के दौरान एक प्लास्टिक की पन्नी में इस्तेमाल किए हुए कई कंडोम भी मिले थे। इन कंडोम में जाहिदा ने  तारीख  लिखी हुई थी। जिसको लेकर जाहिदा का सीबीआई के सामने दावा था कि यह ध्रुव नारायण सिंह के साथ बिताए गए पलों की निशानी है। प्लास्टिक की ही थैली में रखे बालों का एक गुच्छा भी मिला था। इसी प्रकरण के चलते ध्रुव नारायण सिंह को भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था।

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सीबीआई के खेल में उलझे ध्रुव

जांच के शुरूआत में  ध्रुव नारायण सिंह ने सीबीआई के अफसरों को अपना रूतबा दिखाने का खूब प्रयास किया। हालांकि सीबीआई ने भी उन्हें मानसिक परेशान करने के लिए नोटिस देकर बुलाकर ऑफिस में घंटों बैठाए रखते थे। इस बीच सीबीआई ने ध्रुव-जाहिदा के संबंधों में आई दरार का फायदा उठाने का फैसला लिया। उनको जाहिदा के दफ्तर से मिली सीडी दिखाते हुए पूछताछ की गई। इस सीडी में ऐसा था जिसको देखने के बाद ध्रुव नारायण सिंह की हवाईयां उड़ गई थी। सीडी का राज न खोलने की शर्त पर वह जाहिदा के बारे में मुंह खोलने को राजी हो गए। यह इकबालिया बयान सीबीआई ने गुपचुप तरीके से रिकॉर्ड कर लिया और उसे जाहिदा को  दिखाया गया।

इस कारण विधायक को मिली क्लीनचिट

शहला ने भोपाल में संयुक्त रूप से मड चैलेंज कार रैली आयोजित करने के लिए उदय कल्चरल सोसाइटी के साथ काम किया था। ध्रुव नारायण इसके संरक्षक थे। सीबीआई की पूछताछ में उन्होंने कई राज खोले लेकिन, हत्याकांड  में शामिल होने से इनकार करते रहे। इसके लिए वह पॉलीग्राफ टेस्ट भी कराने के लिए राजी हो गए थे। इसी टेस्ट के बाद विधायक को क्लीन चिट मिली थी।

कब हुई सजा

अदालत के बाहर लाल दुपट्टे में जाहिदा परवेज और नीले दुपट्टे में सबा फारुकी

सीबीआई ने 2 मार्च, 2012 को जाहिदा की सहायिका 25 वर्षीया सबा फारूकी को गिरफ्तार किया था। इस  मामले में सीबीआई की अदालत ने अगस्त, 2011 के बहुचर्चित शहला मसूद हत्याकांड में जाहिदा परवेज समेत चार लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जबकि सरकारी गवाह बने आरोपी को क्षमादान दे दिया। फैसला न्यायाधीश बीके पालोदा ने सुनाया था। न्यायाधीश ने मामले के पांच आरोपियों में शामिल इरफान को अदालत कक्ष में यह मौखिक टिप्पणी करते हुए क्षमादान सुनाया कि उसने सरकारी गवाह के रूप में सही बयान दर्ज कराए हैं।  कानपुर निवासी इरफान पर धन के लालच में शहला हत्याकांड में शामिल होने का आरोप था। हत्याकांड के मुकदमे की सुनवायी के दौरान करीब 80 गवाहों को विशेष अदालत में पेश किया था।

जमानत पर आरोपी

सीबीआई न्यायालय की विशेष न्यायाधीश शुभ्रासिंह की अदालत में सीबीआई की तरफ से 18 पेज का आरोपपत्र 109 दस्तावेजों के साथ पेश किया गया था। सेंट्रल जेल बड़वानी से शहला मसूद हत्याकांड की मुख्य आरोपी जाहिदा परवेज रिहा की गई। उसे 6 जुलाई, 2017 को हाईकोर्ट से जमानत मिली थी। जाहिदा के पिता तजव्वर हुसैन जबलपुर से हैं और बुजुर्ग हैं।

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