फिरौती मिलने के बाद भी दो मासूम जुड़वां भाईयों को उतार दिया था मौत के घाट, आरोपियों के पहचान उजागर होने का था अपहर्ताओं को खौफ, फास्ट टैक में चल रहा है केस
सतना। आप यकीन नहीं करेंगे लेकिन उन मासूमों की हंसी देखकर कोई भी उन्हें नहीं भूल सकता। चेहरे पर ऐसी उनकी चमक थी। इसके साथ ही दूसरा संयोग यह भी था कि वे दोनों एक ही दिन एक ही कोख से जन्मे थे। लेकिन, इन खुशियों पर अपहर्ताओं की नजर लग गई। जी हां हम बात कर रहे हैं सतना जिले के नया गांव थाना क्षेत्र में हुए अपहरण के बाद दोहरे हत्याकांड की। इस मामले में प्रदेश में बनी नई कमलनाथ सरकार की भी मुश्किलें खड़ी हो गई थी।
कैसे किया गया अपहरण
सीसीटीवी कैमरे में कैद नकाबपोश अपहर्ता
तेल कारोबारी बृजेश रावत के दो बेटों प्रियांश और श्रेयांश का 12 फरवरी को दिनदहाड़े स्कूल बस से अपहरण हुआ था। उनके तेल कारोबारी पिता से किडनैपर्स ने दो करोड़ फिरौती मांगी थी। 23 फरवरी की देर रात यूपी के बांदा जिले में औगासी घाट से बच्चों के हाथ-पैर बंधे शव बरामद हुए थे। जिसने भी ये मंजर देखा, वो रो पड़ा था। वहीं, बच्चों की मौत की खबर के बाद से मां सदमे में चली गई थी। रावत परिवार में जुड़वां प्रियांश और श्रेयांश का जन्म पांच साल पहले हुआ तो पूरा परिवार खुशी से झूम उठा था। दोनों सद्गुरु पब्लिक स्कूल में यूकेजी में पढ़ने थे। बदमाशों ने अपहरण कर उन्हें 21 फरवरी तक अलग-अलग स्थानों पर रखकर यातना दी थी।
इस बेरहमी से हुआ कत्ल
चित्रकूट में जुड़वां भाइयों श्रेयांश-प्रियांश की किडनैपिंग के बाद हत्या मामले की जब परतें खुली तो हर कोई उसे सुनकर हैरान हो गया। किडनैपर्स ने पहचान उजागर होने के डर से फिरौती के 20 लाख रुपए मिलने के बाद भी बच्चों की हत्या कर दी। आरोपियों ने बच्चों से पूछा कि क्या हमें पहचान लोगे। हां, कहते ही उन्हें मार डाला। हत्याकांड में शामिल छह आरोपियों ने कबूला है कि जंजीर से हाथ-पैर बांधकर नदी में बच्चों को फेंकने से पहले गला घोंटकर उनकी हत्या कर दी थी। फिर जब लगा कि ये डूबेंगे नहीं, तो बॉडी के साथ बड़ा-सा पत्थर बांध दिया।
ट्यूशन पढ़ाता था बच्चों को
सीतापुर निवासी गिरफ्तार रामकेश यादव रावत परिवार में इन बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था। उसने ही किडनैपिंग को अंजाम देने के लिए अपने बाकी पांच साथियों को उकसाया था। उसने अपने साथियों से कहा था कि बच्चों के पिता के पास बहुत पैसा है। 13 फरवरी को 2 करोड़ रु. फिरौती के लिए बच्चों के परिजनों को फोन किया। इसके बाद 18-19 फरवरी को शाम 4 बजे के आसपास बच्चों को उसके पिता से बात भी कराई थी। आरोपी 24 वर्षीय अपूर्व यादव उर्फ पिंटा उर्फ पिंटू ,ग्रामोदय विश्वविद्यालय में एमएससी कृषि बायो केमिस्ट्री द्वितीय सेमेस्टर का छात्र है। आरोपी रामकेश ने ग्रामोदय से बीएड की डिग्री ली थी। इस तरह से मामा और भांजे के शैतानी दिमाग में खतरनाक साजिश पनपी। रामकेश मूलतः यूपी के छेरा (बांदा) और पिंटा हमीरपुर के गुरदहा का रहने वाला है।
बजरंग दल से जुड़े रिश्तेदार
वारदात का मास्टरमाइंड पदम शुक्ला उर्फ रामकरण शास्त्री है। पदम का छोटा भाई विष्णुकांत उर्फ छोटू बजरंग दल का क्षेत्रीय संयोजक है। किडनैपिंग में जिस बाइक और कार का इस्तेमाल हुआ, उसकी नंबर प्लेट पर रामराज्य और कार पर बीजेपी का झंडा लगा था। मासूमों की किडनैपिंग व हत्याकांड में रामकेश यादव के अलावा आलोक उर्फ लकी, राहुल द्विवेदी, पदम शुक्ला (मास्टरमाइंड), पिंटू उर्फ पिंटा और विक्रमजीत सिंह ने साथ दिया था।
चार कर्मचारी हुए निलंबित
आरोपी ट्यूशन टीचर रामकेश यादव और उसके भांजे अपूर्व यादव उर्फ पिंटू उर्फ पिंटा ने मिल कर रची थी? जुड़वा भाइयों को दिन दहाड़े गन प्वाइंट पर पदमकांत शुक्ला और राजू द्विवेदी ने उठाया था? दोनों ने मुंह बांध रखे थे। इस मामले की आंच अफसरों से लेकर कर्मचारियों पर भी आई। एसपी संतोष सिंह गौर का तबादला कर दिया गया। जबकि सतना जिले के चारों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। दो दिन बाद अपहर्ताओं ने परिवार से दो करोड़ की फिरौती मांगी थी। इसके बाद 20 फरवरी को फिरौती की मांग दोबारा आई थी।
यह कहा था कमलनाथ ने
इस घटना के बाद भाजपा ने सरकार को भी घेरा था। जिसके बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बयान दिया था। उन्होंने कहा कि भगवान कामतानाथ की नगरी में हुआ ये हादसा बेहद दर्दनाक व दुखद है। दो मासूम जुड़वा भाइयों श्रेयांश और प्रियांश का सकुशल वापस नहीं आना मेरे लिए एक बेहद दुखद और द्रवित करने वाली घटना है। एक दिल को झकझोर देने वाली घटना है। इस घटना से मेरा मन व्यथित है, बेचैन है। बच्चों के पिता से हुई बातचीत के बाद से मेरा मन उद्वेलित हो गया। रात को भी इस घटना ने मुझे व्यथित किया। मुझे ये लगा कि क्यों बच्चे सकुशल वापस नहीं आ पाये? मैं इस मामले में पड़ना नहीं चाहता कि आरोपी कौन थे, किससे जुड़े थे, उनकी गाड़ियों पर किस के झंडे लगे थे, क्या लिखा हुआ था,उन्हें किसका संरक्षण रहा। पड़ोसी राज्य की क्या भूमिका रही। अपराधी कहां के थे। उन्होंने इस वारदात को कहां अंजाम दिया। कहां बच्चों को छिपाकर रखा था। वो बच्चों को किस राज्य में लेकर घूमते रहे? इस मामले में लापरवाही और दोषी सामने आने पर किसी भी अधिकारी को नहीं बख्शा जाए। वो चाहें छोटा हो या बड़ा, उन पर कार्रवाई करें। इस बेहद दुखद घटना में जिस भी अधिकारी की लापरवाही सामने आए उसे में बर्दाश्त नहीं करूंगा।
यहां रखा बच्चों को
बच्चों को अगवा करने के बाद पदम और राजू ने ग्लैमर बाइक से योजना के तहत आलोक तोमर उर्फ लकी के घर पहुंचे। बेसुध प्रियांश और श्रेयांश को इसी घर में 2 दिन तक रखा गया। पिंटा ने ही राजू की पहचान पदम से कराई थी। एक अन्य आरोपी आलोक सिंह तोमर उर्फ लकी भी राजू का साथी। ग्रामोदय का ही छात्र रह चुका लकी मूलतः बिसंडा थाने के तेंदुरा का रहने वाला है। अपहरण के दो दिन बाद दूसरी बाइक से बच्चों को लेकर राजू द्विवेदी और आलोक तोमर पीली कोठी और खोही के रास्ते से भरतकूप और फिर अतर्रा पहुंचे। जबकि पदमकांत अपहरण में प्रयुक्त अपनी ग्लैमर बाइक की नंबर प्लेट बदल कर जानकी कुंड स्थित घर आ गया। जबकि प्रियांश और श्रेयांश का ट्यूटर रामकेश यादव ने वारदात के बाद भी बृजेश के घर आता जाता रहा।