डीजीपी के 10 दिन पुराने आदेश को ताक में रखकर कमांडेंट ने सिपाही को किया सस्पेंड, कोरोना की जंग में ड्यूटी करने की सिपाही को मिली ऐसी सजा
भोपाल। (Madhya Pradesh Police News) देश के साथ मध्य प्रदेश भी कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है। इस महामारी की चपेट में जहां स्वास्थ्य विभाग का अमला आया है। वहीं पुलिस महकमे के कई अफसर भी संक्रमित है। इसके बावजूद ड्यूटी और जनता की सेवा के लिए अफसर प्रोत्साहित कर रहे हैं। जिसके तारतम्य में डीजीपी विवेक जौहरी (DGP Vivek Johri) ने आदेश दिया था कि ऐसे कर्मचारी जो निजी अथवा सरकारी काम से दूसरे जिलों में गए हैं वे वहां संबंधित थाने में आमद देकर ड्यूटी कर सकते हैं। यह ड्यूटी उनकी सेवा में भी शामिल की जाएगी। लेकिन, पुलिस महकमे के मुखिया विवेक जौहरी के इन आदेशों को कमांडेंट ने हवा में उड़ा दिया। कमांडेंट ने कोरोना महामारी के बीच थाने में ड्यूटी कर रहे सिपाही को सस्पेंड कर दिया। अब यह मामला पुलिस मुख्यालय में चर्चा का विषय बन गया है।
डीजीपी ने यह दिए थे आदेश
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू (Janta Curfew) का आह्वान किया था। इसके बाद 24—25 की दरमियानी रात से संपूर्ण लॉक डाउन कर दिया गया था। इस लॉक डाउन के बाद कोरोना का कहर सामने आने लगा। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Corona News) में अब तक कोरोना के मरीजों की संख्या 450 के पार पहुंच गई है। इसमें 27 मौतें भी हो चुकी है। इंदौर, भोपाल इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित हैं। इन समस्याओं को देखते हुए डीजीपी विवेक जौहरी ने 27 मार्च को प्रदेश के सभी अफसरों को आदेश जारी किए थे। इसमें कहा गया था कि कुछ पुलिसकर्मी जो लॉक डाउन से पूर्व सरकारी काम अथवा निजी काम से अवकाश पर हैं वे अपने गृह नगर या जहां हैं वहां से ड्यूटी पर आना चाहते हैं तो वहां की संबंधित थाने या इकाई में ड्यूटी दे सकते हैं। लॉक डाउन समाप्त होने के बाद वह सेवाएं उनके मूल सेवा में शामिल किया जाएगा।
कमांडेंट ने ऐसे उड़ाया आदेश का मखौल
आदेश के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई का मामला 32वीं वाहिनी उज्जैन एसएएफ का है। यहां सेनानी सविता सोहाने (Commandent Savita Sohane) हैं। उन्होंने 07 अप्रैल को आरक्षक रामसिंह (Constable Ram Singh) को गैरहाजिर बताकर निलंबित करने के आदेश दे दिए गए। आरक्षक अवकाश पर था। जिसने लॉक डाउन के दौरान यात्रा में चुनौती मानते हुए अवकाश बढ़ाने की मांग की थी। इस मांग के आधार पर उसको पांच दिन की छुट्टी दे दी गई थी। अब यह कार्रवाई सोशल मीडिया में ट्रोल हो गई है। पुलिस महकमे के एक पखवाड़े के भीतर में एक आदेश पर दो तरह की कार्रवाई को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आदेश डीजीपी ने जारी किया था। इसके बावजूद कमांडेंट ने अपने आदेश को प्राथमिकता में रखा। जबकि आरक्षक 30 मार्च को आष्टा थाने पहुंच गया था। उसके आमद की रिपोर्ट भी दर्ज हुई थी। वह उसी दिन से कोरोना की ड्यूटी कर रहा है।
डीजीपी ने चेताया, सुधर जाओ
इधर, डीजीपी विवेक जौहरी ने 9 अप्रैल को एक नया आदेश जारी किया है। यह आदेश भोपाल और मंडला में हुई घटना के संबंध में दिया गया है। भोपाल में एम्स के रेंजीडेंट डॉक्टर से मारपीट का मामला सामने आया था। इसी तरह मंडला में बैंक कर्मचारी से मारपीट की गई थी। इन दोनों घटनाओं के संदर्भ में डीजीपी ने कहा कि कोरोना बीमारी को लेकर मुस्तैद रहने के साथ जनता और उन सेवकों को लेकर जो कोरोना से निपटने में जुटे हैं परेशान न किया जाए। यह आदेश मैदानी कर्मचारियों तक पहुंचाने के लिए भी कहा गया था। लेकिन, ऐसा देखने को नहीं मिला। डीजीपी ने चेताया है कि यदि भविष्य में ऐसा होता हैं तो संबंधित जिले के एसपी की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
अपील
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