MP Political News : सचिन पायलट ने अलग पार्टी बनाई तो फायदा या फिर नुकसान

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MP Political News : भारतीय जनता पार्टी के लिए दूसरे रुप में मिल सकती है संजीवनी, राजस्थान के घटनाक्रम पर पार्टी नेताओं की नजर

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सचिन पायलट, फाइल फोटो

भोपाल। मध्य प्रदेश (MP Political News) के बाद राजस्थान (Rajasthan Political News) सत्ता को लेकर घमासान मचा है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस (MP Congress News) के बागी ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने बहुत अहम रोल भाजपा के लिए निभाया। लेकिन, सचिन पायलट (Sachin Piolet) ने वह रोल निभाने में देरी कर दी। हालांकि अलग पार्टी बनाकर भी वह कांग्रेस को अपना वजूद बता सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो मध्य प्रदेश और राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में समीकरण क्या बनेंगे इसको लेकर मंथन भीतर ही भीतर चल रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सचिन पायलट (Sachin Piolet News) अपने वजूद के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वहीं राजस्थान और मध्य प्रदेश के चुनावी समर (MP Bye Election News) में जाति और परिस्थितियों का समीकरण अलग है।

सपा—बसपा को ज्यादा चिंता

मध्य प्रदेश और राजस्थान में चल रहे सियासी उठापटक से समाजवादी (Samajavadi Party) और बहजुन समाजवादी पार्टी (Bahujan Samaj Party) ज्यादा चिंता में हैं। दरअसल, इन दोनों पार्टियों के मजबूत जनाधार वाले नेताओं पर कांग्रेस और भाजपा की नजरें बनी हुई है। इसके लिए पुराने मतदान के परिणामों को खंगाला जा रहा है। इन सबके बीच सचिन पायलट के बागी तेवर को देखते हुए उन नेताओं को एक ओर अवसर मिल सकता है जो समान विचारधारा वाले हैं।

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दावा कैसे बिगड़ेगा गणित

मध्य प्रदेश में 24 सीटों पर उप चुनाव (MP Bye Election) है। इसमें सर्वाधिक सीट ग्वालियर, चंबल और भिंड की है। यह सभी क्षेत्र राजस्थान की सीमा से सटे हैं। इन क्षेत्रों गूर्जर वोटरों का काफी दखल है। सर्वााधिक गूर्जर वोटर मुरैना, सुमावली, दिमनी, जौरा, डबरा, भांडेर में हैं। यह वोट भाजपा का गणित बिगाड़ भी सकता है और बना भी सकता है। यदि सचिन पायलट बागी होकर नई पार्टी बनाकर यहां से अपने उम्मीदवार खड़े करते हैं तो क्रास वोटिंग या फिर कहे वोटरों का ध्रुवीकरण होने की दशा में भाजपा को फायदा मिल सकता है।

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यह उठने लगी मांग

राजस्थान में उप मुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट (Sachin Piolet) ने अपने अभी सारे पत्ते नहीं खोले हैं। उनकी कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी मुलाकात हो चुकी है। जिसके राजनीतिक गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे हैं। दोनों युवा नेता गांधी परिवार के बेहद करीबी भी रहे हैं। इन युवा नेताओं की वजह से राजस्थान और मध्य प्रदेश के कांग्रेस खेमे के बड़े नेताओं के राजनीतिक भविष्य भी दांव पर लगा हैं। इधर, ओबीसी, एससी—एसटी एकता मंच के प्रदेश अध्यक्ष लोकेन्द्र गूर्जर (Lokendra Gurjar) ने दावा किया है कि इस सिलसिले में उनकी सचिन पायलट से चर्चा भी हुई है। उन्होंने कहा कि हमने मांग रखी है कि सचिन पायलट अलग पार्टी बनाए।

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पायलट के प्रतिकूल नहीं समय

MP Political Crisis
पहली बार भाजपा कार्यालय पहुंचने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व मंत्री रहे गोपाल भार्गव, साथ में हैं प्रभात झा

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक दिनेश जोशी (Journalist Dinesh Joshi) का मानना है कि मध्य प्रदेश की राजनीति में ज्योतिरादित्य सिंधिया (BJP Leader Jyotiraditya Scindia) ने बहुत बड़ी कुर्बानी दी है। इसलिए भाजपा उन्हें बर्दाश्त कर रही है। सिंधिया की बदौलत भाजपा को सरकार वापस मिली। यदि सिंधिया के साथ पायलट कांग्रेस पार्टी से कूच करते तो भाजपा उन्हें सम्मान के साथ स्थान देती। लेकिन, अभी परिस्थितियां पायलट के बिलकुल प्रतिकूल नहीं है। जोशी ने कहा कि यदि पायलट मध्य प्रदेश में जनाधार वाले नेता होते तो कांग्रेस उन्हें लोकसभा और विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए उतारती। लेकिन, वे कभी भी मध्य प्रदेश नहीं आए।

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एमपी में नहीं आएंगे पायलट

इसी तरह वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटैरिया (Journalist Shiv Anurag Pateriya) ने कहा कि यह बहुत असंभव है। एक व्यक्ति की पार्टी को उतना वजूद नहीं मिलता है। सचिन पायलट का जनाधार राजस्थान के कुछ क्षेत्रों तक है। उनका मध्य प्रदेश में राजनीतिक जनाधार नहीं हैं। हालांकि मेरे अनुभवों से नहीं लगता कि सचिन पायलट मध्य प्रदेश में पार्टी बनाकर चुनाव के लिए उतरेंगे। यदि उनका कोई भी जातिगत समीकरण भी होता तो कांग्रेस मध्य प्रदेश के चुनावों में उनसे प्रचार कराती। वे कभी मध्य प्रदेश आए ही नहीं। दोनों राज्यों का राजनीतिक समीकरण भी मेल नहीं खाता है। इसलिए पार्टी बनाकर एमपी चुनाव में उतरने की बात करना फिलहाल अतिश्योक्ति होगी।

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