सुनिए आरोपी प्रो. बाबूलाल तिवारी की पोल खोलने वाले कामता का आखिरी इंटरव्यू
कामता ने 6 अगस्त को द क्राइम इन्फो के दफ्तर आकर दिए थे डकैती के तमाम सबूत
भोपाल। छतरपुर जिले के बमीठा थाना क्षेत्र में 40 साल पहले हुई डकैती के मामले में फरार आरोपी बाबूलाल तिवारी के राजदार और मामले के गवाह कामता विश्वकर्मा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। डकैत से प्रोफेसर और फिर बड़ा बिजनेस मैन बने बाबूलाल तिवारी के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले कामता की अचानक हुई मौत बड़े सवाल खड़े करती है। कामता विश्वकर्मा उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के थाना गिरिवा इलाके के जरर गांव का रहने वाला था।
उत्तर प्रदेश में गवाहों की हत्या के मामले आए दिन सामने आते रहते है। बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ कि दूसरे मामले में गवाह की मौत हो गई। सूत्रों के मुताबिक मौत से पहले तीन अनजान लोगों ने कामता से मुलाकात की थी।
संदिग्ध लोगों से मिलने के बाद कामता कुछ परेशान नजर आ रहा था। उसने गबराहट होने की बात कही थी। जिसके बाद परिजन उसे अस्पताल ले गए। इलाज के दौरान कामता की मौत हो गई। परिजनों को डॉक्टर ने बताया कि अटैक आने की वजह से कामता की मौत हुई है।
कामता के बेटे संजय विश्वकर्मा ने द क्राइम इन्फो को बताया कि 6 अगस्त से पहले कामता झांसी गए थे। जहां से भोपाल पहुंचे थे। लौटकर घर आने के बाद से ही वो तनाव में चल रहे थे। घबराहट की शिकायत पर कामता को अस्पताल ले जाया गया था। जहां से उन्हें कानपुर के अस्पताल में रैफर कर दिया गया था। जहां 16 अगस्त सुबह 8 बजे कामता की मौत हो गई।
यूपी पुलिस ने भी की मामले में लीपापोती
कामता के अहम सबूतों के साथ द क्राइम इन्फो ने खबर जारी की थी। खबर वायरल होने के बाद झांसी पुलिस ने ट्विटर पर रिप्लाई किया था। झांसी रेंज के डीआईजी के ट्विटर अकांउट से झांसी पुलिस को सूचना दी गई थी। झांसी पुलिस ने ट्विटर के माध्यम से ही रिप्लाई दिया था कि मामले में थाना नबाबाद को आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देश दिए गए है। लेकिन बाद में बात एक बार फिर ढ़ाक के तीन पात की तरह हो गई। डीआईजी से निर्देश देने का सिलसिला शुरु हुआ और मामला थाने तक पहुंचते-पहुंचते ठंड़े बस्ते में चला गया।
सुनिए कामता का आखिरी इंटरव्यू