एन्टेस कंपनी से जब्त क्लोन पर आरोपियों से हुई पूछताछ, चारों आरोपियों को गुरुवार को अदालत में पेश करेगी ईओडब्ल्यू
भोपाल। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) रिमांड पर चल रहे आरोपियों को गुरुवार दोपहर अदालत में पेश करेगी। ईओडब्ल्यू एक बार फिर आरोपियों को रिमांड पर सौंपने का आवेदन लगाने जा रही है। इसके लिए कुछ दस्तावेज बुधवार को ईओडब्ल्यू की टीम ने बनाए हैं।
जानकारी के अनुसार इस मामले में बैंगलुरु की टीसीएस कंपनी और एन्टेस प्रायवेट लिमिटेड कंपनी को आरोपी बनाया गया है। यह कंपनियां साफ्टवेयर बनाने का काम करती है। एंटेस कंपनी पर छापा मारा जा चुका है। लेकिन, टीसीएस को लेकर कोई जांच ईओडब्ल्यू ने अब तक शुरू नहीं की है। एन्टेस कंपनी मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रोनिक्स डेव्हल्पमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसईडीसी) के लिए साफ्टवेयर डिजाइन करती थी। इनके संचालकगणों के अलावा कंपनी के कर्मचारियों से पूछताछ हो चुकी है। इससे पहले ईओडब्ल्यू ने 14 अप्रैल को एमपीएसईडीसी में ओएसडी रहे नंदकुमार ब्रह्मे को गिरफ्तार किया था। उनके कार्यालय और घर पर सर्चिग हो चुकी है।
क्या है मामला
ईओडब्ल्यू ने 10 अप्रैल, 2019 को ई-टेंडरिंग घोटाले के मामले में प्रकरण दर्ज किया था। इस मामले में जांच के लिए प्राथमिकी जून, 2018 में दर्ज हुई थी। यह प्रकरण कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम नई दिल्ली की रिपोर्ट पर दर्ज की गई थी। जल निगम के तीन टेंडर, लोक निर्माण विभाग के दो टेंडर, सडक़ विकास निगम के एक टेंडर, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक टेंडर ऐसे करके कुल नौ ई-टेंडरों में गड़बड़ी करना पाया गया था।
कौन है आरोपी
इस मामले में हैदराबाद की कंपनी मैसर्स जीवीपीआर लिमिटेड, मैसर्स मैक्स मेंटेना लिमिटेड, मुंबई की कंपनियां दी ह्यूम पाइप लिमिटेड, मैसर्स जेएमसी? लिमिटेड, बड़ौदा की कंपनी सोरठिया बेलजी प्रायवेट लिमिटेड, मैसर्स माधव इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड और भोपाल की कंस्टक्शन कंपनी मैसर्स रामकुमार नरवानी लिमिटेड के खिलाफ एफआईआर दर्ज है। इसके अलावा साफ्टवेयर बनाने वाली ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन प्रायवेट लिमिटेड, एमपी एसईडीसी, एन्टेस प्रायवेट लिमिटेड और बैगलोर की टीसीएस कंपनी को भी आरोपी बनाया गया है।
अब तक क्या
ईओडब्ल्यू ने इस मामले में सबसे पहले 11 अप्रैल, 2019 को भोपाल के मानसरोवर में दबिश दी। यहां से तीन आरोपियों विनय चौधरी, सुमित गोलवलकर और वरूण चतुर्वेदी को हिरासत में लिया गया। तीनों आरोपियों को 12 अप्रैल को अदालत में पेश करके 15 अप्रैल तक रिमांड पर लिया गया। इसी बीच 14 अप्रैल को नंदकुमार को गिरफ्तार किया गया। जिसे ओस्मो कंपनी के तीनों आरोपियों के साथ 15 अप्रैल को जिला अदालत में न्यायाधीश भगवत प्रसाद पांडे की अदालत में पेश किया गया। यहां से आरोपियों से अनुसंधान से जुड़ी जानकारियों के संबंध में पूछताछ करने के लिए 18 अप्रैल तक रिमांड पर लिया गया। यह रिमांड अवधि समाप्त होने जा रही है।