छत्तीसगढ़ राज्य के मजदूरों का मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बुरा हाल, केंद्र सरकार के 500 रुपए के अलावा परिवार को किसी भी सरकार से नहीं मिली कोई सहायता
भोपाल। (Bhopal Crime News In Hindi) बात मजदूरों की हो रही है तो वह किसी भी मीडिया हाउस के लिए टीआरपी नहीं हो सकती। इसलिए वह प्रमुख समाचार पत्रों के पन्नों से गायब है। बात उन पन्नों की हो रही है जहां कानून और नियम बनाने वाले जिम्मेदार अफसर रहते हैं। हालांकि इन शहरों में सरकारी विज्ञापन (Government Advertisement Policy For Covid-19) प्रकाशित करके सरकारें यह जरुर बता रही है कि वह गरीबों की हितेषी है। लेकिन, मैदानी हकीकत बहुत खराब चल रही है। बात हो रही है मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Ration Distribution News) की राजधानी भोपाल (Bhopal Ration Distribution News) की। यहां गरीबों और आधार कार्ड पर दिए जाने वाले राशन के बंदरबाट (Bhopal Ration Miscount) के आरोप लग रहे हैं। इन्हीं समस्याओं को लेकर नाराज मजदूर अब जगह—जगह लामबंद (Chhattisgarh Labour Protest) हो रहे हैं। राशन मांगने पर मजदूरों को मुकदमा दर्ज करने की धमकी भी दी जा रही है।
विधायक कृष्णा गौर के इलाके में बुरे हालात
राजधानी भोपाल में राशन वितरण (Bhopal Ration Misery Case) को लेकर बुरे हालात है। सर्वाधिक शिकायत गोविंदपुरा विधानसभा क्षेत्र से आ रही है। विधायक कृष्णा गौर (BJP MLA Krishna Gour) से लोग मिलकर भी शिकायत कर चुके हैं। लेकिन, उनकी तरफ से कोई सार्थक पहल नहीं की गई। कृष्णा गौर के विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक मजदूर वर्ग कटारा हिल्स, बागसेवनिया, अवधपुरी समेत कई अन्य इलाकों में रहता है। कटारा हिल्स के रामेश्वर ए—सेक्टर में दो दिन पहले दर्जनों मजदूर विधायक और पार्षद के खिलाफ सड़क पर उतर आए थे। इनमें छत्तीसगढ़ राज्य और मध्य प्रदेश के मजदूर शामिल थे। मजदूरों का दावा था कि राशन की समस्या को लेकर वार्ड—55 की पूर्व पार्षद अर्चना परमार (Archana Permar) के बंगले में भी गए थे। इसके बाद विधायक कृष्णा गौर से भी गुहार लगाई गई थी। लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई तो यह मजदूर सड़क पर उतर गए थे। कांग्रेस कार्यकर्ता सुनील बोरसे (Sunil Borse) ने बताया कि जब वे मौके पर पहुंचे तो उन्होंने बागसेवनिया थाने के टीआई को चक्काजाम की जानकारी दी। इससे पहले भोपाल कलेक्टर तरुण पिथोड़े (Tarun Pithore) को फोन लगाया गया था। उनका मोबाइल डायवर्ट था। इस कारण टीआई को सूचना दी। जिसके बाद वहां कटारा हिल्स थाने की पुलिस पहुंची। पुलिस ने आते साथ वीडियो बनाकर लॉक डाउन में प्रदर्शन करने पर मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी। प्रदर्शन कर रहे मजदूर तीन—तीन फीट की दूरी पर बैठे हुए थे। पुलिस वीडियो बनाने लगी जिसके बाद मजदूरों ने एफआईआर की धमकी का वीडियो बनाना शुरु कर दिया। यह देखकर पुलिस ने प्रशासन को सूचित किया। जिसके बाद मौके पर पटवारी, तहसीलदार से लेकर सारे अफसर पहुंचने लगे। नाराज मजदूरों को तत्काल 12 किलो चावल दिलाया गया।
नेता की पर्ची पर मिल रहा राशन
ऐसा नहीं है कि यह हाल केवल गोविंदपुरा में है। ऐसे ही हालात दूसरे विधानसभा क्षेत्रों से भी सुनाई दे रहे हैं। पिछले दिनों नरेला विधानसभा क्षेत्र में भाजपा नेत्री सीता रघुवंशी का वीडियो जिसमें पर्ची पर राशन मिलने का वीडियो भी वायरल हुआ था। हालांकि उन्होंने दावा किया था कि वह सरकारी राशन की पर्ची नहीं बांट रही थी। वह तो लोगों से जुटाए गए राशन को बांट रही थी। सीता रघुवंशी (Seeta Raghuvanshi) का भी दावा था कि राशनकार्ड को सरकार की तरफ से तीन महीने का राशन दिया जा रहा है। जबकि वीडियो में लोग आरोप लगा रहे थे कि वहां केवल चावल मिल रहा है।
छत्तीसगढ़ के मरीजों को नहीं मिली सुविधा
बागसेवनिया और कटारा हिल्स समेत कई अन्य क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ के मजदूर रहते हैं। इन्हें न तो राज्य सरकार से कोई सहायता मिली और न ही छत्तीसगढ़ राज्य से कोई मदद मिली। जबकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) की सरकार गरीबों को भरपूर मदद करने का वादा करके सरकारी विज्ञापन छपवा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य के दावों की हकीकत बयां करते हुए परदेशी साहू ने बताया कि वह मूलत: छत्तीसगढ़ का रहने वाला है। एक महीने से अधिक समय हो गया। कोई सहायता किसी भी राज्य से नहीं मिली। साहू ने दावा किया कि उसके खाते में किसी ने भी एक हजार रुपए नहीं डाले। परदेशी साहू (Pardesi Sahu) ने बताया कि हा उसकी पत्नी के खाते में 500 रुपए जरुर आए थे। वह भी 17—18 अप्रैल को। इसी तरह शिवम सोनवानी (Shivam Sonvani) ने बताया कि हमें भी कोई सहायता नहीं मिली है। मजदूर इलाके के दूसरे मजदूरों के नाम और नंबर लिखकर सामाजिक कार्यकर्ताओं से मदद की गुजारिश कर रहे हैं।
सिर्फ घोषणाएं कर रही है सरकार
कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता नरेन्द्र सलूजा (Narendra Saluja) से इस गंभीर विषय पर प्रतिक्रिया ली गई। उन्होंने कहा कि लॉक डाउन के कारण लोग बेरोजगार हो गए हैंं। अपराधी बैखोफ हैं रोज चोरी, हत्या और रेप के समाचार मिल रहे हैं। सरकार ने घोषणा की थी कि वह मजदूरों के खातों में एक हजार रुपए डालेगी। लेकिन, यह सरकार सिर्फ घोषणाएं करती रही है। कांग्रेस की तरफ से यह भी मांग की थी कि जिनके पास या फिर दूसरे राज्यों के नागरिक जो यहां फंसे है उन्हें आधार कार्ड पर राशन दिया जाए। इसकी भी घोषणा करके सरकार भूल गई।
कांग्रेस ट्विटर पर चलाती रही सरकार
भाजपा प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी (Durgesh Keswani) ने कहा कि कांग्रेस की सरकार केवल ट्विटर पर चलती रही। जमीन से जुड़े लोगों की सुध नहीं ली। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने यूपी के मजदूरों को पहुंचाने का काम किया। मजदूरों की सुध लेते हुए अब तक करीब 70 लाख रुपए उनके खातों में पहुंचा दिए। कोई दस्तावेजों में भी छूट रहा है तो उसे राहत दी जा रही है। कांग्रेस ने 15 महीने में जो नहीं किया वह एक महीने में मुख्यमंत्री ने कर दिखाया है। गेहूं—चावल बांटे जा रहे हैं। राजधानी बड़ी भी है कुछ विसंगतियां भी मालूम हो रही है तो उसमें सुधार हो रहा है।
अपील
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