MP Police: रैपिस्ट को रियायत देना बना “रिवाज”, समझिए कैसे बच निकलते हैं बलात्कारी

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गिरफ्तारी को तब तक टाला जाता है जब तक कोर्ट से आरोपी को जमानत न मिल जाए

MP Rape Case
बाएं सीधी की वह नाबालिग जिसके आरोपियों को पुलिस दो सप्ताह बाद भी पकड़ नहीं सकी। दाहिने तरफ भोपाल के बैरागढ़ थाने में दर्ज बलात्कार का आरोपी बबलू जो पुलिस रिकॉर्ड में दो साल से फरार है।

भोपाल। (Bhopal Crime News In Hindi) मध्य प्रदेश में बलात्कारियों (MP Rape Case Ground Report) को रियायत देना जैसे रिवाज बन गया है। यह मामले भोपाल (Bhopal Rape Case) से लेकर कई जिलों के है। ऐसे संगीन मामलों के आरोपी खुलेआम घुम रहे है। जबकि उनकी पीड़ित महिलाएं हर चौखट पर जाकर उन पुराने जख्मों को बार—बार बताकर शर्मिदगी महसूस करती है। रियायत के इस “रिवाज” की द क्राइम इंफो डॉट कॉम ने बारीकी से पड़ताल की। ऐसे चार मामलों को चिन्हित किया जिनके आरोपियों को पुलिस आज तक नहीं पकड़ पाई। यह मामले तीन महीने से लेकर दो साल पुराने हैं। कभी चुनाव ड्यूटी का बहाना तो कभी लॉक डाउन जैसी इमरजेंसी की आड़। बालिग हो या नाबालिग सभी मामलों में इस परंपरा को लेकर मैदानी अफसर से लेकर सुपरविजन करने वाले पुलिस मुख्यालय के अफसरों को भी क्लीन चिट नहीं दी जा सकती। जबकि महिला संबंधी अपराधों को लेकर राज्य सरकार ने अलग सेल से लेकर तमाम नवाचार भी किए है। फिर भी परिस्थितियां सुधरने का नाम नहीं ले रही।

राजधानी के बुरे हालात

मध्य प्रदेश महिला हिंसा (MP Women Violance Case) और अपराधों के मामले में पहले से चर्चित रहा है। यहां के मामलों को लेकर तत्कालीन कमल नाथ (EX CM Kamal Nath) सरकार ने चुनाव से पूर्व अभियान भी चलाया था। हालांकि उनके आने के बाद भी परिस्थितियां नहीं बदली। ऐसा नहीं है कि दूर अंचलों में मामले की सुध नहीं ली जा रही हो। प्रदेश की राजधानी में तो हाल ज्यादा ही खराब हैं। भोपाल के कोलार थाना क्षेत्र में बलात्कार के दो मामले दर्ज हुए। दोनों मामले काफी संगीन थे। पहली घटना 25 जनवरी, 2020 की थी। इसमें एक महिला को आरोपी जावेद और आमिद बोलेरो से अगवा (Bhopal Bolero Kidnapping & Rape Case) कर ले गए थे। आरोपियों ने रायसेन (Raisen News) में ले जाकर ज्यादती की थी। इस घटना के आरोपियों की पुलिस अभी तक गिरफ्तारी नहीं कर सकी है। इसी थाना क्षेत्र में आजम नाम के व्यक्ति के खिलाफ भी बलात्कार का मामला दर्ज है। आजम आज भी पुलिस के रिकॉर्ड में फरार चल रहा है। यह दोनों मामले लॉक डाउन से पहले के हैं। लेकिन, चार महीने बाद भी पुलिस के अफसरों ने दोनों मामलों की सुध ही नहीं ली।

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बैरागढ़ थाने में दो साल पहले दर्ज बलात्कार का आरोपी जवाहर सभवानी उर्फ बबलू

नजर के सामने लेकिन पुलिस को नहीं दिखता
सबसे चौंका देने वाला मामला मध्य प्रदेश (MP Crime News) की राजधानी भोपाल (Bhopal Crime News) का ही है। यहां बैरागढ़ थाना पुलिस ने 2018 में बलात्कार का मामला दर्ज किया था। आरोप जवाहर सभवानी उर्फ बबलू (Jawahar Sabhvani @ Bablu) पर है। पुलिस अब तक उसको फरार बता रही है। जबकि आरोपी की तरफ से भोपाल जिला अदालत से लेकर हाईकोर्ट तक अग्रिम जमानत के सारे प्रयास कर लिए गए। पीड़ित महिला का कहना है कि “आरोपी जवाहर सभवानी उसके घर के नजदीक ही रहता है, वह अक्सर एक्टिवा से आता—जाता भी है।“ यह जानकारी मैंने कई बार पुलिस को भी दी। लेकिन, पुलिस ने उसको गिरफ्तार करने की बजाय गायब रहने के लिए कई मौके दिए। अब इस मामले में पीड़िता ने एडीजी और आईजी भोपाल रेंज उपेन्द्र जैन (IPS Upendra Jain) से मिलकर शिकायत भी की है। पीड़िता का कहना है कि आरोपी के गुर्गे उसको प्रकरण वापस लेने के लिए दबाव बना रहे हैं। वह उसको यहां—वहां से फोन करके समझौता करने के लिए धमकाते भी है।

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नाबालिग से ज्यादती का आरोपी फरार
बलात्कार जैसे मामलों पर सरकारें कई बार घिरती रही है। इसके बावजूद इन मामलों को लेकर कोई सटीक प्रणाली अब तक नहीं बन सकी है। मध्य प्रदेश (MP Rape Case) के सीधी (Sidhi Rape Case) जिले में भी नाबालिग से ज्यादती हुई थी। यह घटना 4 मई की है। जिसकी एफआईआर दर्ज करने में ही पुलिस को एक दिन लग गया। शुरु से इस प्रकरण में कोतवाली थाना पुलिस आरोपी के पक्ष में ज्यादा मजबूती से खड़े नजर आई। इस मामले के आरोपी अंकित चौरसिया (Ankit Chourasiya) और अजय चौरसिया (Ajay Chorasiya) के खिलाफ मामला दर्ज किया। नाबालिग की हालत सामान्य बताकर उसको पुलिस ने ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया। उसको घर पहुंचा दिया ताकि मीडिया में खबरें न आ सके। लेकिन, परिवार ने तबीयत बिगड़ने पर दूसरे दिन उसको फिर भर्ती कराया। नाबालिग की उम्र 13 साल है जिसको बंधक बनाकर ज्यादती की थी। उसके पिता भोपाल (Bhopal Hindi Khabar) में सरकारी नौकरी करते है। ज​ब थाना पुलिस ने कोई सुनवाई नहीं की तो मजबूरी में पिता को डीजीपी विवेक जौहरी (DGP Vivek Johri) के पास जाकर शिकायत करना पड़ी। परिवार का आरोप है कि अजय चौरसिया और अंकित चौरसिया काफी रसूखदार है। जिनके प्रभाव में आकर कोतवाली टीआई गिरफ्तारी नहीं कर रहे है।

प्रतिक्रिया से लगा नहीं वे कानून का काम कर रहे हैं

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सीधी कोतवाली इलाके में ज्यादती की शिकार नाबालिग जिसके आरोपी अभी भी फरार हैं

कोलार में हुई ज्यादती की घटनाओं के मामले में कोलार टीआई अनिल बाजपेयी (TI Anil Bajpai) से प्रति​क्रिया ली गई। पहले तो उन्हें मामला याद नहीं आया। जब बोलेरो बताया गया तो कहने लगे प्रयास किए थे। उस वक्त पकड़ में नहीं आए। अभी कोरोना ड्यूटी के चलते समय नहीं मिल पा रहा है। इसी तरह सीधी कोतवाली थाने के टीआई शेषमणि पटेल (TI Sheshmani Patel) से प्रतिक्रिया ली गई। उन्होंने भी कहा कि आरोपी पकड़ में नहीं आ सके है। उनकी बातचीत से लगा ही नहीं कि वह किस घटना को लेकर बातचीत कर रहे हैं। इन दोनों अफसरों से तो ज्यादा हैरान कर देने वाली प्रतिक्रिया भोपाल में एसडीओपी बैरागढ़ दीपक नायक (SDOP Deepak Nayak) ने दी। दरअसल, यहां एसडीओपी से इसलिए चर्चा की गई क्योंकि हाईकोर्ट ने एसडीओपी को आरोपी की गिरफ्तारी के आदेश जारी किए थे। दीपक नायक से जब खबर प्रतिक्रिया मांगी गई तो वे कहने लगे “गिरफ्तारी मुझे ही करना है।“ उनसे कहा गया कि आपको ही गिरफ्तारी करना है लेकिन, समाचार में आपका पक्ष क्या दिया जाए। इस पर उन्होंने कहा कि “लिख दीजिए गिरफ्तारी के प्रयास में लगा हुआ हूं और अभी वहीं जा रहा हूं।“ मतलब साफ है कि मध्य प्रदेश पुलिस के राजपत्रित अधिकारी के ज्यादती के मामले में इस तरह से प्रतिक्रिया देना वह भी ऐसे मामले में जिसमें आरोपी की दो साल से गिरफ्तार नहीं हुई है। उनके पहले कितने एसडीओपी आकर जा चुके है। फिर भी वे जिस अंदाज में बयान दे रहे थे उससे तो यही लग रहा था कि उन्हें अफसर या कानून के पालन कराने संबंधित बातों पर किसी तरह का खौफ नहीं है।

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“बहाना” बन गया “रिवाज”
ऐसा नहीं है कि यह मामले आजकल के हैं। जब यह मामले दर्ज हुए थे तब भी पुलिस के सामने कानूनी व्यवस्थाओं की चुनौतियां थी। यह मामले तीन महीने से लेकर दो साल के है। ऐसा भी नहीं है कि यह मामले केवल भोपाल के ही है। यह हालात दूसरे जिलों के भी हैं। जिसके फरियादी हर चौखट पर जाकर थककर हर जाते हैं। लेकिन, हाई प्रोफाइल मामले जिसमें पुलिस अफसरों की काबिलियत की परीक्षा होती है उसमें मैदानी अफसर खरे उतरते है। ताजा मामला 15 मार्च को हुई एक सड़क दुर्घटना से साबित होता है। मामला भोपाल की राजधानी के देहात क्षेत्र में स्थित ईटखेड़ी थाना क्षेत्र का है। यहां 15 मार्च को एक दुर्घटना (Bhopal Road Accident Case) हुई थी। इस दुर्घटना में डीजीपी विवेक जौहरी के बहनोई डॉक्टर अरुण कुमार सक्सेना (Dr Arun Kumar Saxena) का निधन हो गया था। इस मामले को ईटखेड़ी थाना पुलिस ने तीन सप्ताह में सुलझा लिया था। जबकि पुलिस को आरोपी वाहन का पता ही नहीं था। पड़ताल करके पुलिस ने एक नहीं तीन आरोपी को गिरफ्तार किया था। यह आरोपी अहमदपुर सीलखेड़ा निवासी अनिल मीणा (Anil Meena), ममेरे भाई कल्याणपुरा निवासी संतोष मीणा (Santosh Meena) और जितेन्द्र मीणा (Jitendra Meena) को गिरफ्तार किया था। आरोपी भूसे से भरी ट्राली लेकर गोलखेड़ी के पास पहुंचे तो यह दुर्घटना हुई थी।

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