Bhopal Property Fraud: अशासकीय संस्था के सदस्यों ने मिलकर किया फर्जीवाड़ा, पुलिस और सहाकारिता के बीच छह साल लंबे पत्राचार के बाद दर्ज की गई एफआइआर
भोपाल। एमपी हाउसिंग बोर्ड की सरकारी जमीन को एक संस्था के सदस्यों बेच दिया। उसमें प्लॉट काटकर बकायदा बेचे गए। यह मामला भोपाल (Bhopal Property Fraud) शहर के निशातपुरा थाना क्षेत्र का है। पुलिस ने छह साल लंबी जांच के बाद अब प्रकरण दर्ज किया है।
सहकारिता विभाग और पुलिस कमिश्नरेट में चलता रहा पत्राचार
निशातपुरा (Nishatpura) थाना पुलिस के अनुसार इस मामले की शिकायत मनोज श्रीवास्तव (Manoj Shrivastav) ने दर्ज कराई है। वह कोलार रोड थाना क्षेत्र में रहते है और सहकारिता विभाग में निरीक्षक है। मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि शिकायत 2017 में हुई थी। जिसकी जांच रिपोर्ट जमा कर बोर्ड भंग कर दिया था। यह बोर्ड 2018 में बनाया गया था। संस्था में प्रशासक 2020 में नियुक्त किया गया। जिसके बाद संस्था में फिर चुनाव हो बोर्ड बन गया था। संस्था के अध्यक्ष फिर मुख्य आरोपी ही बन गए थे। फिर उन्हें तीन साल के लिए निष्कासित किया गया। इसके बाद 2019 में प्रकरण दर्ज करने के लिए थाने में आवेदन दिया गया था। परंतु कमिश्नर कार्यालय से आवेदन न जाने पर वह प्रकरण जांच में नहीं आया था। हालांकि इस मामले में दोबारा 2021 में आवेदन दिया गया। जिसके बाद पुलिस कमिश्नरेट कार्यालय ने यह लिखकर आवेदन सहकारिता कमिश्नर कार्यालय लौटा दिया कि वह विभाग की जांच रिपोर्ट दे। सहकारिता विभाग ने दिसंबर, 2023 में फिर जांच रिपोर्ट के साथ आवेदन थाना निशातपुरा को प्रतिवेदन भेजा।
इस मामले की जांच एएसआई सत्येन्द्र चौबे (ASI Satyendra Chaubey) ने की है। उन्होंने बताया मुल्ला कॉलोनी हाउसिंग बोर्ड के पास शहीद कॉलोनी स्थित सहकारी गृह निर्माण संस्था मर्यादित करोंद है। जिसमें फर्जी तरीके से 2 प्लाट शासकीय भूमि पर थे जिन्हें बेचे जाने की शिकायत मिली थी। सहकारिता विभाग को उनके विभाग स्तर जांच रिपोर्ट के साथ आवेदन प्रस्तुत करने वापस कमिश्नर कार्यालय सहकारिता विभाग को किया गया था। जांच में कथनों के आधार पर पुलिस ने 21 जनवरी, 2024 की दोपहर लगभग सवा तीन बजे आरोपी सोसायटी के तत्कालीन अध्यक्ष मुगील उद्दीन फारुखी और लेखा पाल खलील को दोषी पाया गया। इसी मामले में एक अन्य आरोपी सौलत शाहिद की 2011 में मृत्यु हो चुकी है। मुगील उद्दीन फारुखी और लेखापाल खलील ने प्लाट नंबर 151 और 91 में फर्जीवाड़ा किया। यह प्लॉट सरकारी जगह पर था। इसके बावजूद पैसे लेकर बेचा गया। सहकारिता विभाग ने 26 जून 2020 से 23 मार्च 2021 तक जांच की थी। उसके बाद निशातपुरा थाना पुलिस को जांच में कमियां पाई गई। जिसे दिसंबर, 2023 में लौटा दिया गया था।
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