एमसीयू में गड़बड़ी पर 40 मिनट दी सफाई, सवाल दागे तो भावुक हुए सांसद सिन्हा

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– ईओडब्ल्यू में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की वित्तीय अनियमितता पर एफआईआर को लेकर कमलनाथ सरकार को घेरा

– विचारधारा को थोंपने के लिए अच्छे शिक्षाविदों को निशाना बनाने का आरोप

भोपाल। राज्यसभा सांसद प्रोफेसर राकेश सिन्हा शनिवार को पत्रकारों के सामने भावुक हो गए। वे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में हुई अनियमितता को लेकर दर्ज एफआईआर को लेकर अपना पक्ष रखने मीडिया के सामने आए थे। पत्रकार उनसे कई सवालों पर जवाब चाह रहे थे जिसको बताने पर पत्रकार असंतुष्ट नजर आए।

यह कहते हुए भावुक
प्रोफेसर सिन्हा ने कहा कि मैं डीयू में प्रोफेसर हूं। मुझे सेंट्रल से स्टेट यूनिवर्सिटी में भेजा गया। मेरे सामने रोजगार का संकट नहीं था। यह माखनलाल और डीयू यूनिवर्सिटी के बीच सरकारी नियमों के तहत सेवाएं लेने का मामला है। इसमें मैंने दो जगह से वेतन नहीं लिया। लेकिन, सरकार मुझे ऐसे प्रचारित कर रही है कि मुझे पैसों की आवश्यकता थी। उन्होंने कहा कि मुझे राष्ट्रपति की तरफ से पांच लाख रुपए मिले थे। यह रकम मैंने अपनी कैंसर पीडि़त मां के उपचार में देने की बजाय एक दलित परिवार को सौंपा था। इस दौरान वे भावुक हो गए और रूंधे गले से कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ की इन दमनकारी नीतियों के खिलाफ सारा शिक्षा जगत एकजुट होकर सड़क पर उतरेगा।

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कभी भी गिर सकती है सरकार!
प्रोफेसर सिन्हा ने कहा कि माखनलाल में कोई भी निर्णय महापरिषद में रखा जाता है। जिसके अध्यक्ष पदेन मुख्यमंत्री होते हैं। लेकिन, कोई बैठक एफआईआर दर्ज कराने या उससे जुड़े मामले में नहीं की गई। उन्होंने यह भी कहा कि संवैधानिक संस्थाओं का मुख्यमंत्री कमलनाथ अपमान कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि विवि नियमों के तहत चलता है जिसमें कुलाधिपति देश के उप राष्ट्रपति हैं। उन्हें भी इस बात की सूचना या अनुमति लेना कमलनाथ सरकार ने उचित नहीं समझा। प्रोफेसर सिन्हा का दावा था कि इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस सरकार के ही सात विधायक नाराज हैं। यह विधायक उनके संपर्क में हैं और इनमें से तीन विधायकों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात करके निर्णय को लेकर विरोध जता दिया हैं। मैं आज उन विधायकों से भी मुलाकात करुंगा। नाम पूछे जाने पर सिन्हा ने कहा कि तीन विधायकों की जानकारी कमलनाथ को हैं बाकी के नाम मैं चुनाव को देखते हुए अभी बताना उचित नहीं समझता। उनका इशारा विधायकों को लेकर सरकार बनाने की तरफ था।

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कुलपति की नियुक्ति को चुनौती दी
प्रोफेसर सिन्हा यहां नहीं रूके उन्होंने कहा कि शिक्षा का मंदिर हमेशा से राजनीति से दूर रहा हैं। उन्होंने कहा कि मैं उर्दू अखबारों के प्रतिदिन अनुवाद करने का काम करता हूं। इसके अलावा कम्यूनिस्ट नेता को लेकर पीएचडी कर चुका हूं। आरएसएस नेता पर पुस्तक लिख चुका हूं। यह देखते हुए पत्रकारिता विश्वविद्यालय ने मेरी सेवाएं लेने का निर्णय लिया था। इसके बावजूद मेरे ऊपर झूठे आरोप लगाकर कमलनाथ सरकार मीडिया की मदद से मेरा चरित्र धूमिल कर रही है। उनसे जब पूछा गया कि शराब के बिल पर क्या कहना है तो वे बोले कि यह बिल मेरे यहां आने के पहले सोशल मीडिया पर वायरल किया गया। यह दर्शाता है कि कमलनाथ सरकार टारगेट कर रही है आरएसएस और उनसे जुड़ी संस्थाओं को। उन्होंने कहा कि मैं पूरे यकीन से कहता हूं कि आरएसएस या उससे जुड़ी किसी भी संस्था ने पैसा नहीं लिया। सिन्हा ने कहा कि वर्तमान कुलपति दीपक तिवारी की नियुक्ति भी गलत तरीके से हुई है। तिवारी की नियुक्ति से पहले महापरिषद की बैठक बुलाई जाती है उसमें अनुमोदन लेने के बाद निर्णय लिया जाता है। लेकिन, कमलनाथ सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया।

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सिख विरोधी रहे कमलनाथ
प्रोफेसर सिन्हा ने कहा कि सरकार के सारे आरोपों और एफआईआर एवं उसकी आड़ में बदनाम करने के षडयंत्र के मामले में मानहानि का केस करूंगा। इसके लिए मैं कानून विदों से राय ले रहा हूं। उन्होंने कहा कि मौजूदा मुख्यमंत्री सिख विरोधी रहे हैं यह दुनिया जानती है। बकायदा नानावती आयोग ने दो सिखों की मौत के वक्त उनके वहां मौजूद रहने का उल्लेख किया है। लेकिन, कोई सबूत नहीं मिलने पर उन्हें शंका का लाभ मिला है। उन्होंने आरोप लगाया कि कमलनाथ दलित विरोधी भी है। उन्हें चुनाव में दलित से वोट नहीं मिला इसलिए ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने ईओडब्ल्यू की एफआईआर को आधार बनाते हुए उसे साबित करने की कोशिश की। सिन्हा ने माखनलाल के कर्मचारी से प्रोफेसर बने प्रदीप डहेरिया और उसके भाई सत्येन्द्र का नाम लेते हुए कहा कि यह दलित हैं और उन्हें प्रोफेसर बनते देखना कमलनाथ सरकार को गवारा नहीं लग रहा। इसलिए उन्हें टारगेट किया जा रहा है।

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अटल तक का किया अपमान
नीति आयोग की स्थापना को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने किया। लेकिन, कमलनाथ सरकार उनकी नीतियों को विश्वविद्यालय से हटाना चाहती है। उन्होंने कहा कि कई कांग्रेस नेता भी अटल के प्रशंसक हैं। पर कमलनाथ ने विश्वविद्यालय में उनके नाम से लगी तख्तियों को तक उठाकर फेंक दिया हैं। मैं इस कार्य की निंदा करते हुए उनसे इस्तीफे की भी मांग करता हूं।

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राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा
सांसद सिन्हा अकेडमिशियन्स फॉर फ्रीडम के बैनर तले राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से मुलाकात करने पहुंचे। उन्होंने ईओडब्ल्यू में दर्ज एफआईआर को लेकर ज्ञापन सौंपा। माखनलाल के शिक्षकों पर एफआईआर दर्ज करके जीरो ईयर घोषित करने को असंवैधानिक बताया। प्रतिनिधि मंडल में साहित्यकार प्रोफेसर रामेश्वर मिश्र पंकज, कुसुमलता केडिया समेत कई अन्य शामिल थे। ज्ञापन देने के बाद सिन्हा होटल पलाश के विचार हॉल में मीडिया से बातचीत करने पहुंचे। उन्होंने ४० मिनट तक मुख्यमंत्री समेत कई अन्य लोगों पर आरोपों की झड़ी लगाते हुए कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा। लेकिन, जैसे ही उनसे मीडिया ने नियमों का हवाला देते हुए जवाब मांगा तो वे भावुक हो गए।

 

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